हैदराबाद और विजयवाड़ा दोनों में स्थित बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं की ऊंचाई 125 फीट हैं। इस लेख में हम इन दोनों भव्य मूर्तियों के बारे में खास बातें और तुलनात्मक जानकारी जानने जा रहे हैं। 19 जनवरी 2024 को आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा शहर में बाबासाहेब की 125 फीट ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ सोशल जस्टिस का अनावरण किया गया। हैदराबाद विजयवाडा आंबेडकर प्रतिमा
Comparative information of grand statues of Ambedkar in Hyderabad and Vijayawada
हैदराबाद की आंबेडकर प्रतिमा और विजयवाड़ा की आंबेडकर प्रतिमा
हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी और राज्य का सबसे बड़ा शहर है। विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों तेलुगु भाषी राज्य हैं।
हैदराबाद और विजयवाड़ा में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की दो भव्य मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इन दोनों प्रतिमाओं की ऊंचाई 125 फीट है। दोनों मूर्तियों में कई अंतर हैं, जिनमें चबूतरे की ऊंचाई, मूर्ति का डिज़ाइन, निर्माण में प्रयुक्त सामग्री, लागत, भूमि क्षेत्र शामिल हैं।
ये दोनों भारत की 5 सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक हैं। भारत की 10 सबसे ऊंची मूर्तियों में से दो मूर्तियों वाले एकमात्र ऐतिहासिक व्यक्ति बाबासाहेब आंबेडकर हैं।
- यह भी देखें
- विजयवाड़ा में स्थित बाबासाहब आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा
- हैदराबाद में स्थित बाबासाहेब आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा
हैदराबाद में बाबासाहेब की प्रतिमा का अनावरण 14 अप्रैल 2023 को किया गया। इसके 9 महिनें बाद, विजयवाड़ा में बनी बाबासाहब आंबेडकर प्रतिमा ‘स्टैचू ऑफ़ सोशल जस्टिस’ का अनावरण 19 जनवरी 2024 को किया गया। वहीं दूसरी ओर, मुंबई-महाराष्ट्र में बाबासाहेब की 450 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण भी 50 प्रतिशत से अधिक (दिसंबर 2023 तक) पूरा हो चुका है, जो 2026 में पूरा होगा।
बाबासाहब की मूर्तियों के रिकार्ड
इससे पहले कि हम बाबासाहेब की दोनों मूर्तियों के बीच समानताएं और अंतर जानें, आइए उनके द्वारा बनाए गए कुछ रिकॉर्डों पर नजर डालें।
- डॉ. आंबेडकर की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में है। हैदराबाद में बनी बाबासाहब की मूर्ति दूसरे नंबर पर है। (यह रिकॉर्ड 2026 में टूट जाएगा, जब बाबासाहेब की 450 फुट ऊंची “स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी” मुंबई में बन जाएगी।)
- विजयवाड़ा में बाबासाहेब की मूर्ति भारत की चौथी सबसे ऊंची मूर्ति है जबकि हैदराबाद में आंबेडकर की मूर्ति पांचवीं सबसे ऊंची मूर्ति है। (भारत में दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति महादेव की “स्टैच्यू ऑफ बिलीफ” है और तीसरी सबसे ऊंची मूर्ति रामानुजनाचार्य की “स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी” है। ये दोनों मूर्तियां बैठी हुई स्थिति में हैं।)
- विजयवाड़ा में बाबासाहब की प्रतिमा भारत की दूसरी सबसे ऊंची खड़ी प्रतिमा है। उसके बाद तीसरे स्थान पर है हैदराबाद की बाबासाहब की प्रतिमा है। (वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहले नंबर पर है।)
(नोट: “स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी” नाम तीन मूर्तियों को दिया गया है – 1) हैदराबाद में स्थित रामानुजनाचार्य की मूर्ति, 2) मुंबई में निर्माणाधीन बाबासाहेब की मूर्ति, और 3) अमेरिका में स्थित बाबासाहब की मूर्ति।)
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प्रतिमाओं की संरचना में समानताएं
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बनी बाबासाहब की प्रतिमाओं में कई समानताएं हैं।
- सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों प्रतिमाओं की ऊंचाई एक समान है- 125 फीट। (हालांकि, दोनों के चबूतरे की ऊंचाई में बड़ा अंतर है।)
- हैदराबाद और विजयवाड़ा में दोनों प्रतिमाएँ तेलुगु धरती पर खड़ी हैं। (तेलंगाना में 76% और आंध्र प्रदेश में 89% तेलुगु भाषी आबादी है।)
- 2016 में दोनों प्रतिमाओं के निर्माण की घोषणा की गई और 2023 में दोनों प्रतिमाएं खड़ी कर दी गईं। (हालाँकि, दोनों प्रतिमाओं का शिलान्यास का वर्ष और अनावरण का वर्ष अलग-अलग हैं।)
- सामान्यतः दोनों मूर्तियों में बाबासाहब की पोशाक एक जैसी है। दोनों मूर्तियों में उन्हें सूट, बूट और टाई कोट पहने दिखाया गया है। उनका दाहिना हाथ ऊपर उठा हुआ है और बाएं हाथ में भारत का संविधान है।
- दोनों प्रतिमाओं के स्मारकों में संग्रहालय, लाइब्रेरी, मेमोरियल, हॉल और उद्यान बने हैं।
प्रतिमाओं की संरचना में अंतर
आइए अब इन मूर्तियों की संरचना की भिन्नता पर नजर डालते हैं। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की ये दोनों मूर्तियां सामान्यतः एक जैसी दिखती हैं, लेकिन अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको दोनों में कुछ अंतर नजर आएगा।
- हैदराबाद में बनी डॉक्टर आंबेडकर की मूर्ति की ऊपर उठी हुई दाहिनी भुजा बीच में थोड़ी मुड़ी हुई है। लेकिन विजयवाड़ा में उठा हुआ हाथ एकदम सीधा है, उसमें कोई मोड़ नहीं है।
- हैदराबाद में स्थित बाबासाहब की मूर्ति के बाएं हाथ में एक घड़ी है, जो विजयवाड़ा की मूर्ति में नहीं दिखती।
- प्रतिमाओं की वेशभूषा में भी अंतर है। हैदराबाद की बाबासाहेब प्रतिमा के कोट में तीन बटन हैं, जबकि विजयवाड़ा में उनकी मूर्ति के कोट में दो बटन हैं।
- विजयवाड़ा और हैदराबाद में लगी बाबासाहेब की दोनों प्रतिमाओं के गले में टाई बंधी हुई है। लेकिन हैदराबाद की मूर्ति की टाई में तिरछी रेखाएं होती हैं, जबकि विजयवाड़ा की मूर्ति की टाई बिल्कुल सपाट दिखती है।
- दोनों प्रतिमाओं में बाबासाहेब के हाथों में भारत के संविधान की प्रति है लेकिन इनमें एक अंतर भी है। हैदराबाद की मूर्ति में संविधान के कवर के कुछ हिस्से उभरे हुए हैं, जबकि विजयवाड़ा के संविधान की प्रति का कवर सपाट दिखाई देता है।
- हाथों की तरह मूर्तियों के पैर भी भिन्न हैं। हैदराबाद में स्थित बाबासाहेब की मूर्ति का दाहिना पैर सीधा है, जबकि विजयवाड़ा की मूर्ति का पैर थोड़ा आगे की ओर बढ़ा हुआ है।
बाबासाहब की प्रतिमाओं की तुलनात्मक जानकारी
आइए जानते हैं इन दोनों प्रतिमाओं की समग्र संरचना के बारे में कुछ खास बातें…
- पहली बार 2016 में, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 125वीं जयंती पर ये दोनों प्रतिमाएं बनाने की घोषणा की गई थी। इसलिए दोनों प्रतिमाओं की ऊंचाई 125 फीट निर्धारित की गई।
- हैदराबाद की बाबासाहब की मूर्ति का आधिकारिक नाम डॉ. बी.आर. आंबेडकर की 125 फीट ऊंची मूर्ति है, जबकि विजयवाड़ा में मूर्ति का आधिकारिक नाम है – Statue of Social Justice (सामाजिक न्याय के प्रतिमा) है, हालाँकि उसे डॉ. बी.आर. आंंबेडकर स्मृतिवनम (यानी डॉ. बी.आर. आंबेडकर मेमोरियल) भी कहा जाता है।
- हैदराबाद में बनी बाबासाहेब आंबेडकर की 125 फुट ऊंची प्रतिमा 50 फुट ऊंचे गोलाकार चबूतरे (संसद भवन की प्रतिकृति) पर खड़ी है। इस प्रकार इस प्रतिमा की कुल ऊंचाई 175 फीट है।
- वहीं, विजयवाड़ा में स्थापित बाबासाहेब आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा 81 फीट ऊंचे चौकोर भवन के चबूतरे पर खड़ी है। यह प्रतिमा चबूतरे सहित 206 फीट ऊंची है। यह हैदराबाद की प्रतिमा से 31 फीट ऊंची है।
- हैदराबाद में डॉ. आंबेडकर की मूर्ति-स्मारक कुल 11.5 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है। विजयवाड़ा में 18.81 एकड़ भूमि पर डॉ. आंबेडकर स्मृतिवनम बना है। यानी दोनों के बिच का अंतर 7.3 एकड़ है।
- हैदराबाद में खड़ी बाबासाहेब की मूर्ति बनाने में 791 टन स्टील और 9 टन पीतल (ब्रास) का इस्तेमाल किया गया है। जबकि, विजयवाड़ा की मूर्ति 400 टन स्टील और 212 टन पीतल से बनी है।
- हैदराबाद में स्थित डॉ. आंबेडकर की मूर्ति की कुल लागत 146.5 करोड़ रुपये थी, जबकि विजयवाड़ा में आंबेडकर की मूर्ति 404.35 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है।
- जहां हैदराबाद की मूर्ति को पूरा होने में छह से सात साल लगे, वहीं विजयवाड़ा की मूर्ति केवल साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हो गई।
- 14 अप्रैल 2016 को हैदराबाद में बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा की आधारशिला रखी गई। इसका निर्माण 2017 में शुरू हुआ और सात साल बाद 14 अप्रैल 2023 को प्रतिमा का अनावरण/लोकार्पण किया गया। (इस प्रतिमा का शिलान्यास और अनावरण तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने किया था।)
- 26 जुलाई 2020 को विजयवाड़ा में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा की आधारशिला रखी गई और अगले साढ़े तीन साल में इसका निर्माण पूरा हुआ। बाबासाहेब आंबेडकर की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण 19 जनवरी 2024 को किया गया। (प्रतिमा की आधारशिला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने रखी थी और इसका अनावरण भी उन्होंने ही किया।)
हैदराबाद विजयवाडा आंबेडकर प्रतिमा
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