हाल ही में मॉरीशस में मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंग रुपम के हाथों डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr Ambedkar Statue in Mauritius) की प्रतिमा का अनावरण किया गया। भारत के महान सपूत की मुर्ति को विदेश में स्थापित किया जाना सभी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण और खुशी की घटना है।
भारत के अलावा विदेशों संविधान निर्माता में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की लगभग 20 मूर्तियाँ हैं। बाबासाहेब की मूर्तियाँ पाँच महाद्वीपों अर्थात् एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में स्थापित की गई हैं। हाल ही में, रूस के मॉस्को में भी दलित साहित्यकार अण्णा भाऊ साठे की एक प्रतिमा लगाई गई है।
मॉरीशस में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा
28 सितंबर, 2022 को मॉरीशस के मोका शहर में महात्मा गांधी इन्स्टिट्यूट के प्रांगण में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा को स्थापित किया गया, तथा मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंग रुपम ने इस प्रतिमा का अनावरण किया। पहली बार राष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर आसीन व्यक्ति ने विदेश में बाबासाहेब की प्रतिमा का अनावरण किया है।
अनावरण के दौरान मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंग रूपन, उप प्रधान मंत्री लीलादेवी डुकून, विदेश मंत्री एलन गानू, मॉरीशस मराठी मंडळी फेडरेशन के अध्यक्ष असंत गोविंद, मॉरीशस के मोका के जिला कौन्सिल के अध्यक्ष सुधीरचंद्र सूनराणे, नितिन बाप्पू और अन्य कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
साथ ही भारत से आए हुए गणमान्य व्यक्तियों में भारत के केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक उत्तम कांबले, महाराष्ट्र के पूर्व ऊर्जा मंत्री तथा विधायक डॉ. नितिन राउत, सावित्रीबाई विश्वविद्यालय के कुलपति विजय खरे, आभास थोराट, पुणे के उप महापौर डॉ. सिद्धार्थ धेंडे, प्राचार्य प्रकाश कुम्भार, सुरेश गोरेगांवकर, श्रीमती. सीमा आठवले, जीत आठवले आदि उपस्थित थे।
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पुणे के “फुले शाहू आंबेडकर विचार प्रसारक मंडळ, भोर” द्वारा महामानव डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति (Dr Ambedkar Statue in Mauritius) को मॉरीशस मराठी मंडळी फेडरेशन को भेंट किया गया है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की इस प्रतिमा का अनावरण समारोह मॉरीशस मराठी मंडळी फेडरेशन द्वारा मोका, मॉरीशस में महात्मा गांधी संस्थान में आयोजित किया गया था।
Dr Ambedkar Statue in Mauritius
महात्मा गांधी संस्थान में आयोजित इस समारोह में “महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इंटरनॅशनल सोशल वर्क अवॉर्ड” से डॉ. सिद्धार्थ धेंडे, प्रसन्न देशमुख, संतोष बारणे, सुवर्णा पवार, सुरेश गोरेगांवकर आदि को मॉरीशस के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।
बाबासाहेब की इस प्रतिमा की एक खास बात यह है कि भारतीयों ने धन जुटाकर (लोकवर्गणी) इस प्रतिमा का निर्माण किया और उसे मॉरीशस को भेंट में दिया है।
रामदास आठवले ने मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन से अनुरोध किया है कि मॉरीशस सरकार मॉरीशस में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के भव्य स्मारक के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराए।
मॉरीशस यह हिंद महासागर में अफ्रीका महाद्वीप के पास स्थित एक देश है। इसकी जनसंख्या साढ़े बारह लाख से अधिक है, जिसमें से 67 प्रतिशत भारतीय मूल के हैं। यहां 49% हिंदू, 33% ईसाई, 17% मुस्लिम रहते हैं।
बाबासाहब के नाम में बड़ी गलती
जहां मॉरीशस में बाबासाहब की प्रतिमा लगाए जाने की सुखद खबर सुनी जा रही है, वहीं इस संबंध में एक गलत बात भी सामने आई है। मॉरीशस में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की इस मूर्ति की नेम प्लेट पर बहुत गलत तरीके से “डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर” ऐसा लिखा हुआ है !! अब आप सोच रहे होंगे कि इस नाम में क्या गलत है?
हम डॉ. आंबेडकर के लिए ‘बाबासाहब’ नाम का प्रयोग “सर्वनाम” के रूप में करते हैं। इसलिए [भीमराव] नाम की जगह इसका [बाबासाहब] इस्तेमाल किया जाना चाहिए, नाम के साथ नहीं।
इसलिए उनका नाम या तो “डॉ. बाबासाहब आंबेडकर” लिखना चाहिए या “डॉ. भीमराव आंबेडकर”। उनकी नेम प्लेट पर “डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर” या “डॉ. बी.आर. आंबेडकर” लिखा जाता तो भी कोई दिक्कत की बात नहीं होती। यह आश्चर्य की बात है कि बाबासाहब की मूर्ति स्थापित करने वाली समिति को यह पता नहीं कि बाबासाहब नाम सही तरीके से कैसे लिखा गया है।
कई हिंदी भाषी लोग “बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर” और “बाबासाहब डॉ. आंबेडकर” इस तरह गलत नाम लिखते हुए भी पाए जाते हैं। वैसे इस बात को जरूर ध्यान देना चाहिए कि, “आंबेडकर” सही वर्तनी वाला शब्द है, “अंबेडकर” या “अम्बेडकर” ग़लत वर्तनी हैं।
जैसे “मोहनदास करमचंद गांधी” के लिए “महात्मा गांधी” नाम का प्रयोग किया जाता है, न कि “महात्मा मोहनदास गांधी”। इसी तरह बाबासाहेब का नाम “डॉ. बाबासाहब आंबेडकर” के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, न कि “डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर” या “बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर”।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, वल्लभभाई पटेल के आगे “सरदार” जोड़कर “सरदार वल्लभभाई पटेल” लिखा जा सकता है। नेहरू के सामने “पंडित” लिखकर “पंडित जवाहरलाल नेहरू” लिखा जा सकता है, लेकिन बाबासाहब के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता। ‘सरदार’ एवं ‘पंडित’ यह उपाधियां हैं, तथा ‘बाबासाहब’ सर्वनाम या निकनेम ज्यादा और उपाधि कम है।
अत: यह अति आवश्यक अनुरोध है कि सरकार इस गंभीर गलती को सुधारे और मॉरीशस की इस प्रतिमा की नेम प्लेट से “डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर” का नाम हटाकर उसे उपयुक्त नाम “डॉ. बाबासाहब आंबेडकर” या “डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर” से बदल दें।
मॉरीशस में स्थापित डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा (Dr Babasaheb Ambedkar Statue in Mauritius) की जानकारी आपको कैसी लगी इस बारे में हमें जरूर बताएं। जल्द ही हम (भारत के अलावा) विश्व की सभी बाबासाहब आंबेडकर की मूर्तियों की सूची आपके सामने प्रस्तुत करेंगे।
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