आनंदराज आंबेडकर का जीवन परिचय

आनंदराज यशवंत आंबेडकर ‘रिपब्लिकन सेना’ तथा ‘पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी’ के अध्यक्ष एवं डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर के सबसे छोटे पोते हैं। आज हम आनंदराज आंबेडकर की जीवनी जानने जा रहे हैं। – Anandraj Ambedkar Biography

Dr BR Ambedkar grandson

Dr Ambedkar's grandson, Anandraj Ambedkar
आनंदराज आंबेडकर की जीवनी – Anandraj Ambedkar biography

आनंदराज आंबेडकर की जीवनी – Anandraj Ambedkar biography

आनंदराज यशवंत आंंबेडकर (Anandraj Yashwant Ambedkar) महाराष्ट्र के एक राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और इंजीनियर हैं। वह ‘रिपब्लिकन सेना’, ‘पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी’ और ‘बौद्धजन पंचायत समिति’ इन तीनों के अध्यक्ष हैं। वह डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सबसे छोटे और तीसरे पोते हैं (Grandson of Dr BR Ambedkar)। आनंदराज को ‘सरसेनानी’ के नाम से भी जाना जाता है।

आनंदराज आंंबेडकर ‘रिपब्लिकन सेना’ नामक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख भी हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई प्रकाश आंंबेडकर की अध्यक्षता में ‘वंचित बहुजन आघाड़ी’ नामक राजनीतिक पार्टी में भी काम किया हैं।

यशवंत भीमराव आंबेडकर और मीरा आंबेडकर के घर 2 जून 1960 को आनंदराज का जन्म हुआ। उनके दो भाई प्रकाश और भीमराव, और एक बहन रमा हैं, जिनकी शादी आनंद तेलतुंबडे से हुई है। अपने भाई-बहनों में आनंदराज सबसे छोटे है। आनंदराज आंबेडकर की पत्नी का नाम मनीषा आंबेडकर है, तथा उन्हें दो बेटे हैं – साहिल और अमन। उनका पुरा आंंबेडकर परिवार नवयान बौद्ध धर्म का पालन करता है।

आनंदराज आंंबेडकर एक उच्च शिक्षित नेता हैं। उन्होंने 1975 में पुणे के राजा शिवाजी विद्यालय से 10वीं और 1977 में रुइया कॉलेज से 12वीं पास की। इसके बाद उन्होंने 1981 में वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, मुंबई से बैचलर ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (बी.ई.) की डिग्री प्राप्त की। 2 साल बाद, 1983 में बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (मुंबई) से एमएमएस के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 

yashwant ambedkar family
इंग्लैंड जाने से पहले मुंबई हवाई अड्डे पर यशवंत आंबेडकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ। तस्वीर में बाएं से – भीमराव, प्रकाश, यशवंत आंबेडकर, मीरा, रमा और आनंदराज

आंबेडकर स्मारक 450 फीट ऊंचे ‘स्टेचू ऑफ़ इक्वैलिटी’ के लिए आंदोलन

मुंबई में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर का एक भव्य स्मारक होना चाहिए और उसमें उनकी ‘स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी’ से भी ऊंची एक विशाल प्रतिमा होनी चाहिए, ऐसी मांग दशकों से हो रही थी। आधुनिक भारत के निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्मारक बनाने के लिए आनंदराज आंबेडकर अपने कार्यकर्ताओं के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मिले और चैत्यभूमि से सटी भूमि ‘इंदु मिल’ की साढ़े बारह एकड़ जमीन पर बाबासाहब का स्मारक बनाने की मांग पर जोर दिया।

लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी इस स्मारक के काम में कथित देरी के कारण आनंदराज आंबेडकर ने 1 जनवरी, 2011 को भीमा कोरेगांव की शौर्य भूमि से एक बड़ी घोषणा की कि “जिस भीमा कोरेगांव का इतिहास हम सभी जानते हैं, अब हमें वही इतिहास दोहराना है। 6 दिसंबर 2011 को हम सभी को चैत्यभूमि के पास इंदु मिल पर कब्ज़ा करना हैं। इसके लिए तैयार हो जाओ। जिएंगे हम मरेंगे लेकिन इंदु मिल पर कब्ज़ा जरूर करेंगे।”

मार्च 2011 में आनंदराज आंंबेडकर के नेतृत्व में मुंबई के आज़ाद मैदान में एक सभा आयोजित की गई थी। इस सभा में उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि “अगर दिसंबर 2011 तक आंबेडकर स्मारक इंदु मिल मामले पर फैसला नहीं लिया गया तो महापरिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) पर हम हजारों कार्यकर्ता इंदु मिल में घुसकर कब्जा कर लेंगे।”

विरोध योजना के अनुसार हुआ और 26 दिनों तक रिपब्लिकन सेना के कार्यकर्ताओं ने इंदु मिल में घुसकर धरना दिया। रिपब्लिकन सेना के तत्कालीन महाराष्ट्र अध्यक्ष काशीनाथ निकालजे कहते हैं, “पुलिस की मौजूदगी अच्छी थी। लेकिन हम भी तैयार थे। हमने इंदु मिल पर अपना झंडा फहराने के लिए गुरिल्ला वार का इस्तेमाल करने का फैसला किया था।”

इस आंदोलन में आनंदराज आंबेडकर के नेतृत्व में हजारों आंबेडकर अनुयायियों, रिपब्लिकन सेना के कार्यकर्ताओं और बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया

उसके बाद महाराष्ट्र सरकार द्वारा बाबासाहब आंबेडकर के स्मारक संबंधित कई सकारात्मक चीजें की गई। हालांकि स्मारक का शिलान्यास होने में अभी 5 साल का समय लगने वाला था। इस स्मारक में अब डॉ बाबासाहब आंबेडकर के 450 फीट ऊंची प्रतिमा का काम जारी है, जो 2026 में बनकर तैयार होगी।

Descendants of Dr BR Ambedkar at present
वर्तमान में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के वंशज – (बाएँ से दाएँ ओर – पहली लाइन [पौत्र]) प्रकाश, रमा [पौत्री], भीमराव, आनंदराज; (दूसरी लाइन [प्रपौत्र]) राजरत्न, सुजात, साहिल और अमन।

रिपब्लिकन सेना

अपने घर से ‘संघर्ष’ विरासत में मिला होने के कारण आनंदराज आंबेडकर ने लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए 21 नवंबर 1998 को ‘रिपब्लिकन सेना’ नामक राजनीतिक दल की स्थापना की। वर्तमान में वह ‘रिपब्लिकन सेना’ के अध्यक्ष हैं। इस पार्टी के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़े लेकिन वह जीत नहीं सके। हालांकि महाराष्ट्र के बौद्धों और दलितों में रिपब्लिकन सेना का काफी प्रभाव हैं।

 

पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी

अपने दादा की शिक्षा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, आनंदराज आंबेडकर ने शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दिया। 24 जून 2013 से ‘पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी’ के अध्यक्ष के रूप में आनंदराज आंबेडकर काम कर रहे हैं। People’s Education Society भारत का एक शैक्षिक संगठन है, जिसकी स्थापना 8 जुलाई 1945 को को उनके दादा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने की थी। अछूतों सहित निम्न मध्यम वर्ग को उच्च शिक्षा प्रदान करना यह इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य था।

पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी संस्था की ओर से सभी समुदाय के छात्रों के लिए 1946 में मुंबई में सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस, 1950 में औरंगाबाद में मिलिंद कॉलेज, 1953 में सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स और 1956 में मुंबई में सिद्धार्थ लॉ कॉलेज शुरू किया गया था।

 

बौद्धजन पंचायत समिति

आनंदराज आंबेडकर ‘बौद्धजन पंचायत समिति’ नामक बौद्ध संगठन के भी अध्यक्ष हैं, और इस पद वह 11 अप्रैल 2022 से है। 

‘बौद्धजन पंचायत समिति’ महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के बौद्ध समुदाय के सदस्यों का एक संगठन है जो पिछले 75 वर्षों से बौद्ध समुदाय के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहा है। इस संगठन की स्थापना डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने की थी। 2023 में, महाराष्ट्र में बौद्ध जनसंख्या 76,00,000 से 1,26,00,000 यानी 6% से 10% है।

 

लोगों के लिए किया संघर्ष

आनंदराज आंबेडकर ने अनेक सामाजिक समस्याओं के लिए भी आवाज उठाया और उनका समाधान किया। उन्होंने बेरोजगारों के मुद्दे पर मार्च किया, उन्होंने निजीकरण के मुद्दे पर भी समाज को जागरूक किया, उन्होंने अपना सिर मुंडवाकर सरकार के खिलाफ मार्च किया, उन्होंने मुंबई में झुग्गीवासियों के पुनर्वास के मुद्दे पर भी लोगों को न्याय दिलाया।

आनंदराज आंबेडकर की मांग के कारण महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई विश्वविद्यालय के कलिना परिसर में 6 एकड़ भूमि पर एक अंतर्राष्ट्रीय डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है। 6 दिसंबर 2020 को, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस स्मारक की आधारशिला रखी और स्मारक वर्तमान में निर्माणाधीन है।

लगभग 800 अनुसूचित जाति के छात्र बार्टी (BARTI) की फ़ेलोशिप से वंचित रह गए और आनंदराज आंबेडकर के प्रयासों से महाराष्ट्र सरकार ने छात्रों को फ़ेलोशिप प्रदान की। आनंदराज ने सरकार के मंत्रियों से कहा था कि जब तक छात्र फेलोशिप का मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक किसी भी मंत्री को चैत्यभूमि में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

रमाबाई आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के अधीन चेंबूर में एक गर्ल्स हॉस्टल का नाम रमाबाई आंबेडकर के नाम पर रखा।


टीप : डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का उपनाम (सरनेम) आंबेडकर है, जिसे आम्बेडकर भी लिखा जा सकता है। हालांकि उनके उपनाम की दो अशुद्ध एवं गलत वर्तनीयां ‘अंबेडकर‘ और ‘अम्बेडकर‘ भी प्रचलन में हैं, जिनका प्रयोग इस लेख में नहीं किया गया है। आप भी बाबासाहब के उपनाम की सही वर्तनीआंबेडकर’ का ही प्रयोग करें।


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