डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के एकलौते पुत्र यशवंत आंबेडकर ने अपने पिता के अधूरे सपने को आगे बढ़ाने में सक्रिय योगदान दिया। हम इस लेख के माध्यम से इस ‘सूर्यपुत्र’ का संपूर्ण जीवन परिचय जानने जा रहे हैं। – Dr BR Ambedkar son Yashwant Ambedkar Biography
Yashwant Ambedkar Biography
नाम | यशवंत भीमराव आंबेडकर |
जन्म | 12 दिसंबर 1912 |
मृत्यू | 17 सितंबर 1977 |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, समाचार पत्र संपादक, बौद्ध एवं सामाजिक कार्यकर्ता |
उपनाम | भैय्यासाहेब आंबेडकर |
धर्म | बौद्ध धर्म |
माता-पिता |
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पत्नी | मीरा आंबेडकर (विवाह : 1953) |
संतान |
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राजनीतिक पार्टी |
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विधायक |
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भाषाएं | मराठी, हिंदी और अंग्रेजी |
संस्था | Buddhist Society of India (2nd president) |
पत्रकारिता |
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स्मारक | चैत्यभूमी (समाधी स्थळ) |
यशवंत भीमराव आंबेडकर (12 दिसंबर 1912 – 17 सितंबर 1977), जिन्हें भैयासाहेब तथा यशवंतराव आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय सामाजिक-धार्मिक कार्यकर्ता, समाचार पत्र संपादक, राजनीतिज्ञ और आंबेडकरवादी बौद्ध आंदोलन के कार्यकर्ता थे। वह रमाबाई आंबेडकर और भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की पहली और एकमात्र संतान थे।
अपने पिता की मृत्यु के बाद, यशवंत ने अपना जीवन बौद्ध धर्म को समर्पित कर दिया और सामाजिक समानता के लिए अपने पिता के आंदोलन को गति दी। उन्होंने देश के आंबेडकरवादी समुदाय को एकजुट रखने का प्रयास किया और दलित बौद्ध आंदोलन में भी सक्रिय भाग लिया। वे 1942 से “जनता” समाचार पत्र के संपादक थे।
महाराष्ट्र के लोग अक्सर उन्हें ‘सूर्यपुत्र’ कहकर बुलाते हैं। जिसमें करोड़ों लोगों के जीवन को रोशन करने वाले डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को लोग ‘सूर्य’ कहते हैं. ऐसे महान सूर्य के पुत्र ने बाबासाहब के अधूरे कार्य को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यशवन्त आम्बेडकर ने अपने जीवन में दलितों के उत्थान और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए ये दोनों कार्य किये।
1956 में पिता की मृत्यु के बाद, राजरत्न आंबेडकर Buddhist Society of India के दूसरे अध्यक्ष बने और अपने पिता के संघर्ष को आगे जारी रखा। 1968 में, उन्होंने एक अखिल भारतीय बौद्ध सम्मेलन (All India Buddhist Conference) का आयोजन किया। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी मीरा आंबेडकर बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की तिसरी अध्यक्ष बनीं थी।
यशवंतराव भीमराव आंबेडकर का जन्म 12 जनवरी 1912 (12-12-12) को बॉम्बे में हुआ था। बाबासाहब आंबेडकर और रमाबाई की वे पहली संतान और एकमात्र जीवित संतान थे। यशवंत को कुल 4 भाई-बहन हुए लेकिन सभी का बचपन में ही निधन हो गया। उनके भाई – रमेश, गंगाधर, राजरत्न और बहन इंदु थी। 19 अप्रैल 1953 को यशवंत ने मीरा आंबेडकर से बौद्ध तरीके से शादी की (अब तक बाबासाहब आंबेडकर ने अपने परिवार के साथ “सार्वजनिक तौर पर” बौद्ध धर्म की दीक्षा नहीं ली थी)।
मीरा और यशवंत आंबेडकर के चार बच्चे हैं – प्रकाश, भीमराव, रमा, और आनंदराज। उनकी इकलौती बेटी रमा हैं, जिनकी शादी आनंद तेलतुम्बडे से हुई है। बाबासाहब की ये चार वंशज आज भी जीवित है। बाबासाहेब की बहू व यशवंत की पत्नी मीरा भी जीवित हैं।
यशवंत आंबेडकर के सबसे बड़े बेटे प्रकाश आंबेडकर महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े राजनेता है, और ‘वंचित बहुजन आघाडी’ नामक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष है। दुसरे बेटे भीमराव आंबेडकर राजनीतिज्ञ नहीं है लेकिन वो धार्मिक कार्यों में वे सक्रिय हैं, और वह भी अपने दादा बाबासाहब के धार्मिक कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे छोटे बेटे आनंदराज आंबेडकर भी एक राजनीतिज्ञ है, जो ‘रिपब्लिकन सेना’ नामक अपना राजनीतिक दल चला रहे है।
धार्मिक कार्य
14 अक्टूबर 1956 को, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने परिवार के साथ एवं अपने 500000 अनुयायियों के साथ नवयान बौद्ध धर्म अपना लिया। अब आधिकारिक तौर पर यशवंत आंबेडकर भी बौद्ध बन चुके थे और उन्होंने पिता बाबासाहब के इस धार्मिक कार्य को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से भाग लिया। धर्मांतरण के कुछ ही 7 सप्ताह बाद 6 दिसंबर 1956 को बाबासाहब आंबेडकर का परिनिर्वाण हुआ, इसके बाद ‘बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया’ इस बाबासाहब द्वारा स्थापित धार्मिक संगठन की जिम्मेदारी यशवंत आंबेडकर ने संभाली (1957 में)। यशवंत जीवन भर (1957-1977) इस संगठन के अध्यक्ष बने रहे।
1958 में, उन्होंने बैंकॉक, थाईलैंड में विश्व बौद्ध सम्मेलन (World Buddhist Conference) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कई बौद्ध मंदिर और बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक बनवाए। 2 अगस्त 1958 को, पुणे के भीमनगर में, उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर की एक पूर्ण आकार की कांस्य प्रतिमा स्थापित की। यह प्रतिमा दुनिया की पहली बाबासाहब की पूर्ण आकार की प्रतिमा (life size statue) है। वैसे बाबासाहब का आधे आकार की प्रतिमा (bust) महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में 1950 में स्थापित की गई थी।
6 दिसंबर 1956 को नई दिल्ली में बाबासाहब आंबेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ था, उसके अगले दिन 7 दिसंबर 1956 उनका अंतिम संस्कार चैत्यभूमि, मुंबई में किया गया। बाबासाहेब आंबेडकर की समाधि स्थली ‘चैत्यभूमि’ स्मारक का काम यशवंत आंबेडकर के प्रयासों से पूरा हुआ। चैत्यभूमि को बाबासाहब से जुड़े हुए सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। हर साल महापरिनिर्वाण दिवस पर यानी 6 दिसंबर को 25 लाख से ज्यादा आंबेडकरवादी एवं बौद्ध लोग चैत्यभूमि आते हैं और बाबासाहब को नमन करते हैं।
यशवंत अंबेडकर ने 1972 में श्रीलंका में विश्व बौद्ध सम्मेलन (World Buddhist Conference) में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
Yashwant Ambedkar Biography
राजनीतिक कार्य
यशवंत आंबेडकर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के सह-संस्थापक भी थे, जिसकी जड़ें बाबासाहेब आंबेडकर के नेतृत्व में अनुसूचित जाति संघ (Scheduled Castes Federation) में हैं। 30 सितंबर 1956 को, बाबासाहेब आंबेडकर ने “अनुसूचित जाति संघ” को खारिज करके “शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन” की स्थापना की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी के गठन से पहले, 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हो गई।
उसके बाद, उनके अनुयायियों ने और कार्यकर्ताओं ने इस पार्टी को बनाने की योजना की। पार्टी की स्थापना के लिए 1 अक्टूबर 1957 को नागपुर में प्रेसीडेंसी की बैठक हुई। इस बैठक में एन. शिवराज, यशवंत आंबेडकर, पी. टी. बोराले, ए.जी. पवार, दत्ता कट्टी, दादासाहेब रूपवते आदि आंबेडकरवादी लोग मौजूद थे। 3 अक्टूबर 1957 को ‘रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया’ का गठन किया गया था। एन. शिवराज को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
यशवंत आंबेडकर सामाजिक एवं धार्मिक कार्य करते हुए वे महाराष्ट्र की राजनीति में भी सक्रिय थे। वह 1960 से 1966 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे। आरपीआई अध्यक्ष एन. शिवराज ने 1964 में यशवंत आंबेडकर को आरपीआई के मुंबई राज्य अध्यक्ष के रूप में चुना। आरपीआई ने 1959 में भूमिहीन लोगों के लिए आंदोलन शुरू किया। Yashwant Ambedkar Biography
यशवंत भीमराव आंबेडकर की संतानें और पोते
निधन
17 सितंबर 1977 को यशवंत आंबेडकर का निधन हो गया। अपने पिता की तरह उन्हें भी 65 साल की आयु मिली। मुंबई के दादर की स्मशान भूमि (चैत्यभूमि स्तूप के बगल में) में बौद्ध रिती रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे।
यशवंत आंबेडकर पर लिखित किताबें
- “सूर्यपुत्र यशवंतराव आंबेडकर ” – लेखक: फूलचंद्र खोब्रागड़े; संकेत प्रकाशन, नागपुर, 2014
- “लोकनेते भैयासाहेब आंबेडकर ” – लेखक: प्रकाश जंजाल, रमाई प्रकाशन, 2019
टीप : डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का उपनाम (सरनेम) आंबेडकर है, जिसे आम्बेडकर भी लिखा जा सकता है। उनके उपनाम की दो अशुद्ध एवं गलत वर्तनीयां ‘अंबेडकर‘ और ‘अम्बेडकर‘ हैं, जिनका प्रयोग इस लेख में नहीं किया गया है। अनुरोध है कि आप भी बाबासाहब का सही वर्तनी वाला उपनाम ‘आंबेडकर’ ही लिखें।
ये भी देखें:
- आंबेडकर परिवार की संपूर्ण जानकारी
- प्रकाश आंबेडकर का जीवन परिचय
- सुजात आंबेडकर का जीवन परिचय
- राजरत्न आंबेडकर का जीवन परिचय
- यशवंत भीमराव आंबेडकर मराठी माहिती
- डॉ. सूरज एंगड़े का जीवन परिचय
- भारत की 50 मशहूर बौद्ध हस्तियां
- डॉ. आंबेडकर पर बनी हैं 15+ फिल्में
- डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के 130 अनमोल सुविचार
- कन्नड़ विकिपीडिया में सबसे ज्यादा पढा जाने वाला लेख है ‘बी. आर. आंबेडकर”
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✍️Very good ✍️ Jay bhim Jay sanvidhan✍️
✍️Hame ap ke duara bna hua note chahie
Jis me pura unka byura ho jaise janm se lekar or pote potiyo tak ka
ap ki mahan krapya hogi
✍️ Jay bhim Jay sanvidhan✍️
आंबेडकर परिवार की संपूर्ण जानकरी यहां पढ़ें ; जिसमें बाबासाहेब आंबेडकर जी के पोते पोतियों की भी जानकारी मौजूद है।
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