भारत की 10 सबसे ऊंची मूर्तियां (2024)

हमारी संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ाने और महापुरुषों को गौरवान्वित करने के लिए उनकी भव्य प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं। भारत में भी हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के लिए कई मूर्तियाँ बनाई गई हैं। आज हम जानेंगे कि भारत की सबसे ऊंची मूर्तियाँ ( Tallest Statues in India in Hindi ) कौन सी हैं। Bharat ki sasbe unchi murtiya

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The tallest statues in India
भारत की सबसे ऊंची मूर्तियां – The tallest statues in India

भारत को ‘मूर्तियों का देश’ कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि अगर हम इस देश में खड़ी सभी प्रकार की छोटी-बड़ी मूर्तियों पर विचार करें तो उनकी संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होगी।

दुनिया की पांच सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से दो प्रतिमाएं हमारे भारत देश में हैं। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भी भारत में है और दुनिया की सबसे ऊंची बैठी हुई प्रतिमा भी भारत में है। भारत की सबसे ऊंची मूर्तियों में से दो डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की भी हैं। इन दोनों मूर्तियों की रैंक जानना भी जरूरी है।

इस लेख में, चबूतरे या आधार सहित मूर्ति की ऊंचाई को ध्यान में रखते हुए, भारत की 10 सबसे ऊंची मूर्तियों को क्रम से लगाया गया है। आइए जानते हैं भारत की सबसे ऊंची मूर्तियों के बारे में….

 

भारत की 10 सबसे ऊंची मूर्तियाँ

10. हनुमान प्रतिमा, आंध्र प्रदेश (135 फ़ीट)

हनुमान की ऊंची मूर्ति

परितला अंजनेय मंदिर भगवान हनुमान की एक भव्य मूर्ति वाला मंदिर है। यह मूर्ति भारत की तीसरी सबसे ऊंची हनुमान की मूर्ति है। यह भारत की दसवीं सबसे ऊंची मूर्ति भी है।

यह प्रतिमा आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा शहर से लगभग 30 किमी दूर NH-65 पर परितला गाँव में स्थित है। यह प्रतिमा 2003 में स्थापित की गई थी और इसकी ऊंचाई 135 फीट (41 मीटर) है। लगभग दस फीट के मंदिर जैसे चबूतरे पर हनुमान की 125 फीट की मूर्ति खड़ी है।

 

9. वैष्णो देवी की मूर्ती, उत्तर प्रदेश (141 फ़ीट)

Vaishno Devi Statue, Vrindavan
Vaishno Devi Statue, Vrindavan – भारत की सबसे ऊंची मूर्तियाँ

उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में वैष्णो देवी की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसकी कुल ऊँचाई 141 फीट (43 मीटर) है। वैष्णो देवी की यह मूर्ति भारत की सबसे ऊंची मूर्तियों में 9वें स्थान पर है।

मूर्ति में वैष्णो देवी को शेर पर बैठे हुए दिखाया गया है और हनुमान को भी उनके सामने झुकते हुए दिखाया गया है। वैष्णो देवी अपने आठ हाथों में आठ अलग-अलग हथियार या वस्तुएं रखती हैं, अर्थात् गदा, शंख, धनुष, तलवार, त्रिशूल, चक्र और कमल।

वैष्णो देवी की मूर्ति जमीन से 141 फीट ऊंची है। जमीन से शेर की ऊंचाई लगभग 35′-6″ फीट है। हनुमान की मूर्ति 32 फीट ऊंची है और उनकी गदा 26 फीट लंबी है। अकेले मां वैष्णो देवी की ऊंचाई लगभग 102 फीट है।

 

8. मुरुगन की प्रतिमा, तमिलनाडु (146 फ़ीट)

Murugan statue in Tamil Nadu
Murugan statue (salemalivetech.com)

अप्रैल 2022 में, तमिलनाडु के सलेम जिले के पुथिरागौंडनपालयम में भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मूर्ति की ऊंचाई 146 फीट है।

पुथिरागौंडनपालयम में श्री मुथुमलाई मुरुगन ट्रस्ट द्वारा निर्मित, यह मूर्ति मलेशिया में पथुमलाई मुरुगन की मूर्ति से भी ऊंची है, जिसकी ऊंचाई 140 फीट है।

जाहिर तौर पर, मलेशिया की मुरुगन प्रतिमा ने सलेम में प्रतिमा के निर्माण को प्रेरित किया। श्री मुथुमलाई मुरुगन ट्रस्ट के अध्यक्ष एन श्रीधर अपने गृहनगर अत्तूर में मुरुगन की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाना चाहते थे।

खबरों के मुताबिक, श्रीधर ने सोचा कि हर कोई मलेशिया नहीं जा सकता और वहां देवता की पूजा नहीं कर सकता, इसलिए उसे सलेम जिले में एक को लाना चाहिए। बाद में 2014 में, श्रीधर, जो एक व्यवसायी भी हैं, ने अपनी जमीन पर एक मंदिर और मुथुमलाई मुरुगन की मूर्ति बनाने का फैसला किया।

श्रीधर ने मूर्ति के निर्माण के लिए मूर्तिकार तिरुवरुर त्यागराजन को नियुक्त किया। दिलचस्प बात यह है कि वह वही मूर्तिकार हैं जिन्होंने 2006 में मलेशिया में मुरुगन की मूर्ति बनाई थी। इस प्रतिमा के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने में श्रीधर को लगभग दो साल लग गए।

 

7. पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा, कर्नाटक (161 फ़ीट)

Panchamukhi Hanuman statue at Bidanagere, Kunigal
Panchamukhi Hanuman statue at Bidanagere, Kunigal

कर्नाटक के बिडनगेरे में 161 फीट ऊंची पंचमुखी अंजनेय स्वामी (हनुमान) की मूर्ति स्थापित है। यह भारत की सातवी सबसे ऊंची प्रतिमा है।

10 अप्रैल 2022 को राम नवमी के अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बिदनगेरे बसवेश्वर मठ में इस मूर्ति का अनावरण किया।

यह प्रतिमा भारत की दूसरी सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमा है। यह हनुमान की दस भुजाओं और पाँच मुख वाली पंचमुखी मूर्ति है। भारत की सबसे ऊंची मूर्तियां

 

6. हनुमान की प्रतिमा, आंध्र प्रदेश (171 फ़ीट)

Hanuman Statue in Madapam
Hanuman Statue in Madapam (Photo: Manish Malviya)

हनुमान की यह मूर्ति आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के मदापम में वंशधारा नदी के तट पर स्थित है। यह भारत की सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई 52 मीटर (171 फीट) है।

इस मूर्ति के निर्माण में लगभग 1 करोड़ भारतीय रुपये की लागत आई थी। यह न केवल भारत की, बल्कि दुनिया की भी सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति है।

 

भारत की 5 सबसे ऊंची मूर्तियाँ

5. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा, तेलंगाना (175 फ़ीट)

Ambedkar_Statue_in_Hyderabad,_Telangana
Ambedkar Statue in Hyderabad, Telangana

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की भव्य प्रतिमा स्थित है। यह डॉ. आंबेडकर की दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है, और भारत की पांचवी सबसे ऊंची मूर्ति है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (1891-1956) स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारतीय सामाजिक संग्रामों में एक अग्रणी व्यक्ति है।

डॉ. आंबेडकर की मूर्ति कुल 175 फीट (53.34 मीटर) ऊंची है, जिसमे मुख्य प्रतिमा की ऊंचाई 125 फीट (38.1 मीटर) है, और चबूतरे यानि आधार भवन की ऊंचाई 50 फीट (15.24 मीटर) है। 14 अप्रैल 2023 को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 132वीं जयंती के अवसर पर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव ने बाबासाहेब आंबेडकर की 175 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।

यह आंबेडकर स्मारक 15 एकड़ में फैला हुआ है. 2017 में, तेलंगाना सरकार ने राज्य में संविधान निर्माता की 125 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया था। प्रतिमा को बनाने में 146.5 करोड़ रुपये की लागत खर्च हुई।

 

4. स्टैच्यू ऑफ सोशल जस्टिस, आंध्र प्रदेश (206 फ़ीट)

Statue of Social Justice
The Statue of Social Justice in Vijayawada, Andra Pradesh (Photo Credit: G.N. RAO)

आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा शहर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की 206 फीट ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ सोशल जस्टिस स्थित है। यह दुनिया में बाबासाहेब आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा है। साथ ही यह भारत की चौथी सबसे ऊंची मूर्ति है। यह प्रतिमा विजयवाड़ा के डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्मृतिवनम (डॉ. बी.आर. आंबेडकर स्मारक) में बनी है।

राज्य के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 9 जुलाई, 2020 को इस आंबेडकर प्रतिमा और स्मारक का भूमिपूजन किया था। प्रतिमा का अनावरण उनके ही द्वारा 19 जनवरी 2024 को किया गया। यह प्रतिमा हैदराबाद में बनी 175 फीट ऊंची डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की भव्य प्रतिमा से 31 फीट ऊंची है।

बाबासाहब की मुख्य प्रतिमा की ऊंचाई 125 फीट (38.1 मीटर) है, और उसके चबूतरे या आधार भवन की ऊंचाई 81 फीट (24.69 मीटर) है। चबूतरे सहित मूर्ति कुल 206 फीट (62.79 मीटर) ऊंची है। इस स्मारक के निर्माण की लागत लगभग ₹404 करोड़ है। यह पूरा मेमोरियल 19 एकड़ में फैला हुआ है।

 

3. स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी, तेलंगाना (216 फ़ीट)

the statue of equality ramanujanRamanujan’s Statue of Equality (Photo: saichintala.com)

स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (समता मूर्ति) भारतीय दार्शनिक और भक्ति संत रामानुजाचार्य (1017 – 1137) की मूर्ति है, जो हैदराबाद के बाहरी इलाके में रंगा रेड्डी जिले के मुचिंतल में स्थित है। ध्यान में बैठे रामानुजाचार्य की यह मूर्ति भारत की दूसरी सबसे ऊंची बैठी हुई मूर्ति है।

रामानुज की मुख्य मूर्ति 108 फीट (32.9 मीटर) ऊंची है। इसके चबूतरे यानि भद्र पीतम की ऊंचाई 54 फीट, तथा पद्म पीठ की ऊंचाई 27 फीट है। नीचे की सतह को मिलाकर इस मूर्ति की कुल ऊंचाई 216 फीट (65.8 मीटर) है। उनके हाथ में लिया गया त्रिदंडम (जिसे वैष्णव पीठाधिपति अपने साथ रखते हैं) 135 फीट ऊंचा है।

रामानुजाचार्य की यह स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी भारत की तीसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है। पीतम जिस पर मूर्ति बनाई गई है उसकी 54 पंखुड़ियां हैं और उसके नीचे 36 हाथियों की मूर्तियां बनी हुई हैं। कमल की पत्तियों पर 18 शंख और 18 चक्र बने हैं. इस मूर्ति तक पहुंचने के लिए 108 सीढ़ियां हैं।

इस प्रतिमा में विभिन्न द्रविड़ साम्राज्यों की मूर्तिकला से जुड़ी चित्रकारी की गई है। भद्रपीतम में 120 किलो सोने से ये मूर्ति बनाई गई है। 120 किलो सोना लेने की वजह ये है कि रामानुजाचार्य 120 सालों तक जीवित रहे थे।

5 फरवरी, 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ का अनावरण किया। प्रतिमा बनाने की परियोजना की कल्पना ट्रस्ट द्वारा रामानुज की 1,000वीं जयंती मनाने के लिए की गई थी, जिसकी लागत ₹1,000 करोड़ थी। पूरा प्रोजेक्ट 45 एकड़ में फैला हुआ है।

 

2. विश्वास स्वरुपम, राजस्थान (369 फ़ीट)

The Statue of Belief 
The Statue of Belief

स्टैच्यू ऑफ बिलीफ या विश्वास स्वरूपम राजस्थान के नाथद्वारा में भगवान शिव की एक मूर्ति है। यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है, तथा दुनिया की चौथी सबसे ऊंची मूर्ति है। मुख्य प्रतिमा की ऊंचाई 348 फीट (106 मीटर) है, और चबूतरे  सहित मूर्ति कुल मिलाकर 369 फीट (112 मीटर) ऊंची है; चबूतरा 110 फीट (34 मीटर) लंबा है।

यह दुनिया में भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा है, तथा दुनिया की सबसे ऊंची बैठी हुई मूर्ति है। प्रतिमा का अनावरण 29 अक्टूबर 2022 को किया गया था। प्रतिमा की योजना 2011 में की गई थी, निर्माण 2016 में शुरू हुआ और 2020 में पूरा हुआ। भारत की सबसे ऊंची मूर्तियाँ

 

1. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात (790 फ़ीट) 

The Statue of Unity
The Statue of Unity – भारत की सबसे ऊंची मूर्तियाँ

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जो गुजरात राज्य में केवडिया के पास बनाई गई है। यह स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अग्रणी व्यक्ति वल्लभभाई पटेल (1875-1950) की मूर्ति है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की कुल ऊंचाई 240 मीटर (790 फीट) है, जिसमें आधार 58 मीटर (190 फीट) और मूर्ति 182 मीटर (597 फीट) है। मूर्तिकार राम वी सुतार ने इस मूर्ति का निर्माण किया है।

प्रतिमा परियोजना की घोषणा पहली बार 2010 में की गई थी और निर्माण अक्टूबर 2013 में शुरू हुआ था। प्रतिमा का अनावरण प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143 वीं जयंती के अवसर पर किया था।


इन दस सबसे ऊंची मूर्तियों में से पांच राज्यों (गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश) में एक-एक मूर्ति है। जबकि दो तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना (2) और आंध्र प्रदेश (3) में पाँच मूर्तियाँ हैं।

भारत की 10 सबसे ऊंची मूर्तियों में से छह पौराणिक शख्सियतों की हैं जबकि अन्य 4 ऐतिहासिक शख्सियतों की हैं। इन दस मूर्तियों में से दो बाबासाहब आंबेडकर की, तीन हनुमान की और 5 अन्य की एक-एक मूर्ति है।


नोट: ऊंची मूर्तियों की रैंकिंग करते समय भ्रम

इस लेख में प्रतिमाओं का क्रम उनकी प्रतिमा सहित उनकी कुल ऊंचाई को ध्यान में रखकर तय किया गया है। हालाँकि कुछ अन्य वेबसाइटें सबसे ऊँची मूर्तियों को लेकर गलत जानकारी बताती हैं। ऊँची मूर्तियों के क्रम (रैंक) का निर्धारण करते समय, या तो सभी मूर्तियों की ऊंचाई चबूतरे सहित मापी जाती है, या तो चबूतरे को छोड़कर के केवल मुख्य मूर्तियों की ऊंचाई मापी जाती है। इन दोनों में से कोई एक ही – प्रतिमाओं की ऊंचाई का मापदंड एक समान रखना होना होता है।

उदाहरण के लिए: अगर आपसे पूछा जाए कि “रामानुज की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी” और “हैदराबाद की डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मूर्ति” इन दोनों में कौन सी मूर्ति अधिक ऊंची है? इस सवाल के जवाब में यदि आप ‘डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा’ कहे तो भी सही उत्तर होगा और यदि आपने जवाब में ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ कहा तो भी सही उत्तर होगा। ऐसा क्यों और कैसे?? देखिए, केवल मुख्य प्रतिमा की ऊंचाई पर गौर करें तो बाबासाहेब की प्रतिमा 125 फीट ऊंची है और रामानुज की प्रतिमा 108 फीट ऊंची है। यहां बाबासाहेब की प्रतिमा अधिक ऊंची होगी।

लेकिन अगर चबूतरे समेत मूर्ति की कुल ऊंचाई नापी जाए तो बाबासाहेब की मूर्ति 175 फीट और रामानुज की मूर्ति 216 फीट की है। और अब रामानुज की प्रतिमा अधिक ऊंची होगी। अतः प्रतिमाओं की ऊंचाई मापते समय सभी प्रतिमाओं की ऊंचाई मापने का मापदण्ड एक समान होना चाहिए। मैंने कई वेबसाइटें देखी हैं, जहां शीर्ष दस प्रतिमाओं की सूची में एक प्रतिमा की ऊंचाई चबूतरे के बिना मापी गई है, जबकि दूसरी प्रतिमा की ऊंचाई चबूतरे को मिलाकर मापी गई। इसलिए शीर्ष प्रतिमाओं की सूची बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो लोगों के पास गलत जानकारी जाएगी। हमारी धम्म भारत वेबसाइट पर सही मापदंड का इस्तेमाल कर शीर्ष प्रतिमाओं के सही सूची बनाई गई है।


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