महाराष्ट्र में बौद्ध राजनीति : राज्य में 8.5 प्रतिशत बौद्ध आबादी, लेकिन विधानसभा में केवल 10 बौद्ध विधायक!

महाराष्ट्र में 8.53 प्रतिशत बौद्ध आबादी है, लेकिन राज्य की मौजूदा विधानसभा में 4 प्रतिशत भी बौद्ध विधायक नहीं हैं। आइए संक्षेप में जानते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में बौद्धों का स्थान क्या है तथा महाराष्ट्र में बौद्ध राजनीति कैसी है।

Buddhist Politics in Maharashtra
महाराष्ट्र में बौद्ध राजनीति और महाराष्ट्र विधान सभा

2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य में महार और बौद्ध आबादी 8.53 प्रतिशत है। लेकिन, बौद्धों को राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। मौजूदा 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा में केवल 10 विधायक बौद्ध हैं। हालाँकि, जनसंख्या के उचित अनुपात के अनुसार विधानसभा में बौद्ध समुदाय के 25 विधायक होने चाहिए।

 

दलित-बौद्ध वोट बैंक की ताकत

दलित समुदाय, जो महाराष्ट्र की कुल आबादी का 13 प्रतिशत है, की पुणे, नागपुर और ठाणे जिलों में बड़ी आबादी है। महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में से 29 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और लगभग 60 सीटों पर दलित बौद्ध मतदाता 15 प्रतिशत से अधिक हैं। (खबर देखें)

13 करोड़ के महाराष्ट्र में दलित आबादी 1.95 करोड़ है। 29 आरक्षित सीटों के अलावा 19 विधानसभा क्षेत्रों पर दलित बौद्ध समुदाय का वर्चस्व है।

विशेष रूप से, विदर्भ के पूरे 11 जिलों के 62 निर्वाचन क्षेत्रों में, दलित-बौद्ध वोट कुनबी-मराठा समुदाय के बाद दूसरे स्थान पर है। मुंबई में 36 और ठाणे में 18 सहित 54 विधानसभा क्षेत्रों में दलित वोट भी महत्वपूर्ण हैं।

विदर्भ और मुंबई के बाद मराठवाड़ा के 8 जिलों में दलितों का बाहुल्य है। यहां की 46 विधानसभा सीटों पर सभी पार्टियों के उम्मीदवार दलित वोट हासिल करने की कोशिश करते हैं।

हाल के 2024 के लोकसभा चुनावों में, दलित वोटों के आधार पर मराठवाड़ा में छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर सभी 7 सीटों पर महाविकास आघाडी (कांग्रेस, ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी का गठबंधन) के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। बेशक, दलित वोट विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच काफी हद तक विभाजित है, लेकिन 19 विधानसभा क्षेत्रों में यह अधिक प्रभावी है। (खबर देखें)

 

 

महाराष्ट्र की राजनीति में, बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन (महायुति) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन (महाविकास आघाड़ी) के बीच कांटे की टक्कर होती रहती है। 

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में, महायुति (7) और महाविकास आघाड़ी (15) द्वारा मैदान में उतारे गए कुल 22 बौद्ध उम्मीदवारों में से केवल 10 ही जीत सके। 

दूसरी ओर, प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहजन आघाड़ी ने सबसे ज्यादा 94 बौद्ध उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सभी हार गए। 

 

2011 की जनगणना में, महाराष्ट्र में महार सहित बौद्धों की जनसंख्या 95,93,439 थी, जो राज्य में 8.53 प्रतिशत हैं। पिछले 14 वर्षों से जनगणना नहीं हुई है। इसलिए, लगभग आधा प्रतिशत बढ़कर 9 प्रतिशत तक बौद्ध समुदाय होगा, इसलिए 2025 में अनुमानित 1.10 करोड़ (8.5%) से 1.15 करोड़ (9%) बौद्ध आबादी होगी।

महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी ने 2 और महायुति ने भी 2 बौद्ध उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। राज्य के 48 सांसदों में से सिर्फ दो बौद्ध सांसद बने, जो दोनों ही कांग्रेस के राजनेता है। (महाराष्ट्र के बौद्ध सांसदों की सूची ‘यहां‘ देखें)

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले, बौद्ध नेता जगन्नाथ अभ्यंकर को महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए नामित किया गया था।

Neo-Buddhist is the highest among scheduled castes in Maharashtra
महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति के धार्मिक समूह – नवबौद्ध (एससी बौद्ध) और हिंदू दलित (एससी हिंदू)।

वर्तमान 15वीं महाराष्ट्र विधान सभा (2024-29) में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 29 सीटों पर 10 बौद्ध (महार), 9 चमार, 3 खाटीक, 2 मातंग (मांग), 2 बुरुड, 1 ढोर, 1 बुडगा जंगम और 1 अन्य एससी समुदाय के विधायक चुने गए। (दलित विधायकों की सूची देखें)

 

महाराष्ट्र में मौजूदा बौद्ध विधायक (2024-29)

1. संजय मेश्राम (उमरेड) – काँग्रेस
2. डॉ. ज्योती गायकवाड (धारावी) – काँग्रेस
3. डॉ. नितीन राऊत (नागपूर उत्तर) – काँग्रेस
4. सिद्धार्थ खरात (मेहकर) – शिवसेना (ठाकरे)
5. संजय शिरसाट (औरंगाबाद पश्चिम) – शिवसेना (शिंदे)
6. डॉ. बालाजी किणीकर (अंबरनाथ) – शिवसेना (शिंदे)
7. अण्णा बनसोडे (पिंपरी) – एनसीपी (अजित पवार)
8. राजू खरे (मोहोळ) – एनसीपी (शरद पवार)
9. संजय बनसोडे (उदगीर) – एनसीपी (अजित पवार)
10. राजकुमार बडोले (अर्जुनी-मोरगाव) – एनसीपी (अजित पवार)

इस वर्ष चुने गए 10 बौद्ध विधायकों में से 4 पहली बार विधायक हैं, जबकि शेष 6 में से 5 मौजूदा/ तत्कालीन विधायक और एक पूर्व विधायक थे। 

  • पहली बार विधायक : संजय मेश्राम (उमरेड), ज्योती गायकवाड (धारावी), सिद्धार्थ खरात (मेहकर), और राजू खरे (मोहोळ)
  • तत्कालीन विधायक : नितीन राऊत (नागपूर उत्तर), संजय शिरसाट (औरंगाबाद पश्चिम), बालाजी किणीकर (अंबरनाथ), अण्णा बनसोडे (पिंपरी), और संजय बनसोडे (उदगीर)
  • पूर्व विधायक : राजकुमार बडोले (अर्जुनी-मोरगाव)

महाराष्ट्र में बौद्ध राजनीति : मौजुदा 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा में 10 बौद्ध विधायक हैं, जो विधानसभा के कुल 288 विधायकों का केवल 3.5 प्रतिशत है। हालाँकि, राज्य की आबादी में बौद्ध 8.5 प्रतिशत से 9 प्रतिशत हैं।

बौद्ध समुदाय के सभी 10 विधायक ‘महार’ अनुसूचित जाति के हैं। महाराष्ट्र में लगभग सभी महार लोग बौद्ध धर्म के अनुयाई है। राज्य की 59 अनुसूचित जातियों की सूची में महार जातिसमूह ‘महार, मेहर, तराल, ढेगु-मेगु’ 37वें स्थान पर है।

2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में महार जाति की आबादी 80,06,060 थी, जो अनुसूचित जाति की आबादी का 60.31 प्रतिशत और राज्य की आबादी का 7.12 प्रतिशत है।

लेकिन राज्य विधानसभा की 29 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से महार जाति (या एससी बौद्धों) को केवल 34.48 प्रतिशत प्रतिनिधित्व मिला है।

इस चुनाव में महाविकास आघाड़ी ने 15 और महायुति ने 7 बौद्ध उम्मीदवार उतारे थे। उनमें से, इन दोनों गठबंधनों में से प्रत्येक के 5 बौद्ध उम्मीदवार चुने गए।

कांग्रेस और अजित पवार की एनसीपी के तीन-तीन बौद्ध विधायक हैं। एकनाथ शिंदे की शिव सेना के दो बौद्ध विधायक हैं, जबकि उद्धव ठाकरे की शिव सेना और शरद पवार की एनसीपी के एक-एक बौद्ध विधायक है। इस बार भारतीय जनता पार्टी का एक भी बौद्ध विधायक नहीं है।

महाराष्ट्र में मौजूदा 6 अनुसूचित जाति के सांसदों में से दो बौद्ध समुदाय से हैं – बलवंत वानखेड़े (अमरावती) और वर्षा गायकवाड़ (मुंबई उत्तर मध्य)। वर्षा गायकवाड़ एकमात्र एससी सांसद है, जो जनरल सीट से चुनाव जिती। 

 

14वीं विधान सभा में बौद्ध विधायक (2019-24)

1. बलवंत वानखेडे (दर्यापूर) – काँग्रेस
2. वर्षा गायकवाड (धारावी) – काँग्रेस
3. डॉ. नितीन राऊत (नागपूर उत्तर) – काँग्रेस
4. संजय बनसोडे (उदगीर) – एनसीपी (अजित पवार)
5. संजय शिरसाट (औरंगाबाद पश्चिम) – शिवसेना (शिंदे)
6. डॉ. बालाजी किणीकर (अंबरनाथ) – शिवसेना (शिंदे)
7. अण्णा बनसोडे (पिंपरी) – एनसीपी (शरद पवार)
8. मनोहर चंद्रिकापुरे (अर्जुनी-मोरगाव) – एनसीपी (अजित पवार)
9. यामिनी जाधव (भायखला) – शिवसेना (शिंदे)

 

पिछली 14वीं महाराष्ट्र विधान सभा, जिसका कार्यकाल 2019 से 2024 तक था, में उपरोक्त 9 बौद्ध विधायक थे। विधानसभा में कुल 288 विधायकों में से 9 विधायक महज 3 फीसदी हैं। हालाँकि, बौद्धों की आबादी 8.5 प्रतिशत से 9 प्रतिशत है।

उपरोक्त 9 बौद्ध विधायकों में से केवल यामिनी जाधव सामान्य खुले निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई थी, जबकि शेष 8 बौद्ध विधायक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए थे। उसी विधानसभा में 11 विधायक चमार समुदाय के थे, 4 विधायक मातंग समुदाय के थे और बाकी दलित विधायक अन्य अनुसूचित जाति के थे। (न्यूज़)

9 बौद्ध विधायकों में से तीन – बलवंत वानखेड़े, वर्षा गायकवाड़ और मनोहर चंद्रिकापुरे को छोड़कर अन्य बाकी 6 बौद्ध विधायक 2024 का विधानसभा चुनाव में खड़े थे। इनमें यामिनी जाधव को छोड़कर 5 अन्य बौद्ध विधायक 2024 में दोबारा चुने गए। 

2024 के लोकसभा चुनाव में बलवंत वानखेड़े और वर्षा गायकवाड़ दोनों सांसद बन गए, जबकि मनोहर चंद्रिकापुरे ने महागठबंधन के घटक दल प्रहार जनशक्ति पार्टी का दामन थाम लिया।

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में, चंद्रिकापुरे के बेटे सुगत चंद्रिकापुरे (महायुति के विद्रोही) अर्जुनी-मोरगांव निर्वाचन क्षेत्र से प्रहार जनशक्ति पार्टी के टिकट पर खड़े हुए थे। लेकिन इस निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य मुकाबला राजकुमार बडोले (एनसीपी – अजीत पवार) और दिलीप बनसोडे (कांग्रेस) दोनों बौद्ध उम्मीदवारों के बीच था, जिसमें बडोले ने जीत हासिल की।

वहीं मौजूदा सांसद वर्षा गायकवाड़ के धारावी निर्वाचन क्षेत्र से उनकी बहन डॉ. ज्योति गायकवाड़ खड़ी थीं, जो भी चुनी गईं। हालाँकि, मौजूदा सांसद बलवंत वानखेड़े के दर्यापूर निर्वाचन क्षेत्र में, महायुति और महाविकास आघाड़ी दोनों ने इस बार ‘हिंदू दलित’ उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

इससे पिछली 13वीं महाराष्ट्र विधान सभा (2014-19) में, 16 चमार, 9 बौद्ध (महार), 3 मांग, एक खाटीक और बाकी अन्य अनुसूचित जाति के विधायक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए थे। (न्यूज़)

 

‘नव-बौद्ध’ और ‘हिंदू दलित’ विधायक

साल 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में ‘नव-बौद्ध’ (एससी बौद्ध) और ‘हिंदू दलितों’ (एससी हिंदू) की जनसांख्यिकी और राज्य की विधानसभा में उनके प्रतिनिधित्व (भागीदारी) के बीच काफी अंतर है।

2024 के विधानसभा चुनाव में, 19 विधायक (आरक्षित सीटों का 66%) हिंदू दलित समुदाय से चुने गए, जो महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति की जनसँख्या का 38 प्रतिशत है। 

जबकि, नव-बौद्ध समुदाय से केवल 10 विधायक (आरक्षित सीटों का 34%) चुने गए, जो अनुसूचित जाति की जनसँख्या का 62 प्रतिशत है।

 

राजनीति में बौद्धों का प्रतिनिधित्व कितना है?

2024 में, महाराष्ट्र की 15वीं विधानसभा में 10 विधायक और महाराष्ट्र की विधान परिषद में 1 विधायक बौद्ध समुदाय से हैं। लेकिन जनसंख्या के अनुपात में बौद्धों का यह प्रतिनिधित्व बहुत कम (3%) है।

2011 की जनगणना के अनुसार, बौद्ध और महार मिलकर महाराष्ट्र की आबादी का 8.5 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। राज्य में बौद्ध आबादी 5.81% और महार आबादी 7.12% है; तथा इन दोनों (महारों और बौद्धों) की संयुक्त आबादी 8.53% है।

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। जनसंख्या अनुपात के अनुसार, महाराष्ट्र विधानसभा की 24 से 25 सीटों (8.5%) पर बौद्ध समुदाय के विधायक होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में 10 सीटें (3.47%) हैं। 

महाराष्ट्र विधान परिषद में कुल 78 सीटें हैं। यहां भी जनसंख्या अनुपात के आधार पर 6 से 7 विधायक बौद्ध समुदाय के होने चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र विधान परिषद में केवल एक बौद्ध विधायक (1.3 प्रतिशत) है।

 

महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 29 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 18 से 19 सीटें (62% से 65%) अनुसूचित जाति के बौद्धों (महार + अन्य एससी बौद्ध) के लिए होनी चाहिए।

लेकिन 2024 के विधानसभा चुनावों में, इन आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से केवल 10 बौद्ध विधायक (34.48%) विधानसभा के लिए चुने गए।

इससे पहले, 2019 के चुनाव में इस आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से केवल 8 बौद्ध विधायक (27%) विधानसभा गए थे। (1 बौद्ध विधायक खुले निर्वाचन क्षेत्र से था)

 

वर्तमान में, महाराष्ट्र विधानमंडल (विधानसभा + विधान परिषद संयुक्त) में बौद्ध समुदाय के 366 में से 31 से 32 विधायक (8.5%) होने चाहिए, लेकिन अब केवल 11 बौद्ध विधायक (3.01%) हैं।

आबादी के हिसाब से उचित प्रतिनिधित्व के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल में बौद्ध समुदाय के 20 से 21 विधायक और होने चाहिए। 

 

महाराष्ट्र की अनुसूचित जातियों में महार (बौद्ध) सर्वाधिक - Mahar (Buddhist) is the highest among scheduled castes in Maharashtra
महाराष्ट्र की अनुसूचित जातियों में महार (बौद्ध) सर्वाधिक – Mahar (Buddhist) is the highest among scheduled castes in Maharashtra

आरक्षण के उप-वर्गीकरण का बौद्धों पर प्रभाव?

2011 की जनगणना के मुताबिक, महाराष्ट्र में महारों की आबादी 80.06 लाख थी। अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति आरक्षण के उप-वर्गीकरण पर फैसला सुनाया, इसलिए 2025-26 की आगामी राष्ट्रीय जनगणना में अनुसूचित जाति में महार आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।

क्योंकि खुद को ‘बौद्ध’ कहने वाले लाखों महार मूल के लोगों ने अपनी मूल ‘महार’ जाति को जनगणना में दर्ज नहीं कराया। क्योंकि कई बौद्धों में यह गलत धारणा है कि जनगणना में अनुसूचित जाति के कॉलम में ‘महार’ दर्ज करने का मतलब एक प्रकार ‘हिंदू’ दर्ज करना है।

लेकिन आप क़ानूनन बौद्ध रहते हुए भी महार यानि अनुसूचित जाती के हो सकते है। धर्म बौद्ध, जाती महार और कैटेगरी एससी। महार होने या लिखने का मतलब हिन्दू होना या लिखना नहीं है, ये बात महाराष्ट्र के बौद्धों को समझनी चाहिए। और ये अब जरुरत भी है, क्योंकि एससी-एसटी केटेगरी में A B C Dउप वर्गीकरण करने की प्रबल इच्छा महाराष्ट्र सरकार की है।

2011 की जनगणना में, राज्य में 65 लाख बौद्धों में से 13 लाख बौद्ध ऐसे थे जो न तो महार थे, न ही अन्य अनुसूचित जाति और न ही अनुसूचित जनजाति के थे

एससी आरक्षण के उप-वर्गीकरण के लिए राज्य में 59 अनुसूचित जातियों के 2025-26 की राष्ट्रिय जनगणना के नए जनसंख्या डेटा पर विचार किया जाएगा। अतः इस समय ‘महार’ अनुसूचित जाति को जनगणना में दर्ज कराने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

2011 में, महाराष्ट्र में महार अनुसूचित जाति की आबादी का लगभग 60.31% थे, जो 2025-26 में अनुसूचित जाति की आबादी का 65 प्रतिशत तक भी जा सकता है। 2025-26 की राष्ट्रिय जनगणना में अगर महारों की हिस्सेदारी 65% होती है तो उन्हें 13% एससी आरक्षण में से 8.5% मिल सकता है। (2011 में एससी आबादी में महार 60% थे, और उन्हें एससी आरक्षण 8% हिस्सेदारी मिल सकती थी।) 

बौद्ध और महार जनसंख्या का समीकरण: 6,531,200 बौद्ध + 3,062,239 [गैर-बौद्ध] महार = 9,593,439


हमने क्या सीखा?

महाराष्ट्र में बौद्ध राजनीति – महाराष्ट्र में राजनीतिक पदों पर बौद्धों की हिस्सेदारी या प्रतिनिधित्व के बारे में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है

महाराष्ट्र में महार और बौद्ध आबादी 8.5% है।

  • महाराष्ट्र की विधान सभा में बौद्धों की हिस्सेदारी – 3.5% (कुल 288 सीटों में से 10 सीटें मिली)
  • विधान परिषद में बौद्धों की हिस्सेदारी – 1.3% (78 सीटों में से केवल 1 सीट)
  • विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद) में बौद्धों की हिस्सेदारी – 3.0% (366 में से 11 सीटें)

 

  • लोकसभा में बौद्धों की हिस्सेदारी – 4.2% (48 में से 2 सीटें जीतीं)
  • राज्यसभा में बौद्धों की हिस्सेदारी – 10.2% (19 में से 2 सीटें)
  • संसद (लोकसभा और राज्यसभा) में बौद्धों की हिस्सेदारी – 6.0% (67 में से 4 सीटें)

 

महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति की आबादी में 62% एससी बौद्ध हैं।

  • विधान सभा में आरक्षित सीटों में एससी बौद्धों का हिस्सा – 35% (कुल 29 सीटों में से 10 सीटें)।
  • लोकसभा में आरक्षित सीटों में बौद्धों का हिस्सा – 20% (कुल 5 में से केवल 1 सीट मिली)

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