भारत में बुद्ध जयंती को 20वीं सदी के मध्य से पहले तक आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्ज़ा नहीं दिया गया था। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की वजह से भारत में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाया गया। आने वाली 26 मई 2021 को बुद्ध पूर्णिमा है, और इसके उपलक्ष में भारत की बुद्ध पूर्णिमा उत्सव से जुड़े हुए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य को विस्तार से जानते हैं। – buddha purnima history in hindi
buddha purnima history in hindi
भारत में बुद्ध जयंती को 20वीं सदी के मध्य से पहले तक आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्ज़ा नहीं दिया गया था। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की वजह से भारत में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाया गया। आने वाली 26 मई 2021 को बुद्ध पूर्णिमा है, और इसके उपलक्ष में भारत की बुद्ध पूर्णिमा उत्सव (buddha purnima history in hindi) से जुड़े हुए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य को विस्तार से जानते हैं।
buddha purnima in hindi – सार्वजनिक बुद्ध जयंती के प्रणेता थे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित किया है। ब्रिटिश लेखक एवं भिक्खु संघरक्षित ने लिखा है कि, सम्राट अशोक के अलावा अन्य किसी भी भारतीय की तुलना में डॉ. आंबेडकर ने भारत में बौद्ध धर्म का प्रसार एवं प्रचार सर्वाधिक किया है।
विश्व को अहिंसा का पहला पाठ पढ़ाने वाले बुद्ध के दुनिया भर में 150 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं। गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद सैकड़ों वर्षों से बुद्ध पूर्णिमा (बुद्ध जयंती) का उत्सव मनाया जाता था। इसके बावजूद, भारत में इस उत्सव को 20वीं सदी के मध्य से पहले तक आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्ज़ा नहीं दिया गया था। बाबासाहब की वजह से भारत में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश (छुट्टी) बनाने का फैसला किया जो भगवान बुद्ध के जन्म, जीवन और मृत्यु के सम्मान में मनाया जायेगा।
भारत में पहली सार्वजनिक बुद्ध जयंती 2 मई 1950 को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की अध्यक्षता में दिल्ली में मनाई गई थी। इस अवसर पर डाॅ. आंबेडकर ने बुद्ध के जीवन और कार्यों पर बात की। जयंती समारोह में कई देशों के वकीलों/प्रतिनिधियों, भिक्खु संघ और लगभग बीस हजार लोगों के समुदाय ने भाग लिया। इस प्रकार भारत में सार्वजनिक बुद्ध जयंती की शुरुआत हुई। 1951 में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की अध्यक्षता में तीन दिवसीय बुद्ध जयंती उत्सव मनाया गया। 1956 में, बाबासाहब ने दिल्ली में अपने जीवन की अंतिम बुद्ध जयंती मनाई।
पहले केवल हिमालयन प्रदेशों में तथा पूर्वी राज्यों के बौद्ध बहुमत वाले इलाकों में ही सार्वजनिक बुद्ध जयंती का आयोजन किया जाता था। लेकिन बाबासाहब ने भारत की राजधानी दिल्ली, मुंबई और अन्य कई जगहों पर इस उत्सव को सार्वजनिक तौर पर मनाया।
buddha purnima history in hindi – बाबासाहब आंबेडकर ने बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाया
दिल्ली के बाद बाबासाहब आंबेडकर ने 1953 से महाराष्ट्र में बुद्ध जयंती की शुरुआत की। 1956 तक, उनकी अध्यक्षता में और उनकी उपस्थिति में, महाराष्ट्र में बुद्ध जयंती के कई भव्य कार्यक्रम हुए थे। महाराष्ट्र के बुद्ध जयंती कार्यक्रम मुख्य रूप से मुंबई में आयोजित किए गए थे। (buddha purnima in hindi) बाबासाहब आंबेडकर ने भारत और महाराष्ट्र में बुद्ध जयंती महोत्सव की परंपरा शुरू की, इसलिए वे भारत में सार्वजनिक बुद्ध जयंती महोत्सव के संस्थापक या प्रणेता बने।
‘अन्य सभी धर्म संस्थापकों के जन्मदिन पर देश में छुट्टी मिलती है। फिर मानवता का महान संदेश देने वाले तथागत बुद्ध की जयंती पर छुट्टी क्यों नहीं है? या तो नियोजित छुट्टियों में से एक को कम करें या हमें एक और छुट्टी दें‘ ऐसी जोरदार मांग डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने भारत कि तत्कालीन केंद्र सरकार की थी। हालांकि 1942 से बुद्ध जयंती को एक सार्वजनिक अवकाश के रुप में घोषित करने की मांग हो रही थी।
डॉ. आंबेडकर के प्रयासों और दबाव के कारण, 27 मई, 1953 को भारत सरकार ने बुद्ध जयंती के अवसर पर इस उत्सव को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया। हालाँकि, महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष सार्वजनिक अवकाश की घोषणा नहीं की थी। इन सभी बातों का जिक्र खुद बाबासाहब ने 1953 में मुंबई में बुद्ध जयंती कार्यक्रम में दिए अपने भाषण में किया था।
केन्द्र के अलावा इन राज्यों में है बुद्ध जयंती का अवकाश (buddha purnima wishes in hindi)
बुद्ध पूर्णिमा यह प्रमुख सार्वजनिक अवकाश भारत के मुख्य बौद्ध जनसंख्या वाले क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। अंदमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब जैसे कई राज्यों में बुद्ध पूर्णिमा का आधिकारिक अवकाश हैं।
भगवन बुद्ध के अलग-अलग जन्मवर्ष
आमतौर पर बुद्ध का जीवनकाल ईसा पूर्व 563 से ईसा पूर्व 483 माना जाता है। हालांकि नेपाल और श्रीलंका के बौद्धों का हमेशा से मानना रहा है कि बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व 623 में और निर्वाण ईसा पूर्व 543 में हुआ। about buddha purnima in hindi
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महत्त्व पूर्ण माहिती दिली आहे.
आपले समाज जागा करण्याचे कार्य उत्तम आहे।
आपला आभारी आहे.
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