डॉ. आंबेडकर की ‘प्रतिभा’ से जुड़ी कुछ खास बातें

डॉ बाबासाहब आंबेडकर को दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों गिना जाता है। इस लेख में आपको डॉ आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें जानने को मिलेंगी जो उनकी प्रतिभा को बयां करती है, तथा उन्हें ‘दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति’ बनाती हैं।

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Some special things related to the genius of Dr. Ambedkar
Some special things related to the genius of Dr Ambedkar – डॉ आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें

डॉ आंबेडकर – दुनिया का सबसे बुद्धिमान इंसान

आज भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का 66वा महापरिनिर्वाण दिवस है। आज ही के दिन 6 दिसंबर 1956 को बाबासाहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। इसी अवसर पर हम बाबासाहब के ज्ञान और प्रतिभा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्ज एवं तथ्य जानने जा रहे हैं।

डॉ आंबेडकर कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति थे। उनके व्यापक अध्ययन के कारण उनकी याददाश्त बहुत तेज थी और वे एक महान विद्वान बन गए। इतिहास में अल्बर्ट आइंस्टीन, आइज़क न्यूटन जैसे ‘जीनियस’ और लियोनार्डो विंची, बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे ‘बहुविद्’ (polymath) व्यक्तित्व हुए हैं, और इन्हीं श्रेणीं में डॉ बाबासाहब आंंबेडकर का नाम भी जुड़ता है।

बाबासाहब को अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा और इसी संघर्ष के जरिए वे हिमालय की ऊंचाई तक पहुंचे। आइए जानते हैं की वो कौन-कौन सी बातों हैं जिससे डॉ आंबेडकर को दुनिया का सबसे बुद्धिमान इंसान माना गया है।

 

प्रतिभाशाली डॉ आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें

#1 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इतिहास के अग्रणी बहुविद् (polymath) हैं, जिनकी एक साथ कई सारे विषयों पर गहरी पकड़ थी।

वह एक दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायविद, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक, पत्रकार, लेखक, वकील, मानवविज्ञानी, धर्मशास्त्री, समाजशास्त्री, राजनीतिक विज्ञानी, पर्यावरणविद, शिक्षाविद्, संविधानविद, बहुभाषाविद्, भाषाविद, वक्ता, इतिहासकार आदि थे। वह भारत गणराज्य के संस्थापकों में से एक थे।

 

#2 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, पाली, संस्कृत, फ्रेंच, जर्मन, बंगाली, कन्नड़, उर्दू, फारसी और गुजराती जैसी 12 भाषाओं को जानते थे। इनमें से अधिकतर भाषाओं में उन्हें महारत हासिल थी।

 

#3 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को व्यापक रूप से आज तक का ‘सबसे बुद्धिमान भारतीय’ माना जाता है। उनके प्रतिभा की झलक उनके ग्रंथों में, उनके भाषणों में तथा उनके कार्यों में मिलते हैं।

 

#4 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की बुद्धि बहुत तेज थी, और वे बहुत मेहनती थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में 8 साल की पढ़ाई महज 2 साल 3 महीने में पूरी की, जिसके लिए उन्हें रोजाना 24 घंटे में से 21-21 घंटे पढ़ाई करनी पड़ती थी। इसका जिक्र उन्होंने खुद अपनी ‘ऑटोबायोग्राफी’ में किया है।

 

#5 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर दुनिया के महानतम अर्थशास्त्रियों में से एक थे, और वे आज तक के सबसे शिक्षित भारतीय अर्थशास्त्री हैं।

अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन डॉ. आंंबेडकर को अर्थशास्त्र में उनका गुरु मानते है। भारत की केंद्रीय “बैंक भारतीय रिजर्व बैंक” की स्थापना में भी बाबासाहब का बड़ा योगदान है।

 

#6 विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर थे। इतना ही नहीं, उन्होंने अर्थशास्त्र में दो डॉक्टरेट की उपाधियां अर्जित की, और ऐसा करने वाले वे दक्षिण एशिया के पहले व्यक्ति बने।

उन्होंने 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय (यूएसए) से अर्थशास्त्र में ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ (पीएचडी) प्राप्त की, उसके बाद 1923 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ (डीएससी) प्राप्त की।

 

#7 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 20वीं सदी के दुनिया के सबसे शिक्षित राजनेता थे। न केवल एक राजनेता के रूप में बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी वे अपने समय के विश्व के सबसे शिक्षित व्यक्ति थे। साथ ही डॉ. आंंबेडकर को भारतीय इतिहास में अब तक का ‘सबसे बुद्धिमान इंसान’ माना जाता है।

 

#8 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने जीवन में अपनी सफलता और अपने अपार ज्ञान का श्रेय 5% स्फुर्ती (inspiration) और 95% मेहनत (perspiration) को दिया। यानी बाबासाहब ने अपना प्रकांड पांडित्य अपने मेहनत के बल पर हासिल किया है।

 

#9 हिंदू धर्म का त्याग करने की शपथ लेने वाले डॉ बाबासाहब आंबेडकर एक महान धर्मशास्त्री थे, जिन्होंने 35 वर्षों तक विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का तुलनात्मक रुप से गहन अध्ययन किया।

अंत में, उन्होंने बौद्ध धर्म को दुनिया का सबसे अच्छा और सबसे वैज्ञानिक धर्म बताया और अपने लाखों अनुयायियों सहित खुद बौद्ध बन गए। हमारे देश में डॉ आंंबेडकर के प्रभाव से बौद्ध बनने वालो की संख्या 6 करोड़ से अधिक है।

 

#10 डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक महान लेखक भी थे। वह वर्तमान समय के सबसे अधिक मांग वाले लेखकों में से एक हैं। उनके लेखन साहित्य में उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें, थीसिस, लेख, भाषण, पैम्फलेट, पत्र, समाचार पत्र आदि शामिल हैं।

डॉ आंबेडकर ने भारत के किसी भी राजनीतिक नेता की तुलना में कई गुना अधिक लिखा है। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की रचनाओं में – अंग्रेजी लेखन में 32 पुस्तकें और पैम्फलेट, 10 कथन या प्रशंसा पत्र, 10 शोध पत्र, लेख और समीक्षाएं शामिल हैं। इसके अलावा वह भारतीय संविधान के प्रधान निर्माता भी हैं।

 

#11 डॉ. बाबासाहब आंबेडकर न केवल एक कुशल वकील थे बल्कि दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली न्यायविद और संविधानविद भी थे। उन्होंने लगभग 60 देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया था। “भारतीय संविधान के पिता” के रूप में जाने जाने वाले आंंबेडकर ने कई महत्वपूर्ण केस लड़े थे, और उन्हें जिते भी थे।

 

#12  भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को 500 स्नातकों के बराबर बुद्धिमान मानते थे। महात्मा गांधी बाबासाहब को एक हजार शिक्षित हिंदू विद्वानों से अधिक प्रतिभाशाली मानते थे।

उस समय में डॉ आंंबेडकर जितना ज्ञानी और पढ़ा लिखा शख्स न तो भारत की संविधान सभा में कोई था, और न ही समुचे भारत देश में। अमेरिका और ब्रिटेन में आंंबेडकर की प्रतिभा से लोग परिचित थे।

 

#13  डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को किताबें पढ़ने का बहुत ज्यादा शौक था। पुस्तकों के प्रति उनका प्रेम इतना अधिक था कि प्रातः काल तक वे पुस्तकों में ही लीन रहते थे।

तीन पुस्तकों ने डॉ आंबेडकर को सबसे अधिक प्रभावित किया – पहला था ‘लाइफ ऑफ टॉल्सटॉय‘, दूसरा था विक्टर ह्यूगो का ‘ले मिजरेबल‘ और तीसरा था थॉमस हार्डी का ‘फार फ्रॉम द मैडिंग क्राउड‘।

 

#14  डॉ‌. बाबासाहेब आंबेडकर ने लाखों किताबें पढ़ी हैं। “कितना समय अध्ययन करना है? इस सवाल पर उन्होंने अपनी पुस्तक पढ़ने की स्पीड के बारे में बताया था कि – “मैंने इंग्लैंड से वापसी के दरम्यान वेनिस और बंबई के सफ़र में 8,000 पृष्ठ पढ़े। यह छह दिनों की सफ़र थी।”

बाबासाहेब के निजी पुस्तकालय और उनके निवास “राजगृह” में 50,000 से अधिक पुस्तकें और ग्रंथ हैं। डॉ आंबेडकर का राजगृह बंगला दुनिया का सबसे बड़ा “निजी पुस्तकालय” था।

 

#15 लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कोलंबिया यूनिवर्सिटी दोनों ने ही डॉ आंबेडकर को आज तक का उनका ‘सबसे बुद्धिमान छात्र’ के रूप में सम्मानित किया है।

2004 में, कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर, विश्वविद्यालय ने Columbians ahead of there time (कोलंबियाई लोग, जो समय से आगे थे) नामक दुनिया के उन 100 विद्वानों की एक सूची तैयार की गई, जो कोलंबिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे और जिन्होंने अपने संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

जब इस सूची के नामों के क्रम से लगाया गया तो उसमें सबसे पहला नाम (first rank) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का था, और सूची में वह एकमात्र भारतीय नाम था। इस विश्वविद्यालय ने डॉ. आंंबेडकर को “Founding Father of Modern India” (आधुनिक भारत के निर्माता) के रूप में वर्णित किया था।

 

#16 व्यापक अध्ययन के कारण बाबासाहब की स्मरण शक्ति बहुत तेज हुई थी। इसलिए वह पल भर में बता देते थे कि किताब के किस पन्ने पर किस लाइन में कौन सा कन्टेंट/ टेक्स्ट लिखा गया है।

 

#17 डॉ. आंबेडकर भारत के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्हें एक साथ महात्मा गांधी (स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख चेहरा और सबसे प्रसिद्ध भारतीय) और हिंदू भारत (हिंदुस्तान का रूढ़िवादी वर्ग) के साथ संघर्ष करना पड़ा।


यह डॉ बाबासाहब आंबेडकर से जुड़ी कुछ खास बातें थी, जिसने उन्हें दुनिया के महानतम एवं प्रभावशाली व्यक्तित्वों की सूची में शामिल कर दिया।


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