महाराष्ट्र में कई जातियाँ या सामाजिक समूह हैं, जिनमें मराठा, महार, माली, कुनबी और धनगर पाँच प्रमुख हैं। राज्य में मराठों के बाद महार दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है! राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 16% से 27% है जबकि महार समुदाय की आबादी 7% से 9% है।
महाराष्ट्र और उसके पड़ोसी राज्यों में महार समुदाय की बड़ी आबादी है। भारत के 15 से अधिक राज्यों में महार जाति को ‘अनुसूचित जाति’ का दर्जा दिया गया है। महार दो राज्यों महाराष्ट्र (60%) और गोवा (50%) में अनुसूचित जातियों में सबसे बड़ा समुदाय है।
यह लेख भारत की 2011 की जनगणना के आधिकारिक आंकड़ों का उपयोग करके महाराष्ट्र में महार आबादी के बारे में विस्तृत और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। भारत में 2021 में जनगणना नहीं हुई है, इसलिए हमारे पास 2011 की जनगणना के नवीनतम आंकड़े हैं।
महारों के तीन वर्ग
महार जाति का पेशा क्या है : परंपरागत रूप से, महार गाँव के बाहर रहते थे और पूरे गाँव के लिए विभिन्न प्रकार के सेवा कार्य करते थे। उन्होंने रक्षकों, दूतों, दीवारों की मरम्मत, सीमा विवादों को निपटाने, सड़कों को साफ करने और मृत जानवरों को उठाने का काम किया। महार खेतिहर मजदूर के रूप में भी काम करते थे और कुछ के पास ज़मीन भी थी, हालाँकि वे मूलतः किसान नहीं थे।
चूंकि महार अछूत थे, इसलिए उन्हें विभिन्न भेदभाव, अन्याय और अत्याचारों का सामना करना पड़ा। आधुनिक भारत के निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर महार समुदाय से थे।
महार समुदाय को निम्नलिखित तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। अनुसूचित जाति (एससी) महार सबसे बड़ा समूह है।
- एससी महार
- हिंदू महार : जो जनगणना में धर्म को हिंदू धर्म और जाति को महार बताते हैं।
- बौद्ध महार : जो जनगणना में धर्म को बौद्ध धर्म और जाति को महार के रूप में दर्ज करते हैं।
- सिख महार : जो जनगणना में धर्म को सिख धर्म और जाति को महार के रूप में दर्ज करते हैं।
- गैर-एससी महार : जो धर्म को ईसाई या इस्लाम और जाति को महार बताते हैं।
- पूर्व महार : जो धर्म को बौद्ध धर्म के रूप में दर्ज करते हैं लेकिन जनगणना में जाति [महार] को दर्ज नहीं करते हैं।
महार जाति की जनसंख्या
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या में लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलितों की यानि अनुसूचित जातियों की है। इसमें महार समुदाय की क़रीब 1 करोड़ आबादी है। महार समुदाय की सबसे ज़्यादा आबादी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में है। ये कुछ संख्या में गोवा, तेलंगना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात में भी बसे हैं। इनकी भाषा मराठी, वरह्दी, खानदेशी भाषा, कोंकणी, एवं हिन्दी है। महाराष्ट्र में दलित 12 प्रतिशत है उनमें से 7 प्रतिशत महार हैं।
1980 के दशक की शुरुआत में, महार समुदाय महाराष्ट्र की कुल आबादी का 9 प्रतिशत था, जो राज्य में कुल अनुसूचित जाति की आबादी का लगभग 70 प्रतिशत था।
2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित महारों की आबादी 80.06 लाख थी, जो राज्य की कुल आबादी का 7.12 प्रतिशत और कुल अनुसूचित जाति की आबादी का 60.31 प्रतिशत थी। यह समझना महत्वपूर्ण है कि 80.06 लाख का आंकड़ा ‘सभी महारों’ का नहीं बल्कि केवल ‘एससी महारों’ का है, इसमें गैर-एससी महार और पूर्व महार इन दोनों समूहों की जनसंख्या नहीं जोड़ी गई। कुल महारों की आबादी 1 करोड़ से अधिक है।
एससी महार या अनुसूचित जाति महार का अर्थ है एक महार जिसका ‘धर्म’ तीन हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म या सिख धर्म में से एक है। राज्य में कुछ ‘ईसाई महार’ और ‘मुस्लिम महार’ भी हैं, लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें ‘अनुसूचित जाति’ नहीं माना जाता है। इसलिए उन्हें जनगणना में ‘एससी’ के रूप में पंजीकृत नहीं किया गया और उन्हें अनुसूचित जाति महार आबादी में नहीं गिना गया। इसके अलावा, जनगणना में महार आबादी में ‘पूर्व महारों’ को भी नहीं गिना, जिन्होंने अपना ‘धर्म’ बौद्ध बताया था, लेकिन अपनी ‘[अनुसूचित] जाति’ महार नहीं बताई थी।
महार, जो ईसाईयत, इस्लाम या इतर धर्म को मानते है, और पूर्व महार की आबादी 15 से 20 लाख तक हो सकती है। इस प्रकार इन सभी महारों की जनसंख्या 9 प्रतिशत है, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है। चूँकि गैर-अनुसूचित जाति महारों और पूर्व महारों के आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए हम केवल अनुसूचित जाति महारों की जनसंख्या को विस्तार से समझेंगे।
2024 में महाराष्ट्र में महार जनसंख्या
2024 में महाराष्ट्र की जनसंख्या 13,15,90,000 होने का अनुमान है। 2024 में महाराष्ट्र में महार आबादी लगभग 93,69,000 से 1,18,00,000 (या 7% से 9%) है।
अनुसूचित जातियों में महार
2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र की जनसंख्या 11.23 करोड़ है, जिसमें से 1.33 करोड़ (या 11.8%) अनुसूचित जाति हैं। महाराष्ट्र में कुल 59 अनुसूचित जातियाँ हैं, जिनमें से एक जाति महार है।
महार जाति उपनाम : महार जाति समूह – ‘महार, मेहरा, तराल, ढेगु-मेगु‘ महाराष्ट्र में अनुसूचित जातियों की सूची में 37वें नंबर पर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में महार आबादी 80,06,060 है, जो अनुसूचित जाति में 60.31% और राज्य में 7.12% है।
महार समुदाय में पुरुष 40,70,230 (या 50.84%) और महिलाएँ 39,35,830 (या 49.16%) शामिल थीं। अधिकांश महार ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। कुल महारों में से 47,64,174 (या 59.51%) ग्रामीण क्षेत्रों से थे और 32,41,886 (या 40.49%) शहरी क्षेत्रों से थे।
महाराष्ट्र में शीर्ष 5 सबसे बड़ी अनुसूचित जातियाँ (2011 की जनगणना के अनुसार) :
- महार जाति समूह – 80,06,060 (60.31%)
- मांग जाति समूह – 24,88,531 (18.74%)
- चमार जाति समूह – 14,11,072 (10.63%)
- भंगी जाति समूह – 2,17,166 (1.64%)
- ढोर जाति समूह – 1,16,287 (0.88%)
- शेष 54 जाति समूह – 10,36,782 (7.81%)
- कुल अनुसूचित जातियाँ – 1,32,75,898 (100%)
धर्म के अनुसार महारों की जनसंख्या
परंपरागत रूप से महार समुदाय को हिंदू माना जाता है। लेकिन इससे भी पहले, प्राचीन काल में महार समुदाय को नागा वंश का माना जाता है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। वर्तमान समय में लगभग सभी महार बौद्ध हैं, और नवयान बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। हालाँकि, कई ‘बौद्ध’ महारों को भारत की राष्ट्रीय जनगणना में धार्मिक रूप से हिंदू के रूप में दर्ज किया गया है!
कानूनी तौर पर, अनुसूचित जाति का व्यक्ति केवल धर्म से हिंदू, बौद्ध या सिख हो सकता है, इन तीनों के अलावा कोई और नहीं। इसलिए, अनुसूचित जाति की आबादी इन तीन धर्मों [हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म] में विभाजित है। 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र की 59 अनुसूचित जातियों में से 53 में बौद्ध पाए गए हैं। यानी लगभग सभी अनुसूचित जातियों में बौद्ध धर्म के माननेवाले हैं। जिन 6 अनुसूचित जातियों में बौद्ध नहीं हैं, उनमें 5 की कुल जनसंख्या 50 से कम तथा अन्य 1 की 100 से कम हैं। लेकिन महार एकमात्र ऐसी अनुसूचित जाति है जिसमें बौद्धों की संख्या हिंदुओं से अधिक है।
महाराष्ट्र में महार जनसंख्या – हालाँकि महार समुदाय का 99% हिस्सा बौद्ध है, समुदाय का एक बड़ा वर्ग (38%) 2011 की जनगणना में धर्म के अनुसार ‘हिंदू’ के रूप में दर्ज किया गया था। परिणामस्वरूप, राज्य में बौद्धों की संख्या काफी कम होती दिख रही है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, 2001 में 56 फीसदी महार बौद्ध थे, जो 2011 में बढ़कर 62 फीसदी हो गए। यानी इन दस सालों के दौरान 7 फीसदी महारों ने अपना धर्म ‘बौद्ध’ दर्ज कराया।
दूसरी ओर, 2001 और 2011 के बीच, हिंदू धर्म को अपने धर्म के रूप में पंजीकृत करने वाले महारों की संख्या 43.7% से घटकर 38.15% हो गई। यदि जनगणना 2021 में हुई होती, तो बौद्ध धर्म को अपने धर्म के रूप में पंजीकृत करने वाले महारों की संख्या निश्चित रूप से 70% से अधिक होती। अनुमान है कि अगले 2-3 दशकों में 90% तक महार आधिकारिक तौर पर ‘बौद्ध धर्म’ को अपने धर्म के रूप में पंजीकृत करेंगे।
2001 की जनगणना के अनुसार महारों की धर्मानुसार जनसंख्या [सन्दर्भ-1, 2]
- बौद्ध महार – 31,93,622 (56.24%)
- हिंदू महार – 24,81,971 (43.71%)
- सिख महार – 3,319 (0.06%)
- कुल महार – 56,78,912 (100%)
2011 की जनगणना के अनुसार महारों की धर्मानुसार जनसंख्या
- बौद्ध महार – 49,43,821 (61.75%)
- हिंदू महार – 30,54,158 (38.15%)
- सिख महार – 8,081 (0.10%)
- कुल महार – 80,06,060 (100%)
- 2001 से 2011 के बीच एससी महारों की कुल आबादी 23,27,148 बढ़ गई।
- 2001 से 2011 के बीच बौद्ध महारों की कुल आबादी 17,50,199 बढ़ गई।
- 2001 से 2011 के बीच महाराष्ट्रीयन बौद्धों की कुल जनसंख्या में 6,92,490 की वृद्धि हुई।
2001 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल बौद्ध आबादी का 54.70% महार थे। 2011 की जनगणना में यह अनुपात बढ़कर 75.70% हो गया। 2001 से 2010 के दशक के दौरान बौद्ध महारों की जनसंख्या में 17.50 लाख की वृद्धि हुई, लेकिन कुल बौद्ध जनसंख्या में केवल 6.92 लाख की वृद्धि हुई।
- 2001 में महाराष्ट्र में बौद्ध आबादी – 58,38,710
- 2011 में महाराष्ट्र में बौद्ध आबादी – 65,31,200
2011 की जनगणना के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2011 में महाराष्ट्र में कुल 65,31,200 बौद्ध थे, जिनमें से 75.70 प्रतिशत (49,43,821) सीधे महार समुदाय से थे, जबकि शेष 24.30% (15,87,379) गैर-महार बौद्ध थे।
2001 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति की धर्मानुसार जनसंख्या [संदर्भ – 1, 2 ]
- एससी हिंदू : 66,21,529 (67%)
- एससी बौद्ध : 32,54,144 (32.9%)
- एससी सिख : 5,983 (0.1%)
- एससी कुल : 98,81,656 (100%)
2011 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति की धर्मानुसार जनसंख्या[संदर्भ]
- एससी हिंदू : 80,60,130 (60.71%)
- एससी बौद्ध : 52,04,284 (39.20%)
- एससी सिख : 11,484 (0.09%)
- एससी कुल : 1,32,75,898 (100%)
2001 से 2011 के बीच अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या में 33,94,242 की वृद्धि हुई।
राज्य में कुल अनुसूचित जाति बौद्ध आबादी 52,04,284 है, जिनमें से 49,43,821 (या 95%) अकेले महार जाति से हैं। शेष 2,60,463 (या 5%) एससी बौद्ध अन्य 52 अनुसूचित जातियों से संबंधित हैं।
राज्य में अनुसूचित जाति के तीन धार्मिक समूहों, अर्थात् हिंदू, बौद्ध और सिखों में से सबसे बड़ी आबादी महारों की है। एससी हिंदुओं में महार सबसे अधिक 38% हैं, तथा महार लोग एससी बौद्धों में 95% और एससी सिखों में 70% हैं।
बौद्ध महारों को ‘हिंदू’ के रूप में दर्ज किए जाने के दो प्रमुख कारण
1) बौद्धों को डर (भ्रम) है कि यदि हिंदू धर्म को महार जाति के साथ पंजीकृत नहीं किया गया, तो अनुसूचित जाति के लिए उनका आरक्षण रद्द कर दिया जाएगा और वे आरक्षण के लाभ या रियायतों का आनंद नहीं ले पाएंगे। इसलिए बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लाखों महार जनगणना, स्कूल प्रमाणपत्रों और अन्य जगहों पर अपने धर्म को ‘हिंदू धर्म’ के रूप में दर्ज करते हैं।
2) कुछ बौद्धों को यह भी गलतफहमी है कि यदि महार को एक जाति के रूप में पंजीकृत किया जाना है तो उसका ‘धर्म’ केवल हिंदू धर्म है। क्योंकि, उनके अनुसार महार एक जाति है और जाति हिंदू धर्म में है। वस्तुतः महार लोग लगभग सभी प्रमुख धर्मों में पाए जाते है।
यदि ‘हिन्दू’ महारों को ‘बौद्ध’ के रूप में दर्ज किया गया होता तो…
यदि 30.54 लाख हिंदू महारों को बौद्ध महार के रूप में पंजीकृत किया जाता, तो अनुसूचित जाति में बौद्धों की संख्या बढ़ जाती और हिंदुओं की संख्या घट जाती।
- एससी बौद्ध: 82,58,442 (62.21%)
- एससी हिंदू: 50,05,972 (37.71%)
- एससी सिख: 11,484 (0.09%)
- कुल एससी: 1,32,75,898 (100%)
यदि 2011 की जनगणना में हिंदू के रूप में दर्ज 38% या 30.54 लाख महारों को बौद्ध के रूप में दर्ज किया गया होता, तो कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होते।
1) महाराष्ट्र राज्य में बौद्ध महारों और हिंदू महारों की संयुक्त जनसंख्या ’80 लाख [बौद्ध महार]’ से अधिक होती। यानि लगभग सभी महार बौद्ध हो गए होते।
2) महाराष्ट्र में, अनुसूचित जाति में 80.60 लाख (या 61%) दलित हिंदू और 52.04 लाख दलित बौद्ध (या 39%) का अनुपात बदल कर 82.58 लाख (या 62%) दलित बौद्ध और 50.06 लाख (या 38%) दलित हिंदू हो गया होता।)। यानी अनुसूचित जाति में हिंदू और बौद्ध समुदायों की आबादी उलट पुलट हो जाती।
3) राज्य में कुल बौद्ध आबादी 65,31,200 से बढ़कर 95,85,358 हो गई होती। बौद्धों का अनुपात 5.8 प्रतिशत से बढ़कर 8.53 प्रतिशत हो गया होता। इस समय राज्य में कुल हिंदू भी 79.80% से 77.30% हो गए होते.
4) भारत की बौद्ध आबादी 84 लाख (या 0.70%) से बढ़कर 1 करोड़ 15 लाख (या 0.95%) हो गई होती। लेकिन फिर भी, देश की आबादी में 1% बौद्ध होने के लिए, अन्य 7 लाख बौद्ध लोग कम पड़ गए होते।
हममें जाना कि 2011 में राज्य में 80 लाख महार है। इसके अलावा 10 से 12 लाख पूर्व महार हैं जिन्होंने जनगणना में खुद को ‘महार’ के रूप में पंजीकृत नहीं कराया है। उन्होंने ‘बौद्ध’ को केवल धर्म के कॉलम में दर्ज किया, और अनुसूचित जाति के कॉलम को खाली छोड़ दिया, उसमें ‘महार’ नहीं दर्ज किया। ऐसे व्यक्तियों को बौद्धों में गिना जाता है लेकिन महारों और अनुसूचित जातियों की आबादी में शामिल नहीं किया जाता। इससे बौद्धों की जनसंख्या में थोड़ी वृद्धि हुई लेकिन महारों और अनुसूचित जातियों की जनसंख्या में कमी आई।
कई नव-दीक्षित बौद्ध, जो महारों के वंशज हैं, स्वयं को ‘महार’ नहीं मानते, क्योंकि वे महार को ‘हिंदू पहचान’ मानते हैं। महाराष्ट्र के कई बौद्ध लोग ‘महार’ और ‘हिंदू’ को एक तरह से पर्यायवाची शब्द मानते हैं। यदि वे स्वयं को महार मानते हैं, तो वे स्वयं को हिंदू भी मानते हैं। दरअसल, बौद्धधर्म का विकल्प है हिंदूधर्म, न की महार। एक व्यक्ति एक ही समय में धर्म से बौद्ध और सामाजिक समूह या जाति से महार हो सकता है। इसमें कोई दिक्कत नहीं, क्योंकि इसी तरह वह व्यक्ति ‘अनुसूचित जाति का बौद्ध’ बनता है। बौद्ध बनने के लिए ‘महार’ पहचान को छोड़ने की नहीं बल्कि ‘हिंदू’ पहचान को छोड़ने की आवश्यकता है। प्रश्न यह नहीं होना चाहिए की बौद्धों को (जाति या) अनुसूचित जाति के कॉलम में महार जाति लिखनी चाहिए या नहीं, बल्कि अहम सवाल तो यह है कि बौद्धों को धर्म के कॉलम में ‘हिंदू’ लिखना चाहिए या नहीं।
क्या सभी महार हिंदू हैं?
आमतौर पर अनुसूचित जाति के व्यक्ति या दलित व्यक्ति को हिंदू माना जाता है, लेकिन यह वास्तव में एक मिथक है। कानूनी तौर पर अनुसूचित जाति का व्यक्ति न केवल हिंदू हो सकता है बल्कि बौद्ध और सिख भी हो सकता है। अत: जाति महार लिखने से स्वतः ही धर्म हिंदू नहीं हो जाता। महार समुदाय का कोई व्यक्ति स्कूल के दस्तावेजों या जनगणना में जाति महार और धर्म बौद्ध दर्ज करा सकता है। यही बात मांग, चांभार सहित सभी अनुसूचित जातियों पर लागू होती है।
क्या सभी बौद्ध महार हैं?
यह भी ग़लत धारणा है कि ‘सभी बौद्ध’ महार हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल 59 अनुसूचित जातियों में से 53 और कुल 45 अनुसूचित जनजातियों में से 40 में बौद्ध पाए गए हैं। राज्य में कई ओबीसी और विमुक्त जातियां (वीजे-एनटी) भी बौद्ध हैं, लेकिन इसके आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। महाराष्ट्र में बौद्ध लोग 100 से अधिक जातियों या समूहों से संबंधित हैं। वस्तुतः महार बहुसंख्यक बौद्ध हैं और बहुसंख्यक बौद्ध महार हैं।
2011 की जनगणना के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2011 में महाराष्ट्र में कुल 65,31,200 बौद्ध थे, जिनमें से 75.70 प्रतिशत (49,43,821) सीधे महार समुदाय से थे, जबकि शेष 24.30% (15,87,379) गैर-महार बौद्ध थे। हालाँकि, इन 24% बौद्धों में पूर्व महारों की भी एक बड़ी हिस्सेदारी है।
नव-बौद्ध क्या है?
अब हम नव-बौद्ध संज्ञा की ओर मुड़ते हैं। कई महार स्वयं को नव-बौद्ध या नव-बुद्धिस्ट कहते हैं। नव-बौद्ध क्या है? और क्या नव-बौद्ध केवल महार हैं?
नव-बौद्ध एक सरकारी संज्ञा है। नव-बौद्ध कोई आरक्षण की श्रेणी नहीं है, कोई जाति नहीं है, कोई अनुसूचित जाति भी नहीं है, न ही यह कोई धर्म है। नव-बौद्ध का सम्बन्ध बौद्ध धर्म एवं अनुसूचित जाति से है। नव-बौद्ध निश्चित रूप से बौद्ध हैं, हालाँकि उनकी थोड़ी अलग पहचान है। नव-बौद्ध का अर्थ है ‘अनुसूचित जाति से संबंधित बौद्ध व्यक्ति’।
नवबौद्ध अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं, बौद्ध धर्म के अंतर्गत आते हैं। पूर्व अछूत (या दलित) जो ‘बौद्ध धर्म में परिवर्तित’ हो गए, वो नव-बौद्ध बन गए। महाराष्ट्र में 53 अनुसूचित जातियों में जो 52,04,284 बौद्ध हैं, वो सभी नव-बौद्ध हैं। देश में नवबौद्धों की आबादी 57.57 लाख है।
यद्यपि राज्य के नव-बौद्धों में से अधिकांश (95%) महार हैं, सभी नव-बौद्ध महार समुदाय से नहीं हैं, और सभी महार भी नव-बौद्ध नहीं हैं। नव-बौद्ध के लिए वैकल्पिक शब्द ‘अनुसूचित जाति के बौद्ध‘ (एससी बौद्ध) और ‘दलित बौद्ध’ हैं। ‘दलित हिंदू’ और ‘दलित सिख’ की तरह ही ‘दलित बौद्ध’ शब्द का इस्तेमाल हिंदी मीडिया में किया जाता है. राज्य में अधिकांश एससी बौद्ध अपने लिए ‘नव-बौद्ध’ और ‘दलित बौद्ध’ शब्दों को अस्वीकार करते हैं, लेकिन अन्य राज्यों में एससी बौद्धों के बीच ‘दलित’ शब्द स्वीकार्य पाया जाता है।
आपके विचार?
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प्रश्न : महार जाति को राजस्थान में क्या कहते हैं?
उत्तर : महार जाति को राजस्थान में महार, तराल, ढेगु-मेगु कहते हैं।
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