महाराष्ट्र की प्रमुख जातियाँ
महाराष्ट्र में कुछ जाति समूह ऐसे हैं जिनका महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन, राजनीति तथा कई अन्य पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। आज हम महाराष्ट्र की 5 प्रमुख जातियां और राज्य में उनका प्रतिशत देखने जा रहे हैं। 2011 में भारत तथा महाराष्ट्र की जातिवार जनसंख्या नहीं हुई थी।
महाराष्ट्र में किस जाति की जनसंख्या सबसे अधिक है? 1931 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और हैदराबाद राज्य द्वारा आयोजित जाति-वार जनगणना के अनुसार, वर्तमान महाराष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र में पांच सबसे बड़ी जातियों का प्रतिशत (%); और इसी आधार पर 2024 में महाराष्ट्र की जनसंख्या (13 करोड़ 16 लाख) में इन जातियों की हिस्सेदारी जानिए।
1. मराठा जाति – 16 प्रतिशत
जनसंख्या की दृष्टि से मराठा महाराष्ट्र की सबसे बड़ी जाति है। यह जाति गाँव में सबसे प्रभावशाली, धनी और शक्तिशाली है। मराठा महाराष्ट्र का शासक समुदाय है। राज्य में 50 फ़ीसदी से अधिक मुख्यमंत्री तथा राज्य की विधानसभा में 50 फ़ीसदी से अधिक विधायक मराठा समाज से आते हैं।
1930 की जनगणना के अनुसार, वर्तमान महाराष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र में मराठा समुदाय की आबादी 16.29 प्रतिशत (और कुनबी समुदाय 7.34 प्रतिशत) थी। 2024 में महाराष्ट्र में मराठा जाति की आबादी 2 करोड़ 11 लाख (यानी 16%) है।
1931 और 1945 के बीच, अधिकांश कुनबी समुदाय ने खुद को कुनबी कहना बंद कर दिया और खुद को मराठा कहना शुरू कर दिया। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार मराठों की जनसंख्या अलग-अलग बताई गई है। राणे कमेटी की रिपोर्ट में महाराष्ट्र में मराठा आबादी 32% बताई गई है।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, कुनबी और मराठा दोनों जातियाँ मिलकर महाराष्ट्र में 31 प्रतिशत आबादी बनाती हैं, जिसमें कुनबी 16 प्रतिशत और मराठा 15 प्रतिशत हैं। फरवरी 2024 में मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र राज्य मगसवर्ग आयोग की रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 फीसदी है।
मराठा समुदाय को अपर कास्ट यानी अगड़ी जाति माना जाता है, इसलिए इन्हें आरक्षण नहीं मिलता है। हालाँकि, यह समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है, कभी मराठा के रूप में स्वतंत्र आरक्षण के लिए तो कभी कुनबी के रूप में ओबीसी आरक्षण के लिए।
पूर्व उपप्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण और राजनीति का चाणक्य कहे जाने वाले दिग्गज राजनेता शरद पवार दोनों भी मराठा समुदाय से हैं।
2. महार जाति – 9 प्रतिशत
मराठा समुदाय के बाद, महार महाराष्ट्र में दूसरी सबसे बड़ी जाति है। महार समाज अब तक अनुसूचित जातियों में सबसे बड़ा, सबसे व्यापक और सबसे महत्वपूर्ण है। महार जाति में जन्मे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने जब 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया तो उनके साथ लगभग पूरा महार समुदाय भी बौद्ध बन गया।
1980 के दशक की शुरुआत में, महार समुदाय महाराष्ट्र की कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत था, तथा कुल अनुसूचित जाति (दलितों) की आबादी का लगभग 70% हिस्सा था। 2024 में महाराष्ट्र में महार जाति की आबादी 1 करोड़ 18 लाख (यानी 9%) है।
2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित महारों की आबादी 80.06 लाख थी, जो राज्य की कुल आबादी का 7.12 प्रतिशत और कुल अनुसूचित जाति की आबादी का 60.31 प्रतिशत थी। 80.06 लाख यह आंकड़ा ‘सभी महारों’ का नहीं बल्कि केवल ‘एससी महारों’ का है। महार समुदाय तीन प्रमुख समूहों में विभाजित है – एससी महार, गैर-एससी महार और पूर्व महार। बौद्ध, हिंदू और सिख धर्म को माननेवाले महार एससी हैं; इस्लाम और ईसाइयत तथा अन्य धर्म को माननेवाले महार गैर-एससी हैं; पूर्व महार यानि वो लोग जो महार पृष्ठभूमि से है (और बौद्ध बने हैं) जो खुद को अब महार (हिंदू पहचान के रूप में) नहीं मानते।
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 63 निर्वाचन क्षेत्रों में दलित – महार जाति का वर्चस्व हैं, जबकि सौ से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में महार समुदाय के वोट निर्णायक हो सकते हैं।
गणराज्य भारत के निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, न्यायविद् हरीश सालवे, अर्थशास्त्री सुखदेव थोरात, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले महार समुदाय के लोग हैं।
3. माली जाति – 8 प्रतिशत
मराठा और महार के बाद महाराष्ट्र में तीसरा सबसे बड़ा समुदाय माली (माळी) समुदाय है। 1931 की जनगणना के अनुसार, माली समुदाय महाराष्ट्र की वर्तमान भौगोलिक सीमाओं के भीतर 8 प्रतिशत आबादी का गठन करता था। हालाँकि, इस समुदाय के नेताओं का दावा है कि राज्य में माली जाति की आबादी 11 से 12 प्रतिशत है।
माली जाति ओबीसी श्रेणी में सबसे बड़ा समूह है। महाराष्ट्र विधानसभा के 40 निर्वाचन क्षेत्रों में माली जाति का वर्चस्व है जबकि 100 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में माली समुदाय के वोट निर्णायक हो सकते हैं।
2024 में महाराष्ट्र में माली जाति की आबादी 1 करोड़ 5 लाख (यानी 8%) है। महान समाज सुधारक महात्मा जोतिराव फुले और वर्तमान सांसद अमोल कोल्हे माली समुदाय से आते हैं।
4. कुणबी जाति – 7 प्रतिशत
कुनबी या कुणबी महाराष्ट्र की चौथी सबसे बड़ी जाति है। कुनबी समुदाय महाराष्ट्र के वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र का 7.34 प्रतिशत हिस्सा है। 1931 और 1945 के बीच, अधिकांश कुणबी समुदाय ने खुद को कुनबी कहना बंद कर दिया और खुद को मराठा कहना शुरू कर दिया।
कुनबी जाति ओबीसी श्रेणी से संबंधित है और माली के बाद सबसे बड़ा ओबीसी जातिसमूह भी है। कुछ रिपोर्टों में महाराष्ट्र में कुनबियों की संख्या 15 से 16 प्रतिशत बताई गई है। 1990 के दशक में, लेले ने नोट किया कि मराठा और कुनबी जातियाँ दोनों मिलकर पूरे महाराष्ट्र में 31% आबादी बनाते हैं।
2024 में महाराष्ट्र में कुनबी जाति की आबादी 92 लाख (यानी 7%) है। भारत के महान शासक शिवाजी महाराज तथा संत तुकाराम कुणबी समुदाय से आते हैं।
5. धनगर जाति – 4 प्रतिशत
धनगर महाराष्ट्र की पांचवीं सबसे बड़ी जाति है। 1931 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य में धनगर समुदाय की जनसंख्या 4 प्रतिशत थी। लेकिन इस समुदाय के नेताओं का दावा है कि राज्य में 10 प्रतिशत लोग धनगर हैं।
2024 में महाराष्ट्र में धनगर जाति की आबादी 53 लाख (यानी 4%) है। रानी अहिल्यादेवी होलकर धनगर समुदाय से थीं।
महाराष्ट्र के 8 निर्वाचन क्षेत्रों में धनगरों की बड़ी आबादी है और कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में इस समुदाय के वोट निर्णायक हैं। वर्तमान में, अकेले धनगर समुदाय को राज्य में विमुक्त या घुमंतू श्रेणी (एनटी-सी) से 3.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। लेकिन धनगर समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किया जाए।
महाराष्ट्र की पांच सबसे बड़ी जातियों में मराठा को छोड़कर अन्य चार को आरक्षण का लाभ मिलता है। महार को छोड़कर अन्य चार जातियों में हिंदू धर्म को माननेवाले बहुसंख्यक है। सभी पांच जातियों की भाषा मराठी है।