2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से पांच बड़े चेहरे वाले बौद्ध उम्मीदवार थे, जिनमें से दो ने जीत हासिल की है। इस लेख में इन्हीं पांच बौद्ध उम्मीदवारों – सांसदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह भी जानिए कि महाराष्ट्र के दो बौद्ध सांसद कौन हैं?
Buddhist candidates from Maharashtra in 2024 Lok Sabha elections
भारत में 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक 18वीं लोकसभा के चुनाव हुए और रिजल्ट 4 जून 2024 को घोषित किए गए। भारत से 543 उम्मीदवार और उनमें से महाराष्ट्र से 48 उम्मीदवार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में महायुति और महाविकास आघाड़ी दो प्रभावशाली राजनीतिक गठबंधन हैं। इसके अलावा, हालांकि वंचित बहुजन आघाड़ी को तीसरे गठबंधन के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन इस पार्टी के किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचित होने की संभावना बहुत कम थी। इसलिए, यह स्पष्ट था कि महाराष्ट्र में लगभग सभी सांसद महायुति तथा महाविकास आघाड़ी से आएंगे।
लोकसभा में बौद्ध सांसद
इस लोकसभा चुनाव में विभिन्न जाति और धर्म के लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। हालाँकि हम यहां केवल बौद्ध उम्मीदवारों पर विचार करने जा रहे हैं। इस चुनाव मैदान में 2 महाविकास आघाड़ी से और 2 महायुति से बौद्ध उम्मीदवार खड़े थे। तीसरी तरफ, वंचित बहुजन आघाड़ी ने भी सबसे ज्यादा 7 बौद्ध उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, तथा अन्य 3 बौद्ध उम्मीदवारों को समर्थन दिया था। लेकिन वीबीए उम्मीदवारों में से केवल पार्टी अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर के जीतने की थोड़ी संभावना थी।
इस चुनाव में राज्य के 15 से अधिक प्रमुख बौद्ध उम्मीदवार खड़े हुए थे। हालांकि इनमें तीनों गठबंधन के सिर्फ पांच उम्मीदवार ही प्रभावी रहे। इन पांच उम्मीदवारों में से दो उम्मीदवारों ने जीत भी हासिल की। इस चुनाव में खड़े हुए सभी पांच बौद्ध उम्मीदवार या तो विधायक या सांसद रहे हैं। इस लेख में हम इन पांच बौद्ध उम्मीदवारों पर प्रकाश डाल रहे हैं, उनके बारे में जान रहे हैं।
महाराष्ट्र में कितने बौद्ध उम्मीदवारों की जरूरत है? जनसंख्या अनुपात के अनुसार महाराष्ट्र में बौद्धों को लोकसभा में कितना प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए? इसके बारे में एक विस्तृत लेख धम्म भारत वेबसाइट पर उपलब्ध है (यहां पढ़ें)। संक्षेप में कहें तो महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सांसद हैं, जिनमें से 4 सांसद बौद्ध धर्मावलंबी होने चाहिए।
2011 की जनगणना के मुताबिक, महाराष्ट्र में महार और बौद्ध समुदाय की संयुक्त आबादी साढ़े आठ फीसदी है। इससे उन्हें जनसंख्या के अनुपात में चार लोकसभा सीटें मिलनी चाहिए थीं यानी महायुति और महाविकास आघाड़ी दोनों को कम से कम चार-चार बौद्ध उम्मीदवार खड़े करने चाहिए थे, लेकिन वास्तव में उन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्होंने दो-दो बौद्ध उम्मीदवार खड़े किए।
‘महायुति’ में तीन सबसे प्रमुख पार्टियाँ हैं – भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी। ‘महाविकास आघाड़ी ‘ में तीन अहम पार्टियां कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने और दोनों एनसीपी पार्टियों ने एक भी बौद्ध उम्मीदवार नहीं दिया था।
महाराष्ट्र में लोकसभा के लिए बौद्ध उम्मीदवार निम्नलिखित हैं:
महायुति :
1. सुधाकर शृंगारे, भाजपा, लातूर (तब विद्यमान सांसद)
2. यामिनी जाधव, शिवसेना, दक्षिण मुंबई (तब विद्यमान विधायक)
महाविकास आघाड़ी :
3. बलवंत वानखेडे, काँग्रेस, अमरावती (तब विद्यमान विधायक)
4. वर्षा गायकवाड, काँग्रेस, उत्तर-मध्य मुंबई (तब विद्यमान विधायक)
वंचित बहुजन आघाड़ी :
5. प्रकाश आंबेडकर, अकोला (पूर्व सांसद)
(इसके अलावा कुछ और भी बौद्ध उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में खड़े थे, जिनकी जानकारी आप ‘यहां‘ देख सकते हैं।)
उपरोक्त पांच बौद्ध उम्मीदवारों में से दो ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से [लातूर और अमरावती] और तीन ने खुले निर्वाचन क्षेत्रों [दक्षिण मुंबई, उत्तर-मध्य मुंबई और अकोला] से चुनाव लड़ा। महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों ने अपने एक बौद्ध उम्मीदवार को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से और दूसरे को खुले निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा था। वंचित बहुजन आघाड़ी के पार्टी अध्यक्ष ने भी खुले निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा।
महाराष्ट्र के बौद्ध उम्मीदवार
वर्षा गायकवाड (जीतीं)
कांग्रेस पार्टी की बौद्ध उम्मीदवार प्रोफेसर वर्षा एकनाथ गायकवाड़ ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर मध्य मुंबई लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस चुनाव के समय वह विधायक थीं और मुंबई के धारावी निर्वाचन क्षेत्र से लगातार चार बार [2004, 2009, 2014 और 2019] महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनी गईं।
2024 के लोकसभा चुनाव में उनके सामने महायुति के उम्मीदवार वरिष्ठ वकील उज्वल निकम थे, जो बीजेपी के टिकट पर खड़े थे। इस सीट से तत्कालीन सांसद बीजेपी की पूनम महाजन थीं, जो लगातार दो बार (2014 और 2019 में) चुनी गईं।
इस सीट पर पिछले दस साल से बीजेपी का कब्जा था, हालांकि मौजूदा बीजेपी उम्मीदवार उज्वल निकम राजनीति से जुड़े नहीं हैं लेकिन काफी लोकप्रिय हैं। दूसरी ओर, वर्षा गायकवाड़ भी एक सक्रिय राजनीतिज्ञ, 20 साल तक विधायक और राज्य की पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रही हैं। इन दोनों मजबूत उम्मीदवारों में से वर्षा गायकवाड़ ने बाजी मारी।
चुनाव 2024 – मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र :
- निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदान – 9,10,562
- काँग्रेस : वर्षा गायकवाड को वोट मिले – 4,45,545
- बीजेपी : ॲड. उज्वल निकम को वोट मिले – 4,29,031
- बहुमत – 16,514
वर्षा गायकवाड़ के पिता एकनाथ गायकवाड़ भी 2004 में इसी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। 1957 में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के शेड्युल्ड कास्ट्स फेडरेशन के उम्मीदवार गोपाल माने और 1998 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार रामदास आठवले जैसे बौद्ध उम्मीदवार भी इस निर्वाचन क्षेत्र से संसद में गए थे।
बलवंत वानखेड़े (जीते)
अमरावती लोकसभा क्षेत्र में मौजूदा सांसद और मौजूदा विधायक के बीच मुकाबला हुआ था। इस सीट पर कांग्रेस के बलवंत बसवंत वानखेड़े से मौजूदा सांसद (2019-2024) व बीजेपी उम्मीदवार की नवनीत कौर राणा हार गईं। सांसद बलवंत वानखेड़े बौद्ध धर्म के अनुयायी है। वह दरियापुर से महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य थे (2019-2024)।
2024 चुनाव – अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र :
- निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदान – 11,73,579
- काँग्रेस : बळवंत वानखेडे को वोट मिले – 5,26,271
- भाजपा : नवनीत राणा को वोट मिले – 5,06,540
- बहुमत – 19,731
इस चुनाव में अमरावती सीट से रिपब्लिकन सेना के आनंदराज यशवंत आंबेडकर (डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पोते) भी खड़े थे, और उन्हें वंचित बहुजन आघाड़ी का समर्थन प्राप्त था।
चूंकि वानखेड़े और आंबेडकर दोनों बौद्ध हैं, इसलिए अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में बौद्ध वोटों में बड़े विभाजन की संभावना कम थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अन्यथा महायुति प्रत्याशी नवनीत राणा को इसका लाभ जरूर मिलता। इसी बात को समझते हुए अमरावती के लगभग सभी बौद्ध लोगों ने वानखेड़े जी को वोट किया।
2019 लोकसभा चुनाव में, NCP और कांग्रेस का समर्थन से नवनीत राणा एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इसी अमरावती सीट से लोकसभा के लिए चुनी गईं। लेकिन, सांसद बनते ही उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया।
बलवंत वानखेड़े सिर्फ एक बार विधायक बने हैं, और नवनीत राणा भी केवल एक बार सांसद बनी हैं। वहीं आनंदराज आंबेडकर कभी सांसद या विधायक नहीं बने। हालाँकि, राज्य के आंबेडकरवादी बौद्ध लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता है।
अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। नवनीत कौर राणा ‘मोची/ चमार’ जाति से हैं और सिख या हिंदू समुदाय से हैं। वहीं बलवंत वानखेड़े और आनंदराज आंबेडकर दोनों ही ‘महार’ जाति और बौद्ध समुदाय से हैं।
सुधाकर शृंगारे (हारे)
बौद्ध धर्म को मानने वाले बीजेपी के सुधाकर श्रृंगारे लातूर लोकसभा सीट से खड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके। तब वो मौजूदा सांसद थे और 2019 में इसी सीट से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। इससे पहले 2014 में भी लातूर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे।
2019-2024 की 17वीं लोकसभा में सुधाकर श्रृंगारे महाराष्ट्र से एकमात्र बौद्ध सांसद थे।
2024 के लोकसभा चुनाव में, सुधाकर तुकाराम श्रृंगारे को कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. शिवाजीराव कालगे से हार मिली। डाॅ. कालगे नेत्ररोग विशेषज्ञ और राजनीति में एक नया चेहरा हैं।
2024 चुनाव – लातूर निर्वाचन क्षेत्र :
- निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदान – 12,39,079
- काँग्रेस : डॉ. शिवाजी काळगे को वोट मिले – 6,09,021
- भाजपा : सुधाकर श्रृंगारे को वोट मिले – 5,47,140
- बहुमत – 61,881
लातूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। डॉ. शिवाजीराव कालगे ‘माला जंगम’ इस अनुसूचित जाति से और लिंगायत समुदाय से हैं। दूसरी ओर, सुधाकर श्रृंगारे ‘महार’ अनुसूचित जाति से और बौद्ध समुदाय से आते हैं।
लातूर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए मजबूत थी क्योंकि यहां से बीजेपी के उम्मीदवार दो बार चुने गए हैं और 2024 के उम्मीदवार खुद मौजूदा सांसद थे। इसलिए, बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही थी, लेकिन सुधाकर श्रृंगारे 61,881 वोटों से हार गए।
यामिनी जाधव (हारी)
दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र में भी मौजूदा विधायक और मौजूदा सांसद के बीच मुकाबला हुआ। यामिनी यशवंत जाधव [शिंदे की] शिवसेना की मौजूदा विधायक हैं और वह महायुति के उम्मीदवार के रूप में दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी, लेकीन हार गई। इस चुनाव में [ठाकरे की] शिवसेना के उम्मीदवार अरविंद सावंत ने जीत हासल की, जो सिटिंग एमपी थे। दक्षिण मुंबई के अलावा कई सीटों पर दो शिवसेनाएं एक दूसरे के खिलाफ लड़ी।
2024 चुनाव – दक्षिण मुंबई निर्वाचन क्षेत्र :
- निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदान – 7,73,113
- शिवसेना (ठाकरे) : अरविंद सावंत को वोट मिले – 3,95,655
- शिवसेना (शिंदे) : यामिनी जाधव को वोट मिले – 3,42,982
- बहुमत – 52,673
यामिनी जाधव एक बौद्ध हैं और 2019 के विधानसभा चुनाव में भायखला निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गईं थीं। वह सिर्फ एक बार विधायक बनी हैं। लेकिन दूसरी ओर, अरविंद सावंत शिवसेना से (2014 और 2019 में) दो बार लोकसभा सांसद थे, और अब 2024 में वो तीसरी बार सांसद बनें।
सावंत जाधव से अधिक अनुभवी हैं, और यह निर्वाचन क्षेत्र उनके लिए थोड़ा अधिक फायदेमंद साबित भी हुआ।
प्रकाश आंबेडकर (हारे)
वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश यशवंत आंबेडकर हमेशा की तरह अकोला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, और हमेशा की तरह हार भी गए। अकोला की सीट से प्रकाश आंबेडकर ने कुल 11 बार चुनाव लडा (पहली बार 1984 में और आखरी 2024 में)। केवल दो बार वह जीतें और 9 बार उन्हें हार मिली।
शुरुआत में 1990-1996 में प्रकाश आंबेडकर राज्यसभा में सांसद बने और बाद में वह अकोला सीट से दो बार (1998 और 1999 में) लोकसभा के लिए चुने गए। लेकिन इसके बाद लगातार पाच बार (2004, 2009, 2014, 2019, 2024) उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2024 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर के सामने दो चुनौती थी – बीजेपी उम्मीदवार अनूप संजय धोत्रे और कांग्रेस उम्मीदवार अभय काशीनाथ पाटिल। ये दोनों उम्मीदवार सवर्ण हिंदू हैं, इसलिए अगर यहां हिंदू वोटों में बड़ा बंटवारा हुआ होता है, तो इसका फायदा प्रकाश आंबेडकर को होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस बार कांग्रेस ने अकोला से मुस्लिम उम्मीदवार न देकर आरएसएस पृष्ठभूमि वाले हिंदुत्ववादी उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। इसलिए इस बार मुसलमानों के वोट कांग्रेस के बजाय वंचित बहुजन आघाड़ी को मिलने की संभावना थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
मौजूदा सांसद संजय धोत्रे के बेटे अनूप धोत्रे ने इस चुनाव में जीत हासिल की।
2024 चुनाव – अकोला निर्वाचन क्षेत्र :
- निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदान – 11,73,072
- बीजेपी : अनुप धोत्रे को वोट मिले – 4,57,030
- काँग्रेस : अभय पाटील को वोट मिले – 4,16,404
- वीबीए: प्रकाश आंबेडकर को वोट मिले – 2,76,747
- बहुमत – 16,514
प्रकाश आंबेडकर पिछले चुनाव में 2.79 लाख वोटों से हारे थे। 2019 के चुनाव में बीजेपी के संजय धोत्रे को 5.54 लाख वोट मिले, वीबीए के प्रकाश आंबेडकर को 2.76 लाख वोट मिले, और कांग्रेस के हिदायतुल्ला पटेल को 2.54 लाख वोट मिले।
अगर वंचित बहुजन आघाड़ी महाविकास आघाड़ी में शामिल हुईं होती तो प्रकाश आंबेडकर इस बार चुनाव जरूर जीतते। प्रकाश आंबेडकर अपनी अत्यधिक अहंकारी प्रवृत्ति और राजनीति में आवश्यक समावेशिता और लचीलेपन की घोर कमी के कारण एक असफल राजनेता हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी को 37.43 लाख वोट मिले। इसके अलावा, कुछ महीने बाद हुए 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 25.24 लाख वोट पड़े, जबकि हाल के 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल 15.83 लाख वोट पड़े। बौद्ध मतदाताओं का प्रकाश आंबेडकर की पार्टी से भरोसा उठ रहा है।
- इसके अलावा कुछ बौद्ध उम्मीदवार भी लोकसभा चुनाव में खड़े हैं। उनकी जानकारी आप ‘यहां‘ देख सकते हैं।
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