1956 में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने पांच लाख अनुयायियों के साथ सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म को त्याग दिया और बौद्ध धर्म अपना लिया। डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार करने से पहले अपने पांच लाख अनुयायियों को स्वयं द्वारा निर्धारित बाईस प्रतिज्ञाएँ दी थी। यह माना जाता है कि ये डॉ. आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं सामाजिक क्रांति की दिशा दर्शक हैं जो मानवीय प्रवृत्ति को प्रेरित करती हैं। – 22 Pratigya in Hindi
22 Vows of Dr Ambedkar in Hindi
ये 22 प्रतिज्ञाएं 14 अक्टूबर, 1956 को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने बौद्ध धर्मं में ‘लौटने’ पर अपने अनुयायियों के लिए निर्धारित की थीं। उन्होंने इन 22 प्रतिज्ञाओं को बनाया ताकि अपने पुराने हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके।
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं – 22 Pratigya in Hindi
1 मैं ब्रह्मा, विष्णु और शिव में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
2 मैं राम और कृष्ण, जो ईश्वर के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
3 मैं पार्वती, गणेश तथा हिन्दू धर्म के अन्य किसी भी देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
4 मैं ईश्वर के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ।
5 मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
6 मैं श्राद्धपक्ष नहीं करूँगा और न ही पिंड-दान करूँगा।
7 मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा।
8 मैं ब्राह्मणों द्वारा कोई भी कार्यक्रम नहीं कराऊँगा।
9 मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ।
10 मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा।
11 मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूँगा।
12 मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित दस परमितों का पालन करूँगा।
13 मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालु रहूंगा तथा उनकी रक्षा करूँगा।
14 मैं चोरी नहीं करूँगा।
15 मैं झूठ नहीं बोलूँगा।
16 मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा।
17 मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा।
(पिछली पांच निषेधात्मक प्रतिज्ञाएं [#13-17] पंचशील उपदेशों से ली हैं।)
18 मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और अपने दैनिक जीवन में दयालु रहने का अभ्यास करूँगा।
19 मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति एवं मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ।
20 मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है।
21 मुझे विश्वास है कि मैं (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा) फिर से जन्म ले रहा हूँ।
22 मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।
22 प्रतिज्ञाओं का महत्व
भारत में, अगर किसी हिन्दू व्यक्ति को बौद्ध धर्म का स्वीकार करना हो तो उसे त्रिशरण और पंचशील के अलावा इन 22 प्रतिज्ञाओं को भी ग्रहण करना होता है। यानी बौद्ध बनने जा रहे हिंदू व्यक्तियों को 22 प्रतिज्ञाएं लेना अनिवार्य है।
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The 22 Vows of Dr. Babasaheb Ambedkar is one of the most important oths to Indian Buddhists.
Its not for indian budhists. It’s for ambedkar followers who want to come in shelter of budhism as mark of protest. Its relation with budhism is very hollow and not deep enough. indian budhists without any political motivation can be found among ladakhis, Sikkim, Chakmas , North east India etc.
Its for almost all Indian Budhists (98%). Dr Babasaheb Ambedkar and his followers are Buddhists. Ladakhi or Sikkimese Buddhists follow Vajrayana, while Ambedkarist Buddhists follow Navayana. There is diversity among Buddhists. Differences are also found among Hindus. Are Shaiva Hindus the same as Vaishnava Hindus? Both have different culture, philosophy and history. So you cannot differentiate between real Hindus and fake Hindus.
You may not realize that Chinese Buddhists and Thai Buddhists have different practices and philosophies. Ambedkarite Buddhism and Tibetan Buddhism also have different ethics and philosophies. Ambedkarist Buddhists follow Navayana Buddhism, not Hinayana/ Theravada, Mahayana or Vajrayan. The culture, ideology and history of Ambedkar’s Navayana Buddhism is different from traditional Buddhism.
If the upper caste Hindus had not imposed untouchability on their low caste Hindu brothers for thousands of years, had not persecuted them, exploited them socially, physically, economically and humanly, today a great man like Dr BR Ambedkar would not have abandoned Hinduism with his millions of followers. The fault lies with Hinduism, not Ambedkar’s Buddhism.