दुनिया की पहली डॉ आंबेडकर प्रतिमा 1950 में कोल्हापुर में बनी हैं | World’s first Dr Ambedkar statue

1950 में कोल्हापुर में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की दुनिया की पहली प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो डॉ आंबेडकर जीवनकाल में ही बनी थी। चलिए, इस प्रतिमा का इतिहास एवं पृष्ठभूमि को थोड़ा समझते हैं।

दुनिया की पहली डॉ आंबेडकर प्रतिमा

दुनिया की पहली डॉ आंबेडकर की प्रतिमा

सामाजिक कार्यकर्ता भाई माधवराव बागल (1895 – 1986) द्वारा विश्व की पहली डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा 1950 में कोल्हापुर में स्थापित की गई थी। तब डॉ आंबेडकर जीवित थे और उन्होंने अपनी इस प्रतिमा को देखा भी है।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में स्थित बिंदू चौक पर स्थित डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की मूर्ति एक ऐतिहासिक मूर्ति है, जो की दुनिया की पहली डॉ आंबेडकर प्रतिमा है। 1950 में महात्मा जोतिराव फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर इन दो महापुरुषों की मूर्तियों का एकसाथ अनावरण किया गया था।

भाई माधवराव बागल प्रतिमा समिति के अध्यक्ष थे। यह प्रतिमा डॉ. आंबेडकर के जीवनकाल में बनाई गई थी और यह दुनिया में उनकी पहली प्रतिमा है। यह मूर्ति को मूर्तिकार बाल चव्हाण ने बनाई है। तत्कालीन महापौर डी.एम. सलोखे की उपस्थिति में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यह मुर्ती नगर पालिका को करवीर जनता की ओर से प्रतिमा समिति द्वारा भेंट की गई थी।

महात्मा जोतीबा फुले और डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के विचारों और कार्यों से भाई माधवराव बागल प्रभावित थे। इस कारण उन्होंने महात्मा और बाबासाहब की मूर्तियाँ बनाईं, और 9 दिसंबर 1950 को हजारों लोगों के उपस्थिति में उनका अनावरण किया।

बिंदू चौक के बायीं ओर से बागल ने दो आम आदमियों का हाथ पकड़कर उन्हें फुले एवं आंंबेडकर की प्रतिमाओं का अनावरण कराया। आज देश में सबसे ज्यादा मूर्तियां बाबासाहेब आंबेडकर की ही हैं, लेकिन कोल्हापुर के इस मूर्ति का ऐतिहासिक महत्व है। यह बाबासाहेब की दुनिया की पहली मुर्ती थी, हालाँकि यह आधे कद की प्रतिमा (bust) हैं।

आज बिंदू चौक आंबेडकरवादियों के लिए एक सम्मानित और महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। प्रतिमा स्थापित करने के बाद एक बार जब बाबासाहेब आंबेडकर कोल्हापुर दौरे पर गए थे, तब उन्होंने अपनी इस खुद की मूर्ति को देखा था।

17 अक्टूबर 1960 को इस चौक में दोनों प्रतिमाओं के बीच में एक शहीद स्तंभ खड़ा किया गया, जिस पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 20 शहीदों के नाम उत्कीर्ण हैं। हर साल कई आंबेडकरवादी लोग कोल्हापुर के मानगाँव और बिंदु चौक जाते हैं। यहां विभिन्न सार्वजनिक और सामाजिक सभाएं आयोजित की जाती हैं।

बाबासाहब की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भाई माधवराव बागल अपने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ – facebook

2 अगस्त 1958 को, पुणे के भीमनगर में, डॉ आंबेडकर के बेटे यशवंत आंबेडकर ने बाबासाहेब की एक पूर्ण आकार की प्रतिमा (life size statue) स्थापित की। यह प्रतिमा कांस्य धातु की थी। यह दुनिया की बाबासाहेब की पहली आदमकद प्रतिमा हैं।


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