भारत सरकार द्वारा डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से दो पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं – डॉ. आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार तथा डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार। लेकिन 2000 से डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल अवार्ड तथा 2014 से डॉ. आंबेडकर नेशनल अवार्ड किसी को प्रदान ही नहीं किए गए! – dr ambedkar award
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को “आंबेडकर भक्त” (Ambedkarite) होने का दावा तो करते हैं, और साथ ही संविधान निर्माता के नाम पर बने पुरस्कारों की उपेक्षा भी करते है! गांधी, नेहरू जैसे कई हस्तियों के नाम से कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार प्रदान करती है, जिनकी राशि बाबासाहब के पुरस्कारों से कई गुना ज्यादा है और साथ ही उन्हें नियमित रूप से वितरित किया जाता है। महात्मा गांधी की स्मृति में, भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला ‘गांधी पीस प्राइज‘ इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार की राशि बाबासाहेब के दोनों पुरस्कारों की कुल राशियों से 4 गुना अधिक है!
Dr Ambedkar Award – क्यों केंद्र सरकार इन 2 पुरस्कारों को भूल गई है?
पुरस्कारों की पार्श्वभूमि
डॉ. आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार (Dr. Ambedkar International Award) और डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (Dr. Ambedkar National Award) यह दोनों पुरस्कार भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डॉ. आंबेडकर प्रतिष्ठान (Dr. Ambedkar Foundation) द्वारा दिए जाते हैं।
लेकिन पिछले 21 वर्षों से (2000 से) डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल अवार्ड की तथा पिछले 7 वर्षों से (2014 से) डॉ. आंबेडकर नेशनल अवार्ड कभी किसी को दिए ही नहीं गए! इतने लंबे समय से न इन पुरस्कारों का वितरण हुआ और न ही इसके वितरण की कोई घोषणा की गई है!
इस लेख में हम इन दोनों पुरस्कारों के विवरण को देखेंगे, जिससे आप आसानी से वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। इन पुरस्कारों की भारत सरकार के कुछ अन्य पुरस्कारों से तुलना करने पर यह स्पष्ट होगा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर दिये जाने वाले इन पुरस्कारों की जानबूझकर अनदेखी की गई है। यहां आपको पुरस्कारों के बारे में आधिकारिक जानकारी मिलेगी।
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1) डॉ. आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार – Dr. Ambedkar International Award
डॉ॰ आम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार (Dr. Ambedkar International Award for Social Change) भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार हैं। इसकी स्थापना 1995 में की गई थी। सामाजिक परिवर्तन का उत्कृष्ठ कार्य करने वाले व्यक्ती तथा संस्थाओं को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
यह पुरस्कार सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्रीय एकात्मता के लिए डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की दृष्टी का प्रतीक हैं। इसे प्रति वर्ष दिया जाता हैं, तथा उसका स्वरूप राशी रू. 15 लाख और प्रशस्तिपत्र हैं।
पुरस्कार विजेता का चयन करनेवाली ज्युरी में यह लोग शामिल होते है – भारत के उपराष्ट्रपति (अध्यक्ष), लोकसभा सभापती (उपाध्यक्ष), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष (सदस्य), उल्लेखनिय शिक्षाविद् (सदस्य), एक सामाजिक कार्यकर्ता (सदस्य) और सार्वजनिक जीवन के दोन प्रसिद्ध व्यक्ति (सदस्य) जिनमें से एक को अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का ज्ञान हो।
यह पुरस्कार अब तक केवल दो बार वितरित किया गया है !!
- इ.स. 1999 – बाबा आमटे, भारत
- इ.स. 2000 – रेमी फर्नांड क्लॉर्ड सॅटोरी (Remy Fernand Claude Satorre), स्पेन
यह पुरस्कार पिछले 21 वर्षों से यानी 2000 के बाद से वितरित नहीं किया गया है। 1995 से 2021 इन सत्ताईस वर्षों के दौरान इसे केवल दो बार ही दो लोगों को प्रदान गया था।
यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस महान व्यक्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘विश्वमानव’ कहते हैं, और जिसे मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के समकक्ष अंतरराष्ट्रीय ख्याति के मसिहा (Messiah) मानते हैं, उसी व्यक्ति के नाम से दिए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार को भारत सरकार वितरित ही नहीं कर रही है।
डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार सालाना वितरित किया जाना चाहिए और भारत के अलावा अन्य देशों के योग्य व्यक्तियों को उसे प्रदान किया जाना चाहिए। यह बाबासाहेब के लिए भी एक उचित सम्मान होगा।
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2) डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार – Dr. Ambedkar National Award
डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (Dr. Ambedkar National Award for Social Understanding and up-liftment of Weaker Sections) यह डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर की याद में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक राष्ट्रीय पुरस्कार है।
बाबासाहब की स्मृति में स्थापित ‘डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान’ द्वारा डॉ॰ आम्बेडकर के जन्म शताब्धि वर्ष १९९२ से ‘डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’ की शुरुआत हुई। हर साल यह पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को प्रदान किये जाने का प्रावधान है की जिसने समाज में सामाजिक सदभाव निर्माण करने में एवं शोषित, पीडित और पिछ्डे वर्गों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।
इस पुरस्कार के विजेता को 10 लाख रुपए नकद, एक ट्रॉफी और एक प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। इसे भारत के राष्ट्रपति के हाथों से दिया जाता है। इस पुरस्कार की चयन समिति में भारत के उपराष्ट्रपति अध्यक्ष होते है। इसके अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश, मुख्य पत्रकार, शिक्षाविद, और अन्य दो व्यक्ती ऐसे होते जिनका सार्वजनिक जीवन में बडा योगदान रहा हैं, यह सभी समिति के सदस्य होते हैं। यह कमेटी पुरस्कार विजेता का चयन करती है। dr ambedkar award
पुरस्कार विजेता
डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार 1993, 1994, 1996 व 1998 में प्रदान किया गया था। उसके 20 साल बाद 2011, 2012 व 2014 के पुरस्कार 26 मई 2017 को एकत्रित प्रदान किये गये। 2014 के बाद कभी कोई पुरस्कार नहीं दिया गया।
वर्ष
पुरस्कार प्राप्त व्यक्ती/ संस्था
स्थान
1993
नॅशनल इंस्टिट्युट ऑफ सोशल वर्क ॲंड सोशल सायन्स
भुवनेश्वर, ओडीसा
1994
रयत शिक्षण संस्था
सातारा, महाराष्ट्र
1996
रामकृष्ण मिशन आश्रम
बास्तर, मध्य प्रदेश
1998
कस्तुरबा गांधी कन्या गुरुकुल
वेदारन्यम, तमिळनाडू
2011
सुखदेव थोरात
महाराष्ट्र
2012
समता सैनिक दल
महाराष्ट्र
2014
-
बाबू लाल निर्मल
-
अमर सेवा संगम
-
राजस्थान
-
तमिळनाडू
वर्ष | पुरस्कार प्राप्त व्यक्ती/ संस्था | स्थान |
---|---|---|
1993 | नॅशनल इंस्टिट्युट ऑफ सोशल वर्क ॲंड सोशल सायन्स | भुवनेश्वर, ओडीसा |
1994 | रयत शिक्षण संस्था | सातारा, महाराष्ट्र |
1996 | रामकृष्ण मिशन आश्रम | बास्तर (जिला), मध्य प्रदेश |
1998 | कस्तुरबा गांधी कन्या गुरुकुल | वेदारन्यम, तमिळनाडू |
2011 | सुखदेव थोरात | महाराष्ट्र |
2012 | समता सैनिक दल | महाराष्ट्र |
2014 | बाबू लाल निर्मल अमर सेवा संगम |
राजस्थान तमिळनाडू |
यह पुरस्कार पिछले 7 वर्षों से यानी 2014 से वितरित नहीं किया गया है। 1993 से 2021 तक 28 साल की अवधि के दौरान केवल सात बार पुरस्कार प्रदान किया गया था।
भारत में बराबरी लाने वाले, भारत को गणराज्य भारत बनाने वाले, देश के शोषित लोगों का शोषण बंद करने वाले, तथा देश को उसका अद्भुत संविधान देने वाले महापुरुष के नाम पर दिया जाने वाला यह राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित भी नहीं किया जाता है!
यह पुरस्कार भी सालाना वितरित किया जाना चाहिए और भारत के सामाजिक कार्य और मानवता के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान देने वाले व्यक्तियों को इस पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए।
आइए अब हम भारत सरकार के कुछ पुरस्कारों की तुलना करते हैं, जिनसे यह संदेह होता है कि क्या बाबासाहेब के नाम पर दिए जाने वाले इन दो पुरस्कारों को जानबूझकर दरकिनार किया गया है?
पुरस्कार
स्थापना
राशी
श्रेणी
पुरस्कार प्राप्त व्यक्ती/ संस्था (2021 तक)
इतने वितरण नहीं हुआ (2021 तक)
1965
25 लाख
अंतरराष्ट्रीय
36
23 वर्ष (1986, 1995-2003, 2008, 2010-2021
1991–1992
25 लाख
राष्ट्रीय
43
2 वर्ष (2008, 2014)
1992
10 लाख
राष्ट्रीय
7
24 वर्ष (1995, 1997, 1999-2010, 2013, 2015, 2015-2021)
1995
15 लाख
अंतरराष्ट्रीय
2
25 वर्ष (1996-1998, 2001-2021)
1995
1 करोड़
अंतरराष्ट्रीय
19
7 वर्ष (2006-2012
पुरस्कार | स्थापना | पुरस्कार प्राप्त व्यक्ती/संस्था | इतने वितरण नहीं हुआ (2021 तक) | राशी | श्रेणी |
Dr. Ambedkar National Award | 1992 | 7 | 24 वर्षे (1995, 1997, 1999-2010, 2013, 2015, 2015-2021) | 10 लाख | राष्ट्रीय |
Dr. Ambedkar International Award | 1995 | 2 | 25 वर्षे (1996-1998, 2001-2021) | 15 लाख | अंतरराष्ट्रीय |
Rajiv Gandhi Khel Ratna | 1991–1992 | 43 | 2 वर्षे (2008, 2014) | 25 लाख | राष्ट्रीय |
Gandhi Peace Prize | 1995 | 19 | 7 वर्षे (2006-2012 | 1 करोड़ कोटी | अंतरराष्ट्रीय |
Jawaharlal Nehru Award | 1965 | 36 | 23 वर्षे (1986, 1995-2003, 2008, 2010-2021 | 25 लाख | अंतरराष्ट्रीय |
उपरोक्त पुरस्कारों की तुलना से पता चलता है कि बाबासाहेब के पुरस्कार किसी और की तुलना में कम बार वितरित किए गए हैं, और इसकी राशि दूसरों की तुलना में बहुत कम है। आंबेडकर के नाम पर दिए जाने वाले दो पुरस्कारों की तुलना में राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी, और जवाहरलाल नेहरू के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार हर लिहाज से ऊंचे लगते हैं।
डॉ आंबेडकर पुरस्कारों के लिए क्या बदलाव जरूरी है?
भारत सरकार से दोनों आंबेडकर पुरस्कारों के संदर्भ में यह बदलाव किए जाने की उम्मीद करते है:
1) दोनों पुरस्कार हर साल वितरित किए जाने चाहिए। पहला पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यक्तियों तथा संस्थाओं को और दूसरा राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तियों तथा संस्थाओं को प्रदान किया जाना चाहिए।
2) पुरस्कारों की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया Gandhi Peace Prize (गांधी शांति पुरस्कार), जिसकी राशि 1 करोड़ रुपये इतनी बड़ी है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तियों को हर साल लगातार दिया जाता है। बाबासाहेब का कार्य और योग्यता बहुत शानदार है, इसलिए सरकार को उनके पुरस्कारों के मामले में भी ऐसा (गांधी पीस प्राइज की तरह) रचनात्मक बदलाव करने जरुरी है।
3) डॉ. आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार इन पुरस्कारों के नामों में से “डॉ. आंबेडकर…” को बदलकर “डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर…” कर देना चाहिए। जिस तरह मोहनदास करमचंद गांधी को सम्मानपूर्वक महात्मा गांधी कहा जाता है, उसी तरह डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर [डॉ. आंबेडकर] को सम्मानपूर्वक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कहा जाता है। इसलिए भारत सरकार को बाबासाहेब के नाम का सम्मानपूर्वक उपयोग करना चाहिए।
Dr. Ambedkar Foundation की आधिकारिक वेबसाइट – http://ambedkarfoundation.nic.in/awards.html
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पोस्ट एकदम भारी आहे. महत्त्वाची माहिती तुम्ही सांगितले.
धन्यवाद
Chagli mahiti dili
Thank you