पुराने भारतीय संसद भवन के परिसर में, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है, जो उनकी सबसे अहम प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। संसद में लगी इसी आंबेडकर प्रतिमा की विशेषताएं और इतिहास के बारे में आज हम इस लेख में जानने जा रहे हैं। Dr Ambedkar statue in the Parliament complex
संसद में लगी डॉ. आंबेडकर की मूर्ति
भारतीय गणराज्य के निर्माता के रूप में विख्यात, डॉ. आंबेडकर की एक लाख से भी ज्यादा मूर्तियां हैं और ये पूरी दुनिया में लगी हुई हैं।
भारत के पुराने संसद भवन परिसर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की एक भव्य मूर्ती स्थापित की गई है। 14 अप्रैल – आंबेडकर जयंती और 6 दिसंबर – महापरिनिर्वाण दिवस, के अवसर पर दिल्ली की जनता समेत भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सांसद, मंत्री, राज्यपाल जैसे प्रमुख राजनेता बाबासाहेब प्रतिमा को आदरांजली अर्पित करते हैं।
यह 1967 में बनी पंचधातु की मूर्ति है। इस प्रतिमा को आंबेडकरवादी समुदाय ने जनता से धन जुटाकर बनवाया है। इस प्रतिमा की कुल ऊंचाई करीब 25 फीट है। भारतीय संसद भवन के सामने लगी संविधान निर्माता की यह प्रतिमा विश्व की सबसे अहम जगहों पर लगी आंबेडकर प्रतिमाओं में से एक है।
Dr Ambedkar statue का अनावरण
संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की इस भव्य प्रतिमा का अनावरण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन ने 2 अप्रैल, 1967 को किया था। अपने भाषण में राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने कहा की, ‘ज्ञान अर्जित करना जारी रखें, सत्य की खोज करें और उसे आचरण में लाने का पूरा प्रयास करें ऐसा संदेश डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने भारतीयों को दिया है।’
राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘डॉ. आंबेडकर की लोकतंत्र प्रणाली में बड़ी आस्था थी। उनका मानना था कि बिना रक्तपात के समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना संभव है। उनका यह विश्वास निराधार नहीं था, जो कि भारत में घटी कई घटनाओं से प्रमाणित होता है। उनका जोर राष्ट्रीय एकता पर था। उनका विचार था कि जब तक भारत में हिंदू, मुसलमान, सिंधी और तमिल जैसे भेदभाव रहेंगे, तब तक भारत की प्रगति नहीं होगी।’
महामहिम राष्ट्रपति के भाषण के बाद, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मृति समिति के अध्यक्ष और भारत के गृह मंत्री यशवंतराव चव्हाण और लोकसभा अध्यक्ष नीलम संजीव रेड्डी ने भी अपने विचार प्रकट किए, जिसमें उन्होंने कई विशेषणों से बाबासाहेब की प्रशंसा की।
प्रतिमा के अनावरण समारोह में उप राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, रिपब्लिकन नेता दादासाहेब गायकवाड़, बाबासाहेब के बेटे यशवंत आंबेडकर, हुमायूं कबीर और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए थे।
अनावरण से पहले, श्रीलंका और सांची के बौद्ध भिक्षुओं ने यशवंत आंबेडकर, दादासाहेब गायकवाड़ और अन्य बौद्धों को दीक्षा दी। बाबासाहेब के नारे लगाए गए। इससे भारतीय संसद भवन परिसर में केवल मोतीलाल नेहरू की मूर्ति स्थापना की गई थी। उसके बाद संसद भवन परिसर में स्थापित होने वाली दुसरी मुर्ति बाबासाहेब की है।
मूर्ति की रचना
12.5 फीट ऊंचे आधार पर खड़ी बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति भी 12.5 फीट ऊंची है, इस तरह आधार के साथ प्रतिमा की कुल ऊंचाई करीब 25 फीट है। यह मूर्ति एक सामान्य इंसान के आकार से लगभग चार गुना बड़ी है, और इसमें आंबेडकर का दाहिना पैर थोड़ा सा आगे की तरफ फैला हुआ है।
मूर्ति का वजन करीब डेढ़ टन है। प्रतिमा में बाबासाहेब के बाए हाथ में ‘भारत का संविधान’ की पुस्तक है। उनका दाहिना हाथ पूरी तरह से ऊपर उठा हुआ है और उनकी तर्जनी भारतीय संसद भवन की ओर इशारा कर रही है।
मूर्ति का इतिहास – BR Ambedkar statue in Parliament
नए संसद भवन में डॉ. आंबेडकर का विशाल भित्तिचित्र
भारत का नया संसद भवन मई 2023 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। नई संसद की दीवारों पर कई अद्भुत कलाकृतियों की लगी है जो वैभव का अहसास कराती है। नए संसद भवन में सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की एक विशाल भित्तिचित्र है। यह भित्ति चित्र ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की विचारधारा को दर्शा रहा है। यह एक गोलाकार 25 फीट लंबा भित्तिचित्र है और तीन मंडपों में से एक पर स्थित है जहां अश्व द्वार – सभी गणमान्य व्यक्तियों का मुख्य प्रवेश द्वार – स्थित है।
भारत के नए संसद भवन के सामने भी डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग हो रही है।
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‘धम्म भारत’ पर मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में लेख लिखे जाते हैं :
When Dr. B R Ambedkar’s statute was inaugurated Few RPI Stalwards like Dr. Ganga Ram Nirwan , Advocate S R Sher Singh Janab Abbas Malik, from Delhi.n Chaudhary Ram Pat Sidharth from Haryana, etc. were also there, and since then on 14th April and 6th December numerous Ambedkarist are visiting this venue.