ये हैं डॉ. बाबासाहब आंबेडकर से जुड़े 10 महत्वपूर्ण स्थान

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें भारतीय संविधान का पिता कहा जाता है। आधुनिक एवं गणराज्य भारत के निर्माण में तथा दलितों एवं शोषितों के उद्धार में उनका योगदान अद्वितीय और अविस्मरणीय है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

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अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र हुए भारत देश को उसका संविधान बनाने में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस बारे में हम सब बचपन से ही किताबों में पढ़ते और सुनते आए हैं। किताबों के इतर अगर आप डॉ. आंंबेडकर जी के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं, तो आपको उनसे जुड़े इन स्थानों पर एक बार जरूर जाना चाहिए।

इस लेख में, जन्म भूमि से लेकर समाधि स्थल तक, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर से जुड़े 10 महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी दी गई हैं।

 

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान​

1. स्फूर्ति भूमि, आंबडवे

Dr Babasaheb Ambedkar Smarak Ambadawe
आंबडवे (स्फूर्ति भूमि) में स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक, जहां बाबासाहब के पूर्वज रहते थे

आंबडवे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का पैतृक गांव है। यह गांव महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मंडनगढ़ तालुका में स्थित है। इस गांव में ‘विश्वभूषण भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक’ बनवाया गया है। डॉ आंबेडकर के पैतृक घर को ही स्मारक में बदल दिया गया है।

आंबडवे को अब ‘स्फूर्ति भूमि‘ नाम से जाना जाता है। बाबासाहब की कई चीजों को स्मारक क्षेत्र और वास्तु में संरक्षित किया गया है। यहां अशोक स्तंभ और शिलालेख बनाए गए हैं।

बाबासाहब के इसी ‘आंबडवे’ गांव के नाम के कारण उनका उपनाम ‘आंबडवेकर’ रखा गया था, जिसे बाद में ‘आंंबेडकर’ (‘अंबेडकर’ नहीं) कर दिया गया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आंबडवे गांव का दौरा कर चुके हैं।

 

2. जन्म भूमि, महू

Bhim Janmabhoomi Memorial in Mhow MP
डॉ. आंबेडकर नगर (महू) में स्थित ‘भीम जन्मभूमि’ स्मारक, जहां बाबासाहब का जन्म हुआ था

‘भीम जन्मभूमि’ मध्य प्रदेश के डॉ. आंंबेडकर नगर (महू) में स्थित डॉ बाबासाहब आंबेडकर की जन्मस्थली स्मारक है। डॉ. आंंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक सैन्य छावनी महू के काली पलटन इलाके में हुआ था। यहां मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी जन्मस्थली पर एक भव्य स्मारक बनाया है, जिसे ‘भीम जन्मभूमि’ नाम दिया गया है।

भीम जन्मभूमि स्मारक की नींव 14 अप्रैल 1991 को 100 वीं आंंबेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के तात्कालिक मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा द्वारा रखीं गई थी। स्मारक की रचना वास्तुकार ईडी निमगडे द्वारा की गयी थी। बाद में स्मारक को 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया था।

हर साल देश विदेश से लाखों आंंबेडकरवादी तथा बौद्ध अनुयायी जन्मभूमि पर आते हैं। यह स्थान भोपाल से लगभग 220 और इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ”पंचतीर्थ” के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे डॉ. आंंबेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक स्थान है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

3. शिक्षा भूमि, लंदन

Dr BR Ambedkar House London
लंदन में स्थित डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर मेमोरियल जहां बाबासाहब ने 1921-22 में निवास किया था (Photo credit: Mahima A Jain)

लंदन के ‘डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर मेमोरियल’ को ‘शिक्षा भूमि’ कहा जाता है। इसे ‘डॉ. आंबेडकर हाउस’ भी कहा जाता है जो उत्तर पश्चिम लंदन, यूनाइटेड किंगडम में 10 किंग हेनरी रोड पर स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्मारक है। इस स्मारक का लोकार्पण 14 नवंबर 2015 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।

यह ऐतिहासिक इमारत जो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का निवास स्थान थी, उसे महाराष्ट्र सरकार ने 35 करोड़ रुपये में खरीदा था। आज यह इमारत एक वैश्विक स्मारक में तब्दील हो चुकी है और यह स्मारक न केवल भारतीयों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा बन गया है। ”पंचतीर्थ” के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे डॉ. आंंबेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक स्थान है।

इस स्मारक में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से जुड़ी कई दुर्लभ तस्वीरें और अन्य यादगार चीजें हैं। स्मारक के अंदर बाबासाहेब की एक अर्ध प्रतिमा है। साथ ही स्मारक के बाहर डॉ. आंंबेडकर की आदम कद मूर्ति है। महाराष्ट्र सरकार ने इस स्मारक में एक पुस्तक संग्रहालय की स्थापना की है, जिसमें बाबासाहेब द्वारा लिखित ग्रंथ एवं पुस्तकें और उनकी दुर्लभ तस्वीरें भी हैं।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई के दौरान बाबासाहेब 1921-22 के दौरान यहां रहे थे। उन्होंने इस भवन में 21-21 घंटे कठिन अध्ययन किया और एम.एससी., बार-एट-लॉ, और डी.एससी. यह तीन उच्चतम डिग्रियां हासिल की। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को समर्पित इस स्मारक में तीन मंजिलें हैं और इसका क्षेत्रफल 2050 वर्ग फुट है। स्मारक की दीवार पर यह शब्द अंग्रेजी में लिखे गए हैं : “डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर (1891-1956), सामाजिक न्याय के भारतीय अधिवक्ता, 1921-22 में यहां निवास करते थे”। विदेशों में डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान कम है, जिसमें से एक आंंबेडकर का लंदन हाऊस है।

 

4. संकल्प भूमि, बड़ौदा

Sankalp Bhoomi Badoda
चित्र में बाई ओर – बड़ौदा का संकल्प भूमि स्मारक; दाईं ओर – दिल्ली के डॉ. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल में ‘संकल्प भूमि’ की छवि, जिसमें 1917 में बड़ौदा के बाग में बैठे बाबासाहब को ऐतिहासिक संकल्प करते हुए दर्शाया गया है 

‘संकल्प भूमि’ एक ऐसी जगह है जहां बाबासाहब ने एक महत्वपूर्ण संकल्प किया था और इसे हर साल 23 सितंबर को “संकल्प दिवस” के रूप में मनाया जाता है। संकल्प भूमि गुजरात के वडोदरा (बड़ौदा) में एक ऐतिहासिक भूमि है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने यहां ‘ऐतिहासिक संकल्प’ किया था। 23 सितंबर, 1917 को डॉ. आंबेडकर ने जातिवाद के नरक से अपने अछूत समुदाय को बाहर निकालने के लिए अपना जीवन समर्पित करने का संकल्प लिया था। बड़ौदा के सयाजीराव उद्यान में जिस स्थान पर बाबासाहेब ने यह संकल्प लिया था, उस जगह का नाम 14 अप्रैल 2006 को “संकल्प भूमि” रखा गया। डॉ. आंंबेडकर का एक भव्य स्मारक वहां गुजरात सरकार द्वारा बनाया जाएगा।

1913 में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने आंंबेडकर को अमेरिका में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी थी। छात्रवृत्ति के बदले में बाबासाहब को बड़ौदा संस्थान में कुछ वर्ष का करने का समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार बाबासाहब बड़ौदा संस्थान में काम करने के लिए आए। लेकिन यहां उन्हें पहले से कई गुना अधिक छुआछूत का सामना करना पड़ा। उनके ऑफिस के चपरासी भी पानी तक नहीं देते थे, फाईलें भी उनके हाथ में देने की बजाए सामने फेंक देते थे।

साथ ही बाबासाहब को रहने के लिए मकान खोजने में भी बहुत दिक्कत हुई। कोई भी हिंदू या गैर हिंदू एक ‘अछूत’ अफसर को रहने के लिए मकान नहीं देना चाहता था। बाबासाहब को रहने के लिए जगह की सख्त जरूरत थी इसलिए उन्होंने एक पारसी व्यक्ति का घर किराए पर लिया। लेकिन पारसी लोगों तथा हिंदुओं को भी आंबेडकर के अछूत होने का पता चला और वह लोग बाबासाहब को वहां से चले जाने के लिए धमकाने लगे। बाबासाहब ने एक रात उस मकान में रुकने के लिए उनसे विनती की लेकिन वे लोग नहीं माने! अतः मजबूर होकर डॉ आंबेडकर को वह किराए का मकान छोड़ना पड़ा, और उन्हें अपनी रात बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड बगीचे में गुजारनी पड़ी।

बाबासाहेब ने उदास मन से वह रात एक पार्क (अब सजायी पार्क) में एक बरगद के पेड़ के नीचे बिताई। लेकिन यह रात डॉ आंबेडकर के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण रातों में से एक थी। उन्होंने सोचा कि यदि हिन्दुओं ने मुझ जैसे विदेश से शिक्षित विद्वान के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया तो वे मेरे (अछूत) समुदाय के अशिक्षित और गरीब लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते होंगे? फिर उन्होंने उस पेड़ के नीचे संकल्प लिया कि “मैं अपना पूरा जीवन इस वंचित और हाशिए पर पड़े समाज के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, उन्हें उनके मानवाधिकार दिलाने में लगा दूंगा।” आंबेडकर इस पार्क में आठ घंटे रहे और अगली सुबह मुंबई के लिए रवाना हो गए।

 

5. क्रांति भूमि, महाड़ 

Kranti Bhoomi Mahad
महाड़ में स्थित ‘क्रांतिभूमि’, जहां 1927 में बाबासाहब ने पानी पीने के लिए चवदार तालाब का सत्याग्रह किया

महाड़ को क्रांतिभूमि कहा जाता है, जहां बाबासाहब ने पानी के लिए सत्याग्रह किया था। यह डॉ आंंबेडकर का पहला सत्याग्रह था, जिसने एक नई क्रांति की शुरुआत की। महाराष्ट्र के महाड शहर में ‘भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, क्रांतिभूमि’ का निर्माण किया गया है, जो एक राष्ट्रीय स्मारक है।

20 मार्च 1927 में डॉ. आंंबेडकर ने महाड़ के चवदार तालाब का पानी पीने के लिए सत्याग्रह किया था, जिसे ‘महाड़ सत्याग्रह’ या ‘चवदार तालाब का सत्याग्रह’ कहा जाता है। 25 दिसंबर 1927 को महाड़ में मनुस्मृति का दहन भी किया गया। इन दो ऐतिहासिक घटनाओं की स्मृति को बनाए रखने के लिए, महाराष्ट्र सरकार ने चवदार तालाब को सुशोभित किया और वर्ष 2004 में यहां एक राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण किया। वर्तमान में यह स्मारक महाराष्ट्र सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। इसका रखरखाव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (BARTI) द्वारा किया जाता है।

चवदार तालाब सत्याग्रह और मनुस्मृति दहन यह दो ऐसी घटनाएँ थीं जो सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुईं और इससे समाज जागृत हुआ। गठबंधन सरकार के दौरान भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक भवन की आधारशिला 14 अप्रैल 1998 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने रखी थी। 10 अगस्त 2004 को स्मारक का निर्माण पूरा होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा स्मारक का लोकार्पण किया गया।

स्मारक की इमारत का निर्माण 10,000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में किया गया है। स्मारक में एक भव्य वातानुकूलित सभागार, संग्रहालय और पुस्तकालय, स्विमिंग पूल और ड्रेसिंग रूम, बहुउद्देश्यीय हॉल (1046 सीटें) और डाइनिंग हॉल आदि हैं। स्मारक में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की एक भव्य पूर्ण-आकार वाली कांस्य प्रतिमा भी है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

6. राजगृह, मुंबई

मुंबई में स्थित ‘राजगृह’ स्मारक, जो बाबासाहब का घर था, जहां उन्होंने 1934 से निवास किया था

राजगृह महाराष्ट्र के मुंबई में राजनीतिक नेता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का घर व स्मारक है। प्राचीन बौद्ध साम्राज्य के संदर्भ में इसे “राजगृह” (अब राजगीर) नाम दिया गया था। 1931 और 1933 के बीच, बाबासाहेब ने इस इमारत का निर्माण किया।

तीन मंजिला इमारत का भूतल डॉ बाबासाहब आंंबेडकर के स्मारक के रूप में एक विरासत संग्रहालय की मेजबानी करता है। उपरी मंजिलो पर आंबेडकर परिवार रहता है। यह स्थान भारतीयों, विशेषकर आंबेडकरवादी बौद्धों और दलितों के लिए एक पवित्र स्थल है। हर साल 6 दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में चैत्य भूमि से पहले लाखों लोग राजगृह आते हैं।

डॉ आंबेडकर 15-20 वर्षों तक राजगृह में रहे। डॉ आंबेडकर ने इस घर में अपने 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया था, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय था। इमारत को एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की योजना कानूनी और तकनीकी मुद्दों के कारण गिर गई, लेकिन 2013 में यह बंगला एक विरासत स्मारक बन गया। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

7. मुक्ति भूमि, येवला 

Mukti Bhoomi Yeola Dr Babasaheb Ambedkar Smarak
येवला में स्थित “मुक्ति भूमि स्मारक”, जहां 1935 में बाबासाहब ने धर्म परिवर्तन की घोषणा की थी (Siddhartha Chabukswar)

मुक्ति भूमि वह जगह है जहां बाबासाहेब ने मुक्ति का संदेश दिया था, यानी धर्मांतरण की घोषणा की थी। “भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मुक्ति भूमि स्मारक” नासिक जिले के येवला में है। स्मारक का उद्घाटन 2 अप्रैल 2014 को किया गया था।

13 अक्टूबर 1935 को, येवला में डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने हिंदू धर्म त्यागने की की घोषणा की थी। बाबासाहेब ने यहां धर्मांतरण की घोषणा की, लेकिन किस धर्म को स्वीकार करने संबंधी कोई निर्णय नहीं किया गया था।

इस स्मारक के प्रवेश द्वार के निकट बाबासाहब की एक भव्य एवं सुंदर मूर्ति लगाई गई है, जिसका अनावरण 2014 में भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई द्वारा किया गया था। 6 दिसंबर, 2021 को, 65 वें महापरिनिर्वाण दिवस, महाराष्ट्र सरकार ने मुक्ति भूमि को ‘बी’ क्लास तीर्थ स्थल का दर्जा दिया है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

8. दीक्षा भूमि, नागपुर

Deeksha Bhoomi Nagapur
नागपुर में स्थित “दीक्षा भूमि स्मारक”, जहां 1956 में बाबासाहब ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी (DAIC)

महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में दीक्षा भूमि है, जो भारतीय बौद्धों का एक सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है। 14 अक्टूबर 1956 को बाबासाहब ने नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और अपने 500000 अनुयायियों को भी बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। इसलिए नागपुर की इस भूमि को ‘दीक्षा भूमि’ नाम से जाना जाता है।

डॉ बाबासाहब आंबेडकर ने भारत (नागपुर) में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित किया। धर्मांतरण के पश्चात यहां पर बाबासाहब के अनुयायियों द्वारा एक भव्य स्तूप का निर्माण किया गया, जिसे अपने भव्य आकार के कारण ‘धम्मचक्र स्तूप’ भी कहा जाता है। दीक्षाभूमि स्मारक स्तूप का डोम 120 फीट ऊंचा है। ”पंचतीर्थ” के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे डॉ. आंंबेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक स्थान है।

दीक्षा भूमि पर जापान, थाईलैंड, श्रीलंका जैसे देशों से भी कई विदेशी बौद्ध अनुयाई आते हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा दीक्षाभूमि ‘ए’ क्लास पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है। हर साल यहां हजारों लोग बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हैं। यह पर डॉ आंबेडकर द्वारा निर्धारित 22 प्रतिज्ञाओं का स्तंभ भी खड़ा किया गया है, तथा एक बोधिवृक्ष भी लगाया गया है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

9. महापरिनिर्वाण भूमि, दिल्ली

Mahaparinirvan Bhoomi - Dr Ambedkar National Memorial
नई दिल्ली में स्थित “महापरिनिर्वाण भूमि” (डॉ आंबेडकर नेशनल मेमोरियल), जहां 1956 में बाबासाहब का महापरिनिर्वाण हुआ था (DAIC)

नई दिल्ली में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ है, जहां उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ था। यहां पर अब भारत सरकार द्वारा एक भव्य एवं सुंदर “डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक” का निर्माण किया गया है। इस स्मारक की इमारत का डिजाइन एक खुले भारतीय संविधान की पुस्तक के रूप में है, और यह आकार “ज्ञान का प्रतीक” है। ”पंचतीर्थ” के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे डॉ. आंंबेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक स्थान है।

1951 में केंद्रीय कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने दिल्ली में 1, हार्डिंग एवेन्यू में सरकारी आवास छोड़ दिया और 26 अलीपुर रोड स्थित सिरोही के महाराजा के आवास में चले गए। बाबासाहेब 1951 से 1956 तक इस घर में रहे। वहीं 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। इसलिए इस वास्तु को ‘महापरिनिर्वाण स्थल’ या ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ के रूप में जाना जाता है।

इस घर को स्मारक में तब्दील करने की मांग को लेकर 12 साल तक का लंबा आंदोलन चला। बाद में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केंद्र में आई तो इमारत को मूल मालिक से ले लिया गया और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जन्म शताब्दी समारोह समिति ने 2 दिसंबर 2003 को इस घर को राष्ट्रीय स्मारक में बदलने का फैसला किया और वास्तु को स्मारक में बदल दिया।

इस स्मृति स्थल पर एक नए भव्य स्मारक बनाने के लिए एक नए स्मारक की योजना बनाई गई थी, 21 मार्च 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला रखी थी। दो साल बाद, 127वीं अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर, नरेंद्र मोदी ने 13 अप्रैल 2018 को स्मारक का लोकार्पण किया।

डॉ आंबेडकर नेशनल मेमोरियल का कुल क्षेत्रफल 7,374 वर्ग मीटर है। इस स्मारक पर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। यहां की इमारत में हर तरफ हरा रंग दिया गया है। स्मारक के प्रवेश द्वार पर 11 मीटर ऊंचा अशोक स्तंभ खड़ा है और इसके पीछे एक ध्यान केंद्र है।

स्मारक क्षेत्र में प्रदर्शनी और आधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक संग्रहालय बनाया गया है। यहां बाबासाहेब के कार्यों की जानकारी देना, प्रदर्शनियों का आयोजन आदि जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस जगह पर बाबासाहेब की 12 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, डिजिटल प्रदर्शनी, गौतम बुद्ध की ध्यानस्थ प्रतिमा है। 3डी इफेक्ट के जरिए बाबासाहेब सीधे अपने विचार प्रस्तुत करते देखे जा सकते हैं। यहां एक ध्यान केंद्र, बोधि वृक्ष और संगीतमय फव्वारा भी है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान

 

10. चैत्य भूमि, मुंबई

Dr Babasaheb Ambedkar Chaitya Bhoomi Smarak
मुंबई में स्थित “चैत्य भूमि” स्मारक, जहां 1956 में बाबासाहब का अंतिम संस्कार हुआ था

चैत्यभूमी मुंबई के दादर इलाके में स्थित डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का समाधि स्थल है, जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया था । इस मेमोरियल का आधिकारिक नाम “परमपुज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक चैत्यभूमी” है। इस स्मारक में बाबासाहब की अस्थियां रखी गई है। हर साल 6 दिसंबर, महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर लाखों आंबेडकरवादी लोग चैत्यभूमी आते हैं और अपने मसिहा को नमन करते हैं।

बाबासाहब की बहू मीरा आंबेडकर द्वारा 5 दिसंबर 1971 को चैत्यभूमि स्मारक का उद्घाटन किया गया। इस स्मारक में बाबासाहब की अस्थियां रखी गई है। 2016 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा चैत्य भूमि को  ‘ए’ क्लास टूरिज्म और पिलग्रिमेज साइट का दर्जा दिया गया। 2019 में, यहां एक अखंड प्रज्वलित भीमज्योत भी लगाई गई है जो उनकी स्मृति सदैव अमर बनाती है।

एक वर्ग हॉल पर एक छोटा गुंबद ऐसा चैत्य भूमि का स्वरुप है। हॉल को जमीन में और भूतल में विभाजित किया गया है। चौकोर-युक्त संरचना में डेढ़ मीटर की एक गोलाकार दीवार है। स्मारक के अंदर संगमरमर के फर्श पर डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की अर्ध मूर्ति और गौतम बुद्ध की मूर्ति है। गोलाकार दीवार में दो दरवाजे हैं। भूतल पर एक स्तूप है और भिक्षुओं के लिए एक आराम कक्ष है। चैत्य भूमि के मुख्य प्रवेश द्वार पर साँची स्तूप की प्रतिकृति है और अशोक स्तंभ भी है।

पंचतीर्थ” के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे डॉ. आंंबेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक स्थान है। – डॉ. आंबेडकर से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान


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2 thoughts on “ये हैं डॉ. बाबासाहब आंबेडकर से जुड़े 10 महत्वपूर्ण स्थान

  1. Jaybhim Namobuddhay
    Jabtak chand suraj hai
    Tabtak Dr.Babasaheb Ambedkar ji
    Amar hair.

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