Last Updated on 18 October 2025 by Sandesh Hiwale
सुप्रीम कोर्ट में आंबेडकर की प्रतिमा: 26 नवंबर को भारत के उच्चतम न्यायालय के परिसर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के परिसर में केवल दो लोगों की मूर्तियां स्थापित की थी। Ambedkar statue in Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और मुख्य न्यायधीश भूषण रामकृष्ण गवई की पहल पर सुप्रीम कोर्ट के परिसर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति स्थापित की गई। संविधान दिवस यानी 26 नवंबर 2023 को डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। यह बाबासाहब का एक राष्ट्रीय गौरव है। प्रतिमा के अनावरण के बाद सुप्रीम कोर्ट सभागार में संविधान दिवस मनाया, जहां राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थी।
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- डाॅ. बाबासाहब आंबेडकर के संविधान पर विचार

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक वकील और न्यायविद् के रूप में प्रसिद्ध हैं। बाबासाहब की यह प्रतिमा 7 फीट ऊंची है और 3 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ी है। प्रतिमा में डॉ. आंबेडकर वकील की पोशाक में हैं और उनके हाथ में संविधान की एक प्रति भी है। सुप्रीम कोर्ट नंबर 1 के सामने जहां भारत के मुख्य न्यायाधीश बैठते हैं, वहां बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति लगाई गई है। यह आंबेडकर मूर्ति हरियाणा के मानेसर में बनाई गई, और प्रसिद्ध मूर्तिकार नरेश कुमावत ने इसे को गढ़ा है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक भारतीय बहुआयामी विद्वान और दार्शनिक थे। वह एक विधिवेत्ता, समाज सुधारक, लेखक, अर्थशास्त्री और राजनीतिक नेता थे। उन्होंने संविधान सभा में प्रारूप समिति का नेतृत्व किया और भारतीय संविधान का निर्माण किया। उन्होंने पहले केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री के साथ-साथ राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। हिंदू धर्म त्यागने के बाद उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया। उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर बाबासाहब का विशेष विभाग
प्रतिमा स्थापित करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बाबासाहब आंबेडकर को एक और महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया है। इस वर्ष बाबासाहब के वकालत करियर के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, संविधान दिवस पर, सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में एक विशेष विभाग जोड़ा।
इस वेबपेज में उनके जीवन का विवरण, उनके द्वारा बहस किए गए मामले, उनके महत्वपूर्ण भाषणों के लिंक (उनके सीएडी भाषण के एक ऑडियो सहित), तस्वीरें आदि हैं। क्लिक करें और देखे → main.sci.gov.in/AMB/home
28 जून 1922 को डॉ. आंबेडकर ने ग्रेज़ इन, लंदन से कानून की सर्वोच्च डिग्री बैरिस्टर-एट-लॉ प्राप्त की। अगले वर्ष, 5 जुलाई 1923 को, वकालत के अभ्यास के लिए उनका नाम बॉम्बे हाई कोर्ट में पंजीकृत किया गया।
1970 के दशक से ही थी मांग
आंबेडकरवादी वकीलों के एक समूह की मांग के बाद बाबासाहब की प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट परिसर में संविधान निर्माता की मूर्ति लगाने की मांग की गई थी। 1970 के दशक में, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आंबेडकर के अनुयायी दादासाहब गायकवाड़ के नेतृत्व में आंबेडकरवादी जनता को संसद में बाबासाहब की प्रतिमा की स्थापना के लिए संघर्ष करना पड़ा। यह संघर्ष अगले पाँच दशकों तक जारी रहा और अब इसे सफलता मिली।

14 अप्रैल 2023 को आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रतीक बोम्बार्डे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ को एक निवेदन सौंपा, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में डॉ. आंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में डॉ. आंबेडकर की मूर्ति लगाने की भी मांग की। इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट आर्गुइंग काउंसिल एसोसिएशन (SCACA) ने भी मूर्ति लगाने की मांग की थी। हम देखते हैं कि मुख्य न्यायाधीश ने इन मांगों पर सकारात्मक विचार किया।
सुप्रीम कोर्ट के कैलेंडर में 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती को “न्यायालय अवकाश” के रूप में स्थायी रूप से शामिल करने की भी मांग आंबेडकरवादी वकील कर रहे हैं। पिछले साल 6 दिसंबर 2022 को आंबेडकरवादी अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को एक और पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के लॉन में डॉ आंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की थी।
भारत की आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बाबासाहब को इस तरह सम्मानित किया है। सुप्रीम कोर्ट में आंबेडकर का एक तैलचित्र भी लगाया गया है। भारत के सर्वोच्च न्याय मंदिर ने सामाजिक न्याय के महान योद्धा का सम्मान किया है। सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहब की प्रतिमा स्थापित करने से सुप्रीम कोर्ट की भी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
पहले यहां थी तिलक और गांधी की मूर्तियां
पहले, सुप्रीम कोर्ट परिसर में केवल बाल गंगाधर तिलक और मोहनदास करमचंद गांधी (1998 में) की मूर्तियाँ थी। यहाँ अब भीमराव रामजी अंबेडकर की तीसरी प्रतिमा शामिल हुई है। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को न केवल भारत में लाखों दलितों या हाशिए के लोगों के मुक्तिदाता के रूप में बल्कि भारतीय संविधान के शिल्पकार और भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।
जल्द ही होगा पर आंबेडकर की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण
सुप्रीम कोर्ट में बाबासाहब की प्रतिमा की स्थापना बहुत महत्वपूर्ण और सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। यह आधुनिक भारत के निर्माता का राष्ट्रीय सम्मान है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि अगले कुछ महीनों में ही आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित का अनावरण किया जायेगा। यह प्रतिमा दुनिया में बाबासाहेब की सबसे ऊंची और भारत की चौथी सबसे ऊंची प्रतिमा है।
- विजयवाड़ा में डॉ. आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा (अनावरण 19 जनवरी 2024)
- हैदराबाद में डॉ. आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा (अनावरण 14 अप्रैल 2023)
1967 में, पुराने संसद भवन परिसर में बाबासाहब की एक भव्य प्रतिमा भी लगी है। इसके साथ ही नए संसद भवन में वल्लभभाई पटेल और बाबासाहब आंबेडकर का एक संयुक्त और भव्य भित्तिचित्र भी लगाया गया है। यहां दिल्ली में बाबासाहब की कई मूर्तियां स्थापित की गई हैं, लेकिन इन मूर्तियों में संसद तथा सुप्रीम कोर्ट में स्थापित आंबेडकर की मूर्तियां सबसे खास है।
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