भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या कितनी है?

भारत में बौद्ध धर्म का उदय हुआ और सम्राट अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म भारत का राजकीय धर्म था। हालाँकि, तेरहवीं शताब्दी के बाद, बौद्ध धर्म भारत में अल्पसंख्यक बन गया। वर्तमान भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या कितनी है (buddhist population in india) – आज भारत में बुद्ध धम्म का अस्तित्व क्या है? इसकी बुनियादी जानकारी हम इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे। भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या 2023

  हा लेख मराठीत वाचा  

Buddhist population in India

भारत में बौद्ध धर्म का इतिहास – तथागत बुद्ध एक भारतीय थे और बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई थी। बाद में बौद्ध धर्म भारत में सबसे बड़ा धर्म बन गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1 करोड़ या ~ 1% बौद्ध हैं (2022 की आबादी को देखते हुए); हालांकि कुछ अन्य दावों के मुताबिक देश में 5 से 6 करोड़ बौद्ध हैं। इस लिहाज से तो चीन और जापान के बाद भारत तीसरा सबसे अधिक बौद्ध आबादी वाला देश होगा।

भारत में बौद्ध धर्म के प्रसार – प्राचीन भारत में, कई राजाओं ने बौद्ध धम्म को राजाश्रय दिया था। इसलिए, बौद्ध धर्म लंबे समय तक देश में प्रमुख धर्म बना रहा। यह धर्म तेरहवीं शताब्दी तक देश में बहुमत में मौजूद था।

भारत में बौद्ध धर्म का पतन – दसवीं शताब्दी से भारत में बौद्ध धर्म का पतन होना शुरू हुआ, और तेरहवीं शताब्दी के बाद बौद्ध धर्म भारत में अल्प मत में आ गया। भारत में बौद्ध धर्म का पतन होने के विभिन्न कारण थे जैसे ब्राह्मणवाद (हिन्दू धर्म) द्वारा विरोध, इस्लामी शासकों के हमले और भिक्षु संघ के भीतर मतभेद। लेकिन यह (बौद्ध धर्म) बहुमत में हिमालय और पूर्वोत्तर भारत में हमेशा से ही जीवित रहा – बुद्ध के समय से लेकर आज तक। बुद्ध ने अपने जीवनकाल में करीब 1 लाख लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षादी थी।

क्या बौद्ध अनुयायी पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारतीय क्षेत्रों तक ही सीमित थे? इसका उत्तर है नहीं। ब्रिटिश राज में, बौद्ध धर्म भारत के लगभग सभी अन्य राज्यों में प्रचलित था, लेकिन बहुत कम संख्या में। और आप इसे तब जानेंगे जब आप 1951 की जनगणना में बौद्ध धर्म की स्थिति को देखेंगे (जब बाबासाहेब ने उन्हें सामूहिक रूप से परिवर्तित नहीं किया था)। buddhist population in india

 

भारत में बौद्धों की आबादी

जनगणनाओं के अनुसार भारत में बौद्धों संख्या निम्नलिखित है:

वर्ष

बौद्ध

प्रमाण

वृद्धी

1951

1,80,823

0.05%

-

1961

32,50,227

0.74%

1,697.5%

1971

38,12,325

0.70%

17.3%

1981

47,20,000

0.71%

23.8%

1991

63,88,000

0.76%

35.3%

2001

79,55,207

0.77%

24.5%

2011

84,42,972

0.70%

6.1%

2021

-

-

-

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के धम्म दीक्षा (1956) लेने से पहले, 1951 की जनगणना के अनुसार, भारत में केवल 1,80,823 बौद्ध थे। जिनमें से उत्तर प्रदेश में 3,221; महाराष्ट्र में 2,489; मध्य प्रदेश में 2,291; कर्नाटक में 1,710; पंजाब में 1,550; दिल्ली 500 और बाकी अधिकांश पूर्वोत्तर भारत के बौद्ध थे। 1951 से 1961 इस दशक में, महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या शेष भारत की बौद्ध आबादी से अधिक हुई थी, यानि 1951 के बौद्धों की संख्या 2,487 से 1961 में 27,89,501 तक पहुंची थी!

1951 में, महाराष्ट्र में 0.01% के साथ केवल 2,489 बौद्ध थे। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के महान सामूहिक बौद्ध धर्मांतरण के बाद 1961 में यह संख्या 1,15,991% बढ़कर 27,89,501 हो गई थी। इसका मुख्य कारण बोधिसत्व डॉ. आंबेडकर द्वारा 1956 में किया गया “धम्मचक्र प्रवर्तन” था। भारत में महाराष्ट्र राज्य में बौद्ध सबसे ज्यादा है।

 

बाबासाहब का बौद्ध धर्मांतरण – 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में 5 लाख, 15 अक्टूबर को 3 लाख, 16 अक्टूबर को चंद्रपुर में 3 लाख, अकोला में 500 लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। इन तीन दिनों में ही 10 लाख+ लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1961 की जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्धों की संख्या 32,50,227 (1951 की जनसंख्या के 1,671% की वृद्धि) थी, जिनमें से अकेले महाराष्ट्र में 27,89,581 बौद्ध थे।

भारत में कौन से राज्य में बौद्ध सबसे ज्यादा है? – 1971 में, बौद्धों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी, और उस समय भारत में बौद्धों की कुल जनसंख्या केवल 38,12,325 थी। उनमें से 85% से कुछ अधिक बौद्ध (32,50,227) महाराष्ट्र में थे। इससे स्पष्ट है कि यद्यपि धर्मांतरण आंदोलन शुरू होने के बाद महाराष्ट्र के बाहर कई धर्मांतरण हुए, लेकिन अन्य अछूत जातियों और जनजातियों ने महार समुदाय (जो महाराष्ट्र की आबादी का लगभग 9% से 10% हैं) की तरह बहुत बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्मांतरण आंदोलन में भाग नहीं लिया।

 

भारत के किस राज्य में बौद्ध जनसंख्या सर्वाधिक निवास करती है – महार समुदाय महाराष्ट्र में कुल अनुसूचित जाति की आबादी का लगभग 70% है। धर्मांतरण के कारण वे 35% बौद्ध और 35% हिंदू महारों में विभाजित हो गए। 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में 1.32 करोड़ अनुसूचित जातियों की आबादी में महार 58% हैं, जिनमें से कुछ धार्मिक रूप से ‘बौद्ध’ और कुछ ‘हिंदू’ के रूप में पंजीकृत हैं। 12% भुतपूर्व महारों ने जनगणना में अपनी [महार] हिंदू पहचान को पीछे छोड़ दिया और खुद को केवल ‘बौद्ध’ कहा।

1971 में, बौद्धों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी, और उस समय भारत में बौद्धों की कुल जनसंख्या केवल 38,12,325 थी। इससे स्पष्ट है कि यद्यपि धर्मांतरण आंदोलन शुरू होने के बाद महाराष्ट्र के बाहर कई धर्मांतरण हुए, लेकिन अन्य अछूत जातियों और जनजातियों ने महार समुदाय की तरह बहुत बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्मांतरण आंदोलन में भाग नहीं लिया।

 

अब ये सरकारी जनगणना के आंकड़े बिल्कुल सटीक नहीं हैं। नव परिवर्तित बौद्धों के आंकड़े गलत हैं, इसका विश्वास बौद्ध नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को गया था। वास्तव में भारत की बौद्ध जनसंख्या जनगणना के आंकड़ों से कई गुना अधिक थी। एक संदर्भ के अनुसार, मार्च 1959 तक, लगभग 1.50 से 2 करोड़ अछूतों ने धर्मांतरण कर लिया था, जो भारत की कुल जनसंख्या का 4.5% था। (1961 में भारत की कुल जनसंख्या 44.90 करोड़ थी।) आधिकारिक आंकड़ों और वास्तविक बौद्ध आंकड़ों के बीच विसंगति के दो कारण थे।

पहला कारण यह है कि चूंकि अधिकांश जनगणना कर्मचारी स्वयं हिंदू थे, इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्मांतरण आंदोलन की सीमाओं और महत्व को कम करने के लिए जानबूझकर कई बौद्धों को गलत तरीके से हिंदू के रूप में पंजीकृत किया। 1951 में आजादी के बाद पहली जनगणना के समय बौद्ध भिक्षु महास्थवीर संघरक्षित के विरोध करने के बावजूद भी उन्हें ‘धर्म से हिंदू और जाति से बौद्ध’ पंजीकृत किया गया था।

दूसरा कारण यह है कि बहुत से दलित जिन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, उन्होंने जनगणना के समय यह नहीं कहा कि वे ‘बौद्ध’ हैं। इसलिए सरकारी दस्तऐवजों में उन्हें बौद्ध के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सका। कुछ खुले तौर पर खुद को बौद्ध घोषित करने से डरते थे, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें हिंसक हिंदुओं से उत्पीड़न का डर था। उस समय, धर्म परिवर्तित बौद्धों पर हिंदुओं द्वारा हमले किए गए थे और कई बौद्धों की हत्या भी कर दी गई थी। तथा, कुछ लोग स्वयं को बौद्ध घोषित करने से इसलिए हिचकते थे क्योंकि उन्हें छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण और अन्य सरकारी लाभों को छोड़ना पड़ता।

 

भारत में बौद्ध धर्म कितने प्रतिशत है – एक सर्वेक्षण के अनुसार, 1959 में भारत की 4.5% जनसंख्या बौद्ध थी। 1961 से 2021-22 तक 60 वर्षों की लंबी अवधि के दौरान, लाखों लोग हर साल बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए हैं। इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बौद्ध आबादी कम से कम 0.5% – 1% से बढ़कर 5% – 5.5% हो गई होगी। 2011 में भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी और जनसंख्या का कम से कम 5.5% हिस्सा (6 करोड़ से 6.50 करोड़) बौद्ध था। यह संख्या भारत में हिंदू और इस्लाम धर्म के बाद तीसरे स्थान पर है। भारत में बौद्धों की कुल संख्या ईसाई, सिख और जैनियों की संख्या से अधिक है।

बौद्ध धर्म दुनिया का दूसरा या तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला धर्म है। विश्व में बौद्धों की संख्या 180 करोड़ से अधिक है, उसकी तुलना में भारत में बौद्धों की संख्या बहुत कम है। विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले चीन में भी बौद्ध आबादी 50% से 80% (79-120 करोड़) है।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने 1956 में अपने एक भाषण में कहा था कि मैं 2 साल में देश में 5 करोड़ बौद्ध बनाऊंगा। यानि बाबासाहेब 1959 तक, भारत में 5 करोड़ लोगों को बौद्ध बनाने की बात कर रहे थे, जो देश की आबादी का 15% हिस्सा था। लेकिन आज 70 साल बाद भी देश में 15% लोग बौद्ध नहीं हैं! आधिकारिक तौर पर भी भारत में 5 करोड़ बौद्ध नहीं हैं।

बाबासाहेब ने बौद्ध धर्म के रूप में दलितों और शोषितों को मुक्ति का रास्ता दिया लेकिन आज कितने दलित और पिछड़े वर्ग के लोग बौद्ध बन गए हैं? 2011 में, देश में अनुसूचित जाति और जनजाति की संख्या 31 करोड़ है लेकिन बौद्धों की संख्या बहुत कम है। प्रत्येक आंबेडकरवादी को अपने कर्मों द्वारा बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिखाए गए बुद्ध धम्म के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए और एक आधिकारिक बौद्ध भी बनना चाहिए।

 

महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र के तत्कालीन सामाजिक न्याय मंत्री (2014 से 2019) राजकुमार बडोले ने केंद्र सरकार के अनुसूचित जातिओं (एससी) के मिलने वाले लाभ, देश भर के ‘अनुसूचित जाति के बौद्धों’ को भी दिलाने के लिए प्रयास किये थे। उन्होंने तब कहा था कि पूरे भारत में करीब पांच करोड़ बौद्ध हैं। चूँकि परिवर्तित बौद्धों की यह गलत धारणा है कि बौद्धों को अनुसूचित जाति के विशेषाधिकार नहीं मिलते हैं यदि वे जनगणना, स्कूल प्रमाण पत्र या जाति प्रमाण पत्र पर अपने धर्म को ‘बौद्ध धर्म’ के रूप में पंजीकृत करते हैं। इसलिए तो वे जनगणना में खुद को बौद्ध के रूप में पंजीकृत नहीं करते हैं। नतीजतन, देश में बौद्धों की संख्या आधिकारिक जनगणना से चार से पांच गुना कम दिखाई देता है।

नागार्जुन सुरई ससाई, भारत के एक प्रसिद्ध और महान भिक्षु हैं जो जापान से भारत आए है। उन्होंने बाबासाहेब के धार्मिक आंदोलन को गति दी, महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए संघर्ष किया और वर्तमान में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक दीक्षा भूमि समिति के अध्यक्ष हैं। उनका दावा है कि भारत में 10 करोड़ से अधिक बौद्ध हैं।

 

बौद्ध जनसंख्या – 2011 की जनगणना

File:District wise Buddhist population percentage, India census 2011.png
2011 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या का जिलावार %

भारत में बौद्ध धर्म की मुख्य रूप से कितनी शाखाएं हैं? तथा भारत में बौद्ध धर्म कितने भागों में बट गया?

2001-11 के दौरान, सिख और जैन जैसे बौद्ध भी, हिंदुओं की तुलना में बहुत कम दर से बढ़े। भारत में बौद्धों के दो प्रमुख वर्ग हैं – नव-बौद्ध (87%) और पारंपरिक बौद्ध (13%)।

पहला वर्ग – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में अनुसूचित जनजाति; लद्दाख और उत्तरी हिमाचल प्रदेश में; और, दार्जिलिंग और सिक्किम के लोग पारंपरिक बौद्ध समुदायों का एक छोटा वर्ग हैं। 2011 में कुल 84 लाख बौद्धों की गणना की गई, जिनमें से 11 लाख को इस श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।

दूसरा वर्ग (नवयान बौद्ध धर्म) – बौद्धों का सबसे बड़ा वर्ग जो 1951 के बाद डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रभाव में बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए बौद्धों का हैं, जिन्हें आंबेडकरवादी बौद्ध या नव-बौद्ध भी कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 73 लाख आंबेडकरवादी बौद्ध हैं, जिनमें से केवल 65 लाख (90%) महाराष्ट्र में हैं। आधिकारिक तौर पर, महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का लगभग 6% बौद्ध हैं। शेष 9 लाख नव-बौद्ध मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पंजाब के साथ-साथ हरियाणा और दिल्ली जैसे छोटे उत्तरी राज्यों में हैं।

 

भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या – 2011 की जनगणना के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, भारत में 84 लाख से अधिक बौद्ध हैं और उनमें से 87% आंबेडकरवादी बौद्ध हैं। उन्होंने अन्य धर्मों से धर्मांतरण किया है। वे मुख्य रूप से दलित (अनुसूचित जाति) हैं, जिन्होंने जाति व्यवस्था से बचने के लिए हिंदू धर्म का त्याग किया है। शेष 13% बौद्ध पूर्वोत्तर और उत्तरी हिमालयी क्षेत्र – थेरवाद, महायान और वज्रयान में पारंपरिक बौद्ध समुदायों के अनुयायी हैं।

बौद्ध धर्म सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग पर्वत और ऊपरी हिमाचल प्रदेश में लाहौल और स्पीति क्षेत्रों में प्रमुख है। इसके अलावा, बौद्ध अवशेष आंध्र प्रदेश में भी पाए जाते हैं, जो महायान बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है। पिछले सौ वर्षों से भारत में बौद्ध धर्म पुनर्जीवित हो रहा है, क्योंकि कई भारतीय बुद्धिजीवियों ने बौद्ध, तिब्बती शरणार्थियों को स्थलांतर किया और लाखों हिंदू दलितों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर दिया है।

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या में 0.7% या 85 लाख बौद्ध हैं। अन्य रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय आबादी का 5% से 6% (6-7 करोड़) बौद्ध हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत के सिक्किम (27.39%), अरुणाचल प्रदेश (11.77%), मिजोरम (8.51%), महाराष्ट्र (5.81%), त्रिपुरा (3.41%) और हिमाचल प्रदेश (1.10%) इन छह राज्यों में बौद्ध आबादी 1% से अधिक है। 2019 में बने लदाख (UT) में 40% बौद्ध हैं।

 

बौद्ध आबादी में गिरावट (2001-2011) –

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 2001 से 2011 के बीच महाराष्ट्र राज्य में बौद्ध आबादी 6 लाख (59 लाख से 65 लाख) बढ़ी है; जबकि इसी बीच भारत देश की बौद्ध जनसंख्या 5 लाख (79 लाख से 84 लाख) बढ़ी है! एक राज्य में बौद्धों की जनसंख्या 5 लाख से बढ़ती है, मगर देश की बौद्ध जनसंख्या महज 4 लाख की वृद्धि देखने को मिलती है। ऐसा क्यों और कैसे हुआ है?

देश में बौद्धों का प्रतिशत 1961 में 0.74% था और 2011 में यह घटकर 0.70% हो गया है, जो 0.04% की कमी है। 2001 और 2011 के बीच, उत्तर प्रदेश (3,14,400 से 2,21,200), कर्नाटक (3,93,300 से 95,710), दिल्ली (23,700 से 18,450) पंजाब (41,490 से 33,240) और, जम्मू और कश्मीर (1,13,800 से 1, 12,600) इन 5 राज्यों में बौद्ध आबादी में गिरावट आई है।

 

बौद्ध धर्म किस कैटेगरी में आता है?

आरक्षण की दृष्टि से, बौद्ध धर्म किसी एक कैटेगरी में नहीं आता है। दरसल, भारत में बौद्ध धर्म के अनुयाई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), खुला वर्ग (ओपन), तथा अल्पसंख्यकः इन सभी कैटेगरी में आते हैं। लेकिन, भारत में अधिकांश बौद्ध लोग अनुसूचित जाति की कैटेगरी में आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल बौद्ध आबादी में 68% (57.57 लाख) ऐसे बौद्ध है, जो अनुसूचित जाति (SC) से आते हैं। अन्य 32% बौद्ध अनुसूचित जनजाति (ST), ओबीसी एवं खुला वर्ग से आते है।

 

बौद्ध दीक्षा का आयोजन

18 जनवरी, 2021 को विश्व बुद्ध धम्म संघ की हसन जिला इकाई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राज्य अध्यक्ष एम वेंकटस्वामी ने कहा, “डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को पांच लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस धम्मदीक्षा कार्यक्रम की 65 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, हम उस दिन (अक्टूबर 2021) बैंगलोर (कर्नाटक) में एक मेगा कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं जहां दस लाख लोग बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो जाएंगे।” हालाँकि, कोरोना महामारी के बीच ये संभव नहीं हो पाया, लेकिन भविष्य में यह आयोजन होगा। (संदर्भ)

दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने भी 2025 तक भारत में 10 करोड़ बौद्धों को धर्मांतरित करने का संकल्प किया है। इसके लिए राष्ट्रीय जनगणना में भी धर्म स्तम्भ में ‘हिन्दू’ के स्थान पर ‘बौद्ध’ लिखने का संकल्प करना आवश्यक है। (संदर्भ)

बाबासाहेब के प्रपोत्र राजरत्न आंबेडकर ने भी करोड़ो लोगों को बौद्ध धर्म की दीक्षा देने का फैसला किया है।

भारत के सबसे बड़े बौद्ध का नाम क्या है? – भगवान बुद्ध, सम्राट अशोक, और बाबासाहेब आंबेडकर


2011 की जनगणना के अनुसार, भारत के राज्यों में बौद्धों की संख्या निम्नलिखित है:

State Total Population Buddhist Population Buddhist % Significance
Sikkim 610,577 167,216 27.39 % Significant
Arunachal Pradesh 1,383,727 162,815 11.77 % Significant
Mizoram 1,097,206 93,411 8.51 % Significant
Maharashtra 112,374,333 6,531,200 5.81 % Significant
Tripura 3,673,917 125,385 3.41 % Minority
Himachal Pradesh 6,864,602 78,659 1.15 % Negligible
Jammu and Kashmir 12,541,302 112,584 0.90 % Negligible
Nagaland 1,978,502 6,759 0.34 % Negligible
Meghalaya 2,966,889 9,864 0.33 % Negligible
West Bengal 91,276,115 282,898 0.31 % Negligible
Madhya Pradesh 72,626,809 216,052 0.30 % Negligible
Chhattisgarh 25,545,198 70,467 0.28 % Negligible
Manipur 2,855,794 7,084 0.25 % Negligible
Assam 31,205,576 54,993 0.18 % Negligible
Dadra and Nagar Haveli 343,709 634 0.18 % Negligible
Karnataka 61,095,297 95,710 0.16 % Negligible
Uttarakhand 10,086,292 14,926 0.15 % Negligible
Punjab 27,743,338 33,237 0.12 % Negligible
Delhi 16,787,941 18,449 0.11 % Negligible
Chandigarh 1,055,450 1,160 0.11 % Negligible
Uttar Pradesh 199,812,341 206,285 0.10 % Negligible
Andaman and Nicobar Islands 380,581 338 0.09 % Negligible
Daman and Diu 243,247 217 0.09 % Negligible
Goa 1,458,545 1,095 0.08 % Negligible
Gujarat 60,439,692 30,483 0.05 % Negligible
Andhra Pradesh + Telangana 84,580,777 36,692 0.04 % Negligible
Puducherry 1,247,953 451 0.04 % Negligible
Orissa 41,974,218 13,852 0.03 % Negligible
Jharkhand 32,988,134 8,956 0.03 % Negligible
Haryana 25,351,462 7,514 0.03 % Negligible
Bihar 104,099,452 25,453 0.02 % Negligible
Tamil Nadu 72,147,030 11,186 0.02 % Negligible
Rajasthan 68,548,437 12,185 0.02 % Negligible
Lakshadweep 64,473 10 0.02 % Negligible
Kerala 33,406,061 4,752 0.01 % Negligible

संदर्भ

 

ये भी पढ़े –

 


(धम्म भारतचे सर्व अपडेट्स मिळवण्यासाठी तुम्ही आम्हाला Facebookवर नक्की फॉलो करा.)

One thought on “भारत में बौद्ध धर्म की जनसंख्या कितनी है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *