बौद्ध आरक्षण – बौद्ध धर्म किस कैटेगरी में आता है?

Last Updated on 14 October 2025 by Sandesh Hiwale

भारत में बौद्ध धर्म को कितना आरक्षण है और बौद्ध धर्म किस कैटेगरी में आता है, इसकी जानकारी इस लेख में दी गई हैं। भारत में अधिकांश बौद्ध अनुयाई अनुसूचित जाति (SC) की कैटेगरी में आते हैं।

बौद्ध धर्म किस कैटेगरी में आता है

बौद्ध धर्म किस कैटेगरी में आता है?

आरक्षण की दृष्टि से, बौद्ध धर्म किसी एक कैटेगरी में नहीं आता है। लेकिन, भारत में करीब 70 प्रतिशत बौद्ध लोग अनुसूचित जाति (यानि scheduled caste) की कैटेगरी में आते हैं।

दरहसल, भारत में बौद्ध धर्म के अनुयाई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), खुला वर्ग (ओपन) इन सभी कैटेगरी में आते हैं।

भारत में, हिंदू धर्म के अलावा बाकी धर्म अल्पसंख्यक हैं, जिनमें बौद्ध धर्म भी शामिल है। इसलिए बौद्ध लोग अल्पसंख्यकः कैटेगरी भी आते हैं।

 

बौद्ध धर्मावलंबियों का वर्गीकरण  

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में कुल 84,42,972 बौद्ध धर्मावलंबियों का वर्गीकरण इस प्रकार था:

  • 57,57,576 : अनुसूचित जाति (SC) के बौद्ध (नवबौद्ध)
  • 8,66,029 : अनुसूचित जनजाति (ST) के बौद्ध (आदिवासी बौद्ध)
  • 18,19,367 : अन्य बौद्ध (OBC और सामान्य वर्ग के बौद्ध)

देश की कुल बौद्ध जनसंख्या में से 68.19% अनुसूचित जाति के बौद्ध (नवबौद्ध/SC बौद्ध), 10.26% अनुसूचित जनजाति के बौद्ध (आदिवासी/ST बौद्ध), और 21.55% अन्य बौद्ध थे। “अन्य बौद्धों” में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और सामान्य वर्ग (general) के बौद्ध शामिल थे। 

 

देश की कुल बौद्ध आबादी में करीब 70% लोग अनुसूचित जाति (SC) से ताल्लुक रखने वाले है। अनुसूचित जाती की कुल आबादी में बौद्धों की संख्या करीब 3 प्रतिशत आहे।

बौद्ध धर्म कौन सी कैटेगरी में आता है? अंतरराष्ट्रीय संस्था प्यू रिसर्च सेंटर की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में रहने वाले कुल बौद्धों में 89 फ़ीसद अनुसूचित जाति, पांच फ़ीसद अनुसूचित जनजाति, चार फ़ीसदी ओबीसी से हैं, जबकि सिर्फ़ दो फ़ीसद सामान्य वर्ग में आते हैं। (bbc)

नवबौद्ध यह ऐसे बौद्धों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली एक ‘सरकारी संज्ञा‘ है, जो अनुसूचित जाति से संबंधित है और साथ ही वह धर्म परिवर्तन कर बौद्ध बने हैं।

 

नवबौद्ध आरक्षण – बौद्ध धर्म को कितना आरक्षण है?

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग यह तीनों आरक्षण की कैटेगरी हैं, जो धर्म के आधार पर नहीं बनी हैं। बौद्ध धर्म को अल्पसंख्यक का आरक्षण (minorities reservation) मिलता हैं।

भारत में अजा वर्ग को 15 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी जा रही है। भारत सरकार ने अनुसूचित जाति के लोगों के द्वारा हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म अपनाए जाने पर अनुसूचित जाति की मान्यता दे रखी है।

धत्तीसगड राज्य में अजा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी जा रही है।

 

बौद्ध धर्म की जातियां कौनसी हैं?

बौद्ध धर्म में कौन सी जाति आती है ? – बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था नहीं हैं इसलिए बौद्ध धर्म में जातियां भी नहीं होती हैं। किसी बौद्ध को बौद्धों के बीच जातीय भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता है। हालाँकि, बौद्ध लोग संप्रदायों में बटे हो सकते हैं।

 

बौद्ध धर्म की मुख्य रूप से कितनी शाखाएं हैं?

बौद्ध धर्म की वर्तमान समय में सैकड़ों शाखाएं हैं। इनमें से बौद्ध धर्म की मुख्य रूप से दो शाखाएं हैं – महायान और हीनयान।

 

क्या धर्म परिवर्तन के बाद भी दलितों को SC आरक्षण का लाभ मिलता हैं?

क्या धर्म परिवर्तन के बाद भी एससी और एसटी के लोग सरकार द्वारा दिए जाने वाले आरक्षण का फायदा उठा सकते हैं?

सिर्फ हिन्दू, सिख और बौद्ध धर्म के अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के लोग आरक्षण और दूसरी सुविधाओं का फायदा उठा सकते है।

मूलतः संविधान में हिन्दू धर्म के SC समुदाय के लिए व्यवस्था थी। बाद में 1956 में इसे सिख तथा 1990 में इसे बौद्ध के लिए भी जोड़ दिया गया।

लेकिन अगर कोई SC व्यक्ति इस्लाम या ईसाई धर्म में कन्वर्ट होता है, उसे आरक्षण/ दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

हां, फिर से अगर वो हिंदू धर्म में कंवर्ट होता है, तो उसे लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।

लेकिन अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए स्थिति अलग है। आदिवासी या अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के लोग किसी भी धर्म में रहे या कन्वर्ट हो, उन्हें ST के सभी लाभ मिलेंगे।

कानून मंत्री उच्च सदन में बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की ओर से किए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

इस दौरान उन्होंने साफ किया कि जो SC व्यक्ति हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म को अपनाते हैं, ऐसे लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा और इसी आधार पर वह SC के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के हकदार भी होंगे।

रविशंकर ने संविधान के पैरा तीन (अनुसूचित जाति) का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को स्वीकार करता है उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।

यानी अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लेने वाला व्यक्ति केवल हिन्दू, सिख या बौद्ध ही हो सकता है।

 

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